बैंक द्वारा बनाए गए खातों की सूची | Here is a list of three main types of books maintained by a bank in Hindi language.

विभिन्न व्यवहारों का लेखा करने के लिए बैंकों में अनेक लेखा-पुस्तकें रखनी पड़ती है ।

प्रमुख लेखा-पुस्तकें निम्नलिखित हैं:

(1) रोकड़ पुस्तकें या रजिस्टर (Cash Book or Cash Registers):

i. प्राप्त क्षेप्य रोकड़-पुस्तक ।

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ii. भुगतान क्षेप्य रोकड़-पुस्तक ।

iii. शुद्ध रोकड़-पुस्तक ।

iv. स्वच्छ रोकड़-पुस्तक ।

v. रोकड़ शेष पुस्तक ।

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vi. डे बुक ।

(2) खाता बहियां (Ledgers):

i. चल लेखा खाताबही ।

ii. बचत बैंक खाताबही ।

iii. सावधि जमा खाताबही ।

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iv. अल्प-ऋण खाताबही ।

v. विनियोग खाताबही ।

vi. ग्राहक ऋण खाताबही ।

vii. सामान्य खाताबही ।

viii. बैंक हस्तान्तरण स्क्रौल ।

(3) अन्य रजिस्टर्स (Other Registers):

i. रोकड़ बहियां (Cash Book):

(a) प्राप्य क्षेप्य रोकड़ पुस्तक (Received Waste Cash Book):

चूंकि यह बही उस रोकडिए के पास रहती है जो जमा कराई जाने वाली राशियाँ प्राप्त करता है । अतः इसे (Receiving Cashier’s Counter Cash Book) भी कहते है । रोकड़िया खातेदार द्वारा रोकड़ जमा कराये जाने पर प्राप्त राशि का लेखा इसमें नोट/सिक्को/चैक आदि विवरण देते हुए करता है ।

बड़ी शाखाओं में जहां रोकड़ प्राप्त करने के अनेक काउण्टर होते है, प्रत्येक काउण्टर पर अलग रोकड़ बही रखी जाती है । इस रोकड़ बही में की जाने वाली प्रत्येक प्रविष्टि नियन्त्रक अधिकारी द्वारा आधार किये जाते है जो इसके आधार पर अपने नकदी रजिस्टर (Cash Scroll) से भी प्राप्तियों की प्रविष्टियाँ कर लेता है ।

(b) भुगतान क्षेप्य रोकड़ पुस्तक (Payments Waste Cash Book):

इसे (Paying Cashier’s Cash Book) भी कहते है । यह रोकड़ बही भुगतान लिपिक के पास रोड़ भुगतान काउण्टर (Payment Counter) पर रहती है ।

प्रत्येक प्रविष्टि की पुष्टि नियन्त्रक अधिकारी अपने अद्याक्षरों से करता है तथा इसके आधार पर वह अपने नकदी रजिस्टर में भुगतानों की प्रविष्टि कर लेता है ।

(c) शुद्ध रोकड़ पुस्तक (Net Cash Book):

इसे बैंक नकदी रजिस्टर (Bank Cash Book) भी कहते हैं । यह रोकड पुस्तकशाखा प्रबन्ध या अन्य किसी सक्षम अधिकारी के पास रहती है । इसमें नकद प्राप्ति रजिस्टर (Receiving Counter Cash Book) तथा नकद भुगतान रजिस्टर (Paying Cashier’s Counter Cash Book) रखने वाले लिपिकों से प्राप्त जानकारी के आधार पर प्राप्तियों एवं भुगतानों का लेखा किया जाता है ।

जमा-पर्चियों (Pay-In-Slips) तथा चैकों आदि की सहायता से इसकी प्रविष्टियों की जाँच की जा सकती है । दिन के अन्त में समस्त व्यवहारी का शेष निकाला जाता है तथा यह ज्ञात किया जाता है कि रोकड़ की शुद्ध (Net) स्थिति क्या रही?

