भारत में सड़क परिवहन में सुधार के लिए शुरू की गई परियोजनाएं | Projects Initiated for Improving Road Transport in India.

1. राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (NHDP):

देश में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने व्यापक राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना शुरू की है । इसके अंतर्गत लगभग 14,145 किमी. इकहरे (एक लेन वाले) राष्ट्रीय राजमार्गों को चार से छः लेनों में बदलने की एक बृहद् परियोजना का प्रारूप तैयार किया गया है । देश के सड़क विकास क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा कार्यान्वित की जाने वाली यह अब तक की सबसे बड़ी परियोजना है ।

NHDP-1 व 2 के अंतर्गत निम्न परियोजनाएँ शामिल हैं:

a. स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना (Golden Quadrilateral Project):

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यह देश के चार महानगरों दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई व कोलकाता को जोड़ने वाली चार लेन वाले द्रुतमार्गी राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना है । इस सड़क मार्ग की लम्बाई 5,846 किमी. है ।

b. उत्तर-दक्षिण व पूर्व-पश्चिम कॉरीडोर (North-South and East-West Corridor):

उत्तर-दक्षिण कॉरीडोर श्रीनगर से कन्याकुमारी को जोड़ने वाला 7,142 किमी. लम्बा सड़क मार्ग है । इसमें कोच्चि-सलेमपुर के तिर्यक मार्ग भी शामिल हैं । पूर्व-पश्चिम कॉरीडोर असम के सिल्चर से गुजरात के पोरबंदर को जोड़ने वाला राजमार्ग है ।

c. भारत के 13 बड़े बंदरगाहों को जोड़ने की योजना (India Plans to Connect 13 Major Ports):

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इसके तहत पारादीप, हल्दिया, विशाखापतनम्, चेन्नई-एन्नौर, तूतीकोरिन, कोचीन, न्यू मंगलौर, मार्मागाओ, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट (न्हावाशेवा) व कांडला बंदरगाह को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा 380 किमी. लंबे व चार लेन के संपर्क मार्ग से जोड़ दिया गया है ।

d. 962 किमी. लंबे अंतर्राष्ट्रीय राजमार्गों का नवीनीकरण किया जा रहा है ।

e. देश का पहला 6 लेन एक्सप्रेस हाइवे मुम्बई-पुणे के मध्य बनाया गया, जिसमें यातायात प्रारंभ हो चुका है ।

f. NHDP-3 के तहत उपरोक्त परियोजनाओं में शामिल नहीं हुए राजधानी नगरों, औद्योगिक व वाणिज्यिक नगरों और प्रमुख पर्यटक केन्द्रों को राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ने की योजना है । इसमें 4 एवं 6 लेन वाले द्रुतमार्गों का निर्माण किया जा रहा है । इसकी लम्बाई 12,109 किमी. होगी ।

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g. NHDP-4, 5, 6 व 7 के अंतर्गत राजमार्गों के सहारे फुटपाथों का निर्माण, रिंग रोड, बाईपास ग्रेड सेपरेटर, फ्लाईओवर, अंडरपास, ओवरब्रिज, एलीवेटेड सड़क निर्माण, एक्सप्रेस-वे निर्माण जैसे पहलू शामिल हैं ।

h. पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए विशेष त्वरित सड़क विकास कार्यक्रम तैयार किया गया है । इसके अंतर्गत सभी आठ पूर्वोत्तर राज्यों के सभी जिला मुख्यालयों के 58 शहरों को राज्य की राजधानियों से 2 या 4 लेन वाले राष्ट्रीय राजमार्गों से जोड़ा जाएगा तथा राष्ट्रीय राजमार्गों को चौड़ा किया जाएगा ।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र के दूर-दराज के स्थानों की सड़कों को सुधारना तथा उन्हें मुख्य मार्गों से जोड़ना है । इसमें लगभग 5,104 किमी. लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग को 2 व 4 लेनों में, लगभग 4,656 किमी. लंबे राजकीय मार्गों व सामरिक रूप से महत्वपूर्ण 1,888 किमी. लंबी सडकों को दो लेनों में बदलने का लक्ष्य है ।

2. दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा परियोजना (Delhi-Mumbai Industrial Corridor Project):

