बैंक के अंतिम खाते: प्रावधान | Read this article in Hindi to learn about the important provisions related to final accounts.

प्रत्येक बैंक के बैंकिंग नियमन अधिनियम, 1949 तथा भारतीय कम्पनी अधिनियम, 1956 के विभिन्न प्रावधानों के अनुसार अपने अन्तिम खाते तैयार करने पड़ते है ।

(1) लेखा वर्ष:

भारत में स्थापित प्रत्येक बैंक को अपने अन्तिम खाते कैलेण्डर वर्ष के अन्त में (31 दिसम्बर) तैयार करने होते है । विदेशी बैंक यदि चाहे तो अपना लेखा वर्ष नवम्बर से अकबर तक रख सकते है ।

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(2) प्रारूप:

प्रत्येक बैंक को अपनी समस्त शाखाओं द्वारा सम्पन्न व्यवसाय को सम्मिलित करते हुए अपने अन्तिम खाते बैंकिंग नियमन अधिनियम में निर्दिष्ट प्रारूप में तैयार करने होते हैं तथा उसमें निर्दिष्ट समस्त विवरण देने होते हैं । चिट्‌ठा अनुसूची 3 फॉर्म ‘अ’ में तथा लाभ-हानि खाना फॉर्म ‘ब’ में तैयार किए जाते हैं । ये प्रारूप आगे दिये गये है ।

(3) हस्ताक्षर:

अन्तिम खातों पर बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी तथा कम से कम 5 संचालकों (यदि संचालक 3 से कम हो तो सभी संचालकों) के हस्ताक्षर होने चाहिए ।

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(4) प्रस्तुतीकरण:

प्रत्येक बैंक प्रत्येक वर्ष को सामान्यतः 21 मार्च तक अपने अन्तिम खातों तथा अंकेक्षकों एवं संचालकों से प्रतिवेदनों की 3.3 प्रतियाँ रजिस्टर ऑफ कम्पनीज तथा रिजर्व बैंक के पास जमा करनी पड़ती हैं । बैंक के आवेदन पर प्रस्तुतीकरण की तिथि के अधिक से अधिक 3 माह के लिए और बढाया जा सकता है ।

(5) प्रदर्शन:

भारतीय कम्पनी अधिकारी की धारा 223 के अनुसार प्रत्येक भारतीय बैंक को अपने लाभ-हानि खाते चिट्‌ठे तथा अंकेक्षकों के प्रतिवेदन की प्रतियाँ अगस्त माह के प्रथम सोमवार में अपने प्रधान कार्यालय तथा प्रत्येक शाखा कार्यालय के सूचना-पटल पर प्रदर्शित करनी होगी ।

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ये खाते पूरे वर्ष तक सूचना-पटल पर लगे रहेंगे । बैंक का कोई सदस्य या ऋणदाता निर्धारित शुल्क देकर इनकी प्रति प्राप्त कर सकता है जो बैंक अपने अन्तिम खातों को इस प्रकार प्रदर्शित नहीं करते अथवा 7 दिन के अन्दर खातों की प्रति उपलब्ध नहीं कराते उन्हें व उनके अधिकारियों को अर्थ-दण्ड से दण्डित किया जायेगा ।

(6) प्रकाशन:

प्रत्येक बैंक को अपने वित्तीय वर्ष की समाप्ति के 6 माह के अन्दर-अन्दर अपने अन्तिम खातों एवं संचालकों तथा अंकेक्षकों के प्रतिवेदन को अपने मुख्य कार्यालय वाले नगर से प्रकाशित होने वाले समाचार-पत्र में प्रकाशित करना होता है

(7) अंकेक्षण:

प्रत्येक बैंक को अपने अन्तिम खातों का अंकेक्षण सरकार द्वारा मान्य अंकेक्षण से कराना होता है ।

(8) मासिक-विवरण:

अन्तिम खातों के अतिरिक्त प्रत्येक बैंक को अपनी भारतीय सम्पत्तियों एवं दायित्वों का एक विवरण प्रत्येक माह के अन्तिम शुक्रवार (अवकाश की दशा में बृहस्पतिवार तक) रिजर्व बैंक के पास निर्धारित प्रारूप में भेजना पड़ता है ।

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