भारतीय संसद पर निबंध | Essay on Indian Parliament in Hindi!

1. प्रस्तावना ।

2. संसद का संगठन ।

3. संसद के कार्य एवं शक्तियां ।

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4. संसद और कार्यपालिका ।

5. संसद में कानून बनाने की प्रक्रिया ।

6. संसद में संविधान संशोधन प्रक्रिया ।

7. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

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संविधान में केन्द्रीय व्यवस्थापिका को संसद का नाम दिया गया है । संसद के तीन अंग हैं: 1. राष्ट्रपति, 2. लोकसभा, 3. राज्यसभा । संसद हमारे देश की कानून बनाने वाली सर्वोच्च संस्था है । लोकसभा संसद का निम्न सदन और राज्यसभा उदव्व सदन है ।

राष्ट्रपति को भी संसद का अंग माना जाता है; क्योंकि संसद द्वारा पारित किसी भी विधेयक पर जब तक राष्ट्रपति की स्वीकृति एवं हस्ताक्षर न हों, तब तक वह कानून का रूप धारण नहीं कर सकता । संविधान ने संसद को प्रमुखता एवं प्रभुता इसीलिए दी है; क्योंकि संसद के सदस्य देश की जनता के प्रतिनिधि हैं । देश की वास्तविक कार्यपालिका वास्तविक रूप से मन्त्रिपरिषद के प्रति उत्तरदायी है ।

संसद राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाकर उसे हटा सकती है । भारतीय संसद में चुने हुए प्रतिनिधि सम्पूर्ण भारत की जनशक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं । संसद कार्यपालिका के कार्यों पर नियन्त्रण रख संविधान में संशोधन भी करती है । मन्त्रिमण्डल की नीतियों व बजट का निर्धारण, अनुमोदन संसद ही करती है ।

2. संसद का संगठन:

भारतीय संसद की रचना दो सभाओं को मिलाकर हुई है । 1. लोकसभा और 2. राज्यसभा ।

लोकसभा: लोकसभा की अधिक संख्या 547 है, जिसमें 545 निर्वाचित और 2 अतल भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य होते हैं । 526 राज्यों के प्रतिनिधि तथा 20 केन्द्र शासित प्रदेशों के सदस्य होते हैं ।

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लोकसभा के सदस्यों का निर्वाचन वयस्क मताधिकार व साधारण चुनाव बहुमत से होता है । लोकसभा के सदस्य संविधान द्वारा निर्धारित योग्यताओं के आधार पर चुनाव लड़ते हैं । संसद विधि द्वारा लोकसभा के कार्यकाल में एक बार में एक वर्ष से अधिक की वृद्धि नहीं कर सकती । लोकसभा की गणपूर्ति कुल सदस्यों की 1/10 निश्चित की गयी है । लोकसभा के प्रमुख पदाधिकारी अध्यक्ष एव उपाध्यक्ष होते हैं । लोकसभाध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष अध्यक्षता करता है ।

लोकसभा की शक्तियां और कार्य:  लोकसभा संसद का महत्त्वपूर्ण अंग है । भारतीय संसद, संघ सूची, समवर्ती सूची, अवशिष्ट विषयों पर वह कानूनों का निर्माण विशेष स्थिति में कर सकती है । लोकसभा भारतीय संघ के वित्त विधेयकों को पारित करती है तथा अन्य विधेयकों पर नियन्त्रण रखती है ।

इसके बाद उसे राज्यसभा में भेजा जाता है । राज्यसभा इस पर केवल 14 दिन विचार करती है । वार्षिक बजट तथा अनुदान सम्बन्धी मांगें, व्यय की स्वीकृति लोकसभा में ही होती है । लोकसभा अविश्वास के प्रस्ताव द्वारा मन्त्रिपरिषद् के सदस्यों को हटा सकती है ।  संविधान संशोधन सम्बन्धी विधेयक लोकसभा मे दो तिहाई बहुमत से पारित होते हैं । लोकसभा को राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के निर्वाचन का अधिकार प्राप्त है ।

राज्यसभा:  राज्यसभा भारतीय संसद का उच्च एवं द्वितीय सदन है । संविधान के द्वारा इसकी अधिकतम सदरच संख्या 250 निश्चित की गयी है । वर्तमान में इसकी सदस्य संख्या 245 है । राज्यसभा में राष्ट्रपति 12 ऐसे सदस्यों को-जो साहित्य, कला, विज्ञान, समाजसेवा एवं सहकारिता के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त है मनोनीत करता है ।

राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव एकल संक्रमणीय मत पद्धति से आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली द्वारा संघ के विभिन्न क्षेत्रों की विधानसभा द्वारा किया जाता है । राज्यसभा में संसद का मतादाता भारतीय संविधान की शर्तों के अनुसार चुनाव लड़ता है ।

कार्यकाल:  राज्यसभा एक स्थायी सदन है, जो कभी भंग नहीं होता है । इसके सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्षों का है । इसमें एक तिहाई सदस्य प्रति 2 वर्ष बाद पद से निवृत हो जाते हैं और नवीन सदस्य पद ग्रहण करते हैं ।