निवेश व व्यापार को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से विकसित की जा रही दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा परियोजना भारत की सबसे बड़ी अवसंरचनात्मक परियोजनाओं में से एक है । इस परियोजना को भारत व जापान के संयुक्त प्रयासों से विकसित किया जा रहा है । यह गलियारा दिल्ली को मुम्बई से जोड़ेगा । इसकी कुल लम्बाई 1,483 किमी. होगी ।

2 मार्च, 2014 को दिल्ली-मुम्बई औद्योगिक गलियारा परियोजना के प्रथम चरण की शुरूआत ग्रेटर नोएडा में की गई । यह औद्योगिक गलियारा उत्तर-प्रदेश के दादरी से प्रारंभ होकर मुम्बई के जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह पर समाप्त होगा । यह गलियारा देश के 6 राज्यों से होकर गुजरेगा ।

इस परियोजना के कार्यान्वयन के लिए दिल्ली-मुम्बई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (DMICDC) का गठन सरकार द्वारा किया गया । इस गलियारा परियोजना में भारत के 6 राज्यों में 11 निवेश क्षेत्र व 13 औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने के प्रस्ताव हैं ।

दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा परियोजना के साथ ही वर्ष 2019 तक 7 नए औद्योगिक शहरों को विकसित करने के प्रस्ताव हैं, जिसका आकार मापदंड सिंगापुर के अनुरूप होगा ।

3. राजीव गाँधी बांद्रा-वर्ली समुद्री सेतु परियोजना (Rajiv Gandhi Bandra-Worli Sea Link Project):

30 जून, 2009 को राजीव गाँधी बांद्रा-वर्ली समुद्री सेतु शुरू हो गया है । इसकी लंबाई 6 किमी. है तथा यह 20 किमी. लंबे वैस्टर्न फ्री वे प्रोजेक्ट का हिस्सा है । इसके बाद वर्ली से हाजी अली और फिर हाजी अली से नरीमन प्वाइंट तक सी लिंग बनाने की योजना है । यह सेतु भारत का सबसे लम्बा समुद्री सेतु है ।

समुद्र पर स्थित 8 लेन का यह पहला खुला मार्ग है, जिसमें इंटेलीजेन्ट ब्रिज सिस्टम से युक्त 16 लेन का टोल प्लाजा है । इस सेतु का निर्माण महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम एवं हिन्दुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड द्वारा संयुक्त रूप में की गई है तथा इसमें 1,600 करोड़ रुपये की लागत आई है तथा इससे व्हीकल ऑपरेटिंग कॉस्ट में 1 अरब रुपये सालाना बचत का अनुमान है ।

इस सेतु से मुंबई के दक्षिण व पश्चिमी इलाकों के बीच का मार्ग 60 से 90 मिनट के स्थान पर 6 से 8 मिनट का हो जाएगा ।

4. रोहतांग सुरंग परियोजना (Rohtang Tunnel Project):

यह सुरंग मनाली-लेह राजमार्ग पर दूरस्थ लाहौल-स्पीति और पांगी घाटी के लिए प्रत्येक मौसम में निर्बाध सड़क सम्पर्क सुविधा प्रदान करेगी । घोड़े की नाल के आकार की रोहतांग सुरंग 11.25 मीटर चौड़ी होगी तथा एक साथ इसमें दोनों ओर से वाहनों का आवागमन संभव होगा ।

मनाली के निकट धुंदी में पीरपंजाल पर्वत श्रेणियों में 3,978 मीटर की ऊँचाई पर स्थित सामरिक रूप से महत्वपूर्ण यह सुरंग 8.8 किमी. लम्बी है । इस सुरंग के निर्माण से इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा ।

चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार होगा । साथ ही युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध होंगे । सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण लेह-लद्दाख क्षेत्र में सैन्य बलों को भी प्रत्येक मौसम में आवागमन की सुविधा उपलब्ध होगी ।

5. भारतमाला परियोजना (Bharatmala Project):

सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय द्वारा सागरमाला शिपिंग प्रोजेक्ट के मॉडल पर आधारित भारत के अंतर्राष्ट्रीय सीमा क्षेत्रों को सड़कों से जोड़ने के लिए भारतमाला परियोजना पर कार्य किया जाना है । इस परियोजना की घोषणा 30 अप्रैल, 2015 को हुई ।