(d) स्वच्छ रोकड़ बही (Clean Cash Book):

इस रोकड़-बही में शाखा के प्रत्येक दिन के समस्त व्यवहार को विभिन्न सहायक (Subsidiary Books) की सहायता से संक्षेप में लिखा जाता है । विभिन्न व्यवहारों के शीर्षक (Heads) अंकित रहते हैं जिनके अन्तर्गत ही समस्त दैनिक व्यवहारों को लिखा जाता है ।

इस बही के दोनों पक्षों का योग मिलने पर ही समस्त व्यवहारों के सही होने की पुष्टि होती है । यदि अन्तर आता है तो उदरत खाता (Suspense) में डालकर बाद में उसका मिलान कर लिया जाता है ।

(e) रोकड़ शेष पुस्तक (Cash Balance Book):

नोट, सिक्को तथा चैक आदि क विवरण देते हुए इसमें दैनिक रोकड़ शेष का उल्लेख किया जाता है ।

ii. सामान्य खाता बही (General Ledger):

यह बैंक की सर्वाधिक महत्वपूर्ण बही होती है जो सम्पूर्ण वित्तीय वर्ष (Financial Year) के लिए बनाई जाती है । यह बही स्वच्छ रोकड़-यही (Clean Cash Book) के आधार पर लिखी जाती है तथा इसमें रोल्डी तथा हस्तान्तरण दोनों प्रकार के व्यवहारों को लिखा जाता है । बैंक के विभिन्न विवरण (Returns) इसी बही के आधार पर ही तैयार किए जाते हैं । इस बही की सहायता से किसी भी तिथि की बैंक की वित्तीय स्थिति ज्ञात हो सकती है ।

iii. बैंक हस्तान्तरण स्क्रोल (Bank Transfer Scroll):

इसे स्वच्छ रोकड़-बही (Clean Cash Book) की सहायक-पुस्तक के रूप में रखा जाता है । इस रजिस्टर को हस्तान्तरण व्यवहारी का शेष निकालने के लिए तैयार किया जाता है । इसमें बैंक हस्तांतरण तथा शासकीय हस्तांतरण से सम्बन्धित प्रमाणकों (Vouchers) को लिखा जाता है । हस्तांतरण व्यवहारों की पर्चियों पर हस्तांतरण की सील लगा दी जाती है ताकि इस सील को देखकर ही यह ज्ञात हो सके कि यह व्यवहार नकद व्यवहार नहीं है ।

iv. खाता-बहिया (Ledgers):

एक बैंक में जितने प्रकार के खाते खोले जाते हैं उन खातों के खातेदारों (Account Holders) के खाते इन खाता बहियों में अलग-अलग रखे जाते हैं ।

सामान्यतः निम्नलिखित खाता बहिया सभी बैंकों में रखी जाती हैं:

(1) चल लेखा खाता बही (Current Accounts Ledger) ।

(2) बचत बैंक खाता बही (Saving Bank Accounts Ledger) ।

(3) सावधि जमा खाता बही (Fixed Deposit Accounts Ledger) ।

चूंकि बैंक में खातेदारी की संख्या बहुत अधिक होती है अतः वर्णाक्षर क्रम (Alphabetically) में इन खाता बहियों का उप-विभाजन करके एक प्रकार की अनेक खाता बहियां आवश्यकतानुसार खोल ली जाती हैं ।

जैसे:

Saving Bank Ledger – I – A to H

S.B. Ledger – II – I to L

S.B. Ledger – III – M to R

S.B. Ledger – IV – S to Z

प्रत्येक बही में उस पर अंकित वर्णाक्षर नाम वाले खातेदारी के खाते रखे जाते हैं । इस खाता बही के पृष्ठों पर क्रमांक (Ledger Folio) अंकित रहते हैं तथा प्रारम्भ में एक अनुक्रमणिका (Index) भी दी गई होती है । प्रत्येक ग्राहक का खाता इस बही में अलग पृष्ठ पर दिया गया है जिसमें उस खाते में किए जाने वाले प्रत्येक व्यवहार का लेखा तत्काल किया जाकर शेष निकाला जाता रहता है ।

काउण्टर लिपिक द्वारा इस खाता बही में की गई प्रत्येक प्रविष्टि पर नियंत्रक अधिकारी द्वारा अपने अद्याक्षर किये जाते हैं । ग्राहक व्यवहार करते समय सम्बन्धित पर्ची (जमा पर्ची, निकासी पर्ची) पर खाता बही पृष्ठ क्रमांक (Ledger Folio No.) तथा खाता क्रमांक (Account No.) भी लिखता है ताकि उनकी सहायता से खाता बही में ग्राहक का खाता आसानी से निकाला जा सके । प्रत्येक खाते के लिए एक अलग काउण्टर होता है जिस पर नियुक्त लिपिक के पास उस खाते की खाता बहियां रहती हैं ।

v. दिवस पुस्तक (Day Book):

इस पुस्तक को चालू खाता, बचत बैंक खाता, सावधि जमा खाता आदि विभिन्न खातों से प्राप्त विवरणों (Details) सहायता से लिखा जाता है । इसकी सहायता से स्वच्छ खाता बही (Clean Cash Book) लिखी जाती है ।

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