राज्य सभा के वर्ष में दो अधिवेशन होने चाहिए । उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति होता है । एक उपसभापति राज्यसभा अपने सदस्यों में से चुनती है, जो सभापति की अनुपस्थिति में उसके कार्य करता है । इसकी गणपूर्ति सदस्य संख्या 1/10 है ।

राज्य सभा के कार्य एवं शक्तियां:  राज्य सभा अपनी विधायी वित्तीय शक्तियों में लोकसभा के साथ मिलकर कार्य करती है । यह वस्तुत: द्वितीय महत्त्व का सदन है । इसकी स्थिति लोकसभा से कम

है ।

3. संसद के कार्य एवं शक्तियां:

1. कानून बनाना, पुराने कानूनों मैं संशोधन करना तथा अनुपयोगी कानूनों को निरस्त करना ।

2. शासन के लिए कार्यपालिका का निर्माण करना तथा उस पर नियन्त्रण रखना ।

3. सरकार की आय के लिए कर लगाना और बजट पास करना । इन कार्यों को सफल बनाने के लिए संसद को विधायी शासन और वित्त सम्बन्धी कई शक्तियां प्रदान की गयी हैं ।

4. संसद और कार्यपालिका:

एक लोकतन्त्रात्मक संघ गणराज्य होने के नाते सारी सत्ता जनता की है । संसद जनता के प्रतिनिधियों की सभा है । राष्ट्रपति संसद की दोनों सभाओं के तथा विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुना जाता है ।

मन्त्रिपरिषद की रचना संसद का क्षेत्र है । संसद मन्त्रिमण्डल से प्रश्न व अनुपूरक प्रश्न पूछकर शासन सम्बन्धी कार्यों के लिए कैफियत मांगती है । संसद अपने प्रस्तावों से सरकार की नीतियों का संचालन कर अपने स्थगन प्रस्तावों द्वारा मन्त्रिपरिषद का ध्यान विशेष तात्कालिक घटनाओं की ओर खींचती है । मन्त्रिपरिषद् से असन्तुष्ट संसद अविश्वास प्रस्ताव पारित कर उसे भंग कर सकती है ।

5. संसद में कानून बनाने की प्रक्रिया:

संसद का मुख्य कार्य भारत सरकार के संचालन के लिए कानून बनाना है । सभी कानून विधेयक संसद में प्रस्तुत होते हैं । निर्धारिर्ते शर्तों को पूरा करने के बाद राष्ट्रपति की स्वीकृति से कानून बन जाते हैं । संसद में विाइदू निर्माण की प्रक्रिया इस प्रकार है:

1. प्रथम वाचन:  विधेयक की प्रतियां सदस्यों को वितरित करने के पश्चात एक निश्चित दिन मन्त्री उसे सदन में प्रस्तुत करता है । इसके बाद उस विधेयक के सिद्धान्तों और उद्देश्यों पर बहस होती है ।

2. द्वितीय वाचन:  इसके समय सदन में विधेयक पर खण्डश: चर्चा होती है । प्रत्येक खण्ड को अलग से पारित किया जाता है ।

3. प्रवर समिति:  कभी-कभी द्वितीय वाचन से पहले विधेयक को सदन की प्रवर समितियों के विचारार्थ सौंपा जाता है । प्रवर समिति उस पर विचार करके उसमें संशोधन सुझाती है ।

4. तृतीय वाचन:  इसमें विधेयक के सामान्य सिद्धान्तों पर चर्चा होती है और सम्पूर्ण विधेयक पर मतदान के पश्चात् उसे पारित किया जाता है ।

5. दूसरे सदन में विचार:  प्रथम सदन द्वारा पारित विधेयक को दूसरे सदन में भेजा जाता है । वहां भी इसी तरह की प्रक्रिया अपनायी जाती है ।

6. राष्ट्रपति की स्वीकृति:  दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक पर राष्ट्रपति की स्वीकृति ली जाती है । उसके  पश्चात् वह कानून बन जाती है ।

6. संसद में संविधान संशोधन की प्रक्रिया: 

संसद को संविधान में संशोधन करने का अधिकार प्राप्त है । संविधान के कुछ अनुच्छेदों में साधारण बहुमत से कुछ अन्य अनुच्छेदों में कुल उपस्थित सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से संशोधन किया जा सकता

है । कुछ अनुच्छेदों में दो तिहाई बहुमत से संविधान संशोधन का प्रस्ताव पारित करती है ।

इसी प्रस्ताव को देश के सभी राज्यों में से आधे राज्यों के विधान मण्डलों द्वारा दो तिहाई बहुमत से स्वीकृत कराया जाता है । हर प्रकार के संशोधन में संसद की स्वीकृति अनिवार्य है । संशोधन राज्यसभा और लोकसभा में समान रूप से स्वीकृत होते हैं ।

7. उपसंहार:

इस प्रकार देश के शासन में जहां संसद सर्वोच्च शक्ति है, वहीं कार्यपालिका को सुचारु रूप से चलाने के लिए पर्याप्त शक्ति सौंपी गयी है । संसद और कार्यपालिका का यह निकट सम्बन्ध या पारस्परिक निर्भरता संसद प्रणाली की प्रमुख विशेषता है ।

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