इसके अंतर्गत भारत के प्रमुख तटीय नगरों के बीच 4-6 लेन वाले राजमार्गों का विकास किया जाएगा । इस परियोजना के अंतर्गत गुजरात से मिजोरम के मध्य 15 राज्यों को सड़क मार्ग से जोड़ने की महत्वाकांक्षी योजना है ।

राजमार्ग विकास परियोजना के अंतर्गत स्वर्णिम चतुर्भुज और उत्तर-दक्षिण, पूर्व-पश्चिम कॉरिडोर के अंतर्गत भारत में पहले ही पर्याप्त राजमार्गों का निर्माण किया जा चुका है । कुछ स्थानों पर सड़कों का लिंक नहीं जुड़ा है ।

इस संदर्भ में सरकार ने तटीय जल परिवहन को बढ़ावा देने के लिए सागरमाला परियोजना पर काम शुरू कर दिया है । ऐसे में बंदरगाहों और तटीय नगरों को देश के प्रमुख उद्योग-व्यापार केंद्रों के साथ जोड़ने के लिए नई रेल व सड़क परियोजनाओं की आवश्यकता है ।

6. हरित राजमार्ग नीति-2015 (Green Highway Policy – 2015):

सड़क परिवहन और राजमार्ग व जहाजरानी मंत्रालय ने 29 सितम्बर, 2015 को हरित राजमार्ग नीति-2015 का शुभारंभ किया । पौधरोपण, प्रत्यारोपण, सौंदर्यीकरण एवं रख-रखाव इस नीति के उद्देश्य हैं ।

राजमार्ग में गलियारों को समुदायों, किसानों, निजी क्षेत्रों, सरकारी संगठनों और सरकारी संस्थानों की प्रतिभागिता के माध्यम से हरियाली को प्रोत्साहित करना शामिल हैं । इस नीति से ग्रामीण क्षेत्रों में पाँच लाख लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद हैं ।

सड़क मार्ग से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्

a. राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 1 और 2 को सम्मिलित रूप से ग्रांड ट्रंक रोड कहा जाता है ।

b. राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या IA में ही जवाहर सुरंग स्थित है । यह राजमार्ग जालंधर से जम्मू व श्रीनगर होते हुए उरी तक जाती है । जम्मू और श्रीनगर को जोड़ने वाले बनिहाल दर्रों में ही जवाहर सुरंग स्थित है ।

c. N.H.-47A भारत का सबसे छोटा राष्ट्रीय राजमार्ग है । यह केरल के बेम्बानद झील में स्थित वेलिगंटन द्वीप में है ।

d. विश्व की सबसे ऊँची सड़क मनाली-लेह राजमार्ग है ।

e. भारत में सड़कों की सर्वाधिक लंबाई महाराष्ट्र में है । इसके बाद क्रमशः उत्तर प्रदोश, ओडिशा, आंध्र प्रदेश व तमिलनाडु का स्थान आता है । सड़कों की न्यूनतम लंबाई सिक्किम में है । उसके बाद क्रमशः मिजोरम, मेघालय, गोवा व मणिपुर आते है ।

7. मेकांग-गंगा सहयोग परियोजना (Mekong-Ganga CoOperation Project):

मेकांग-गंगा सहयोग (MGC) मंत्रिमंडलीय स्तर की छठी बैठक सितम्बर, 2012 को दिल्ली में सम्पन्न हुई । इस बैठक में भारत सहित मेकांग के पाँच देशों- कम्बोडिया, लाओस, म्यामांर, थाइलैंड और वियतनाम के विदेशी मंत्रियों ने भाग लिया ।

गंगा और मेकांग नदियों के निवासियों के मध्य परस्पर आवागमन, तालमेल और सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से बैठक में इन देशों के विदेश मंत्रियों ने भारत, म्यांमार, थाइलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग का विस्तार करने का फैसला किया है । इस राजमार्ग का अब लाओस, कम्बोडिया और वियतनाम तक विस्तार किया जाएगा ।

त्रिपक्षीय राजमार्ग कोलकाता से म्यांमार होते हुए बैंकॉक तक प्रस्तावित है । कोलकाता-म्यांमार-बैंकॉक त्रिपक्षीय राजमार्ग को वर्ष 2016 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है ।

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