प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर निबंध: परिचय, पहल और नीति | Essay on FDI: Intro, Initiatives and Policy in Hindi.

Essay # 1. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का परिचय [Introduction to Foreign Direct Investment (FDI)]:

नई औद्योगिक नीति 1991 की घोषणा के पश्चात अन्य उदार नीतियों के साथ भारत देश में विदेशी निवेश का अन्तर्वाह अनुभव कर रहा है । वर्ष 1992-93 उपरान्त भारत सरकार द्वारा निवेश के बहाव को बढाने के लिये अनेक अतिरिक्त उपाय किए गये- सीधे विदेशी निवेश, पोर्टफोलियो निवेश, एन.आर.आई. निवेश और जमा राशि और सार्वभौम न्यासी प्राप्तियों में निवेश ।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से कुछ उपाय नीचे दिये गये हैं:

1. लाभ सन्तुलित करने वाली स्थितियाँ जो पहले 51 प्रतिशत इक्यूटी तक विदेशी निवेश पर लागू थी, उपभोक्ता वस्तुओं को छोड़ कर अब लागू नहीं हैं ।

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2. विदेशी इक्यूटी सहित विद्यमान कम्पनियां कुछ निर्धारित मार्गदर्शनों के साथ इसे 51% तक बढ़ा सकती हैं । विदेशी सीधे निवेश की खोज, उत्पादन तथा तेल परिशोधन और गैस के विपणन में आज्ञा है । वशवर्ती कोयले की खानें भी निजी निवेशकर्त्ता के स्वामित्व में हो सकती हैं तथा चलाई जा सकती हैं ।

3. एन.आर.आई. तथा विदेशी निगमित संस्थाएं (OBCs) जो मुख्यतया उनके स्वामित्व में है को उच्च वरीयता प्राप्त उद्योगों में 100 प्रतिशत तक इक्यूटी में निवेश की पूंजी एवं आय के देश प्रत्यावर्तन सहित आज्ञा है । इकट्ठी के 100 प्रतिशत तक आप्रवासी भारतीयों को निर्यात घरानों, व्यापारिक घरानों, अस्पतालों, ई.ओ.व्यू, रुग्ण उद्योगों, होटलों और पर्यटन सम्बन्धी उद्योगों में निवेश की इजाजत है ।

4. विदेशी निवेशकर्त्ताओं द्वारा इकटी के विनिवेश के लिये रिजर्व बैंक द्वारा निर्धरित कीमतों की अब आवश्यकता नहीं है । सकन्ध-विनिमयों में 15 सितम्बर 1992 से बाजार दर पर इसकी इजाजत है, ऐसे निवेश की राशि को स्वदेश भेजने की इजाजत है ।

5. भारत ने 13 अप्रैल, 1992 को विदेशी निवेश की सुरक्षा के लिये बहु पक्षीय निवेश गारंटी (Multilateral Investment Guarantee Agency) एजेंसी संलेख हस्ताक्षर किया ।

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6. ‘फारेन एक्सचेंज रेगुलेशन एक्ट’ (FERA) की व्यवस्थाओं को, 9 जनवरी, 1993 के एक अध्यादेश द्वारा उदार बना दिया गया है, जिसके फलस्वरूप, 40 प्रतिशत से अधिक विदेशी इक्युटी वाली कम्पनियों को अब पूर्णतया भारतीय स्वामित्व वाली कम्पनियों के समान समझा जाता है ।

7. 14 मई, 1992 से विदेशी कम्पनियों को घरेलू बिक्री पर अपने ट्रेड मार्क प्रयोग करने की आज्ञा है ।

विदेशी सीधे निवेश (FDI) को आजकल निवेश योग्य साधनों का महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता है । विकासशील देश एफ.डी.आई. को आर्थिक विकास आधुनिकीकरण और रोजगार उत्पत्ति के सोत के रूप में देखते हैं । निवेश आकर्षित करने के लिये उन्होंने अपने एफ.डी.आई. नियमों को उदार बना लिया है ।

वर्ष 2004-05 के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, ”विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के एफ.डी.आई. के समग्र लाभ सुप्रलिखित है । मेजबान देश नीतियां और विकास का आधारभूत स्तर दिये होने पर अध्ययनों की बहुलता दर्शाती है कि एफ.डी.आई. प्रौद्योगिकी के प्रयोग को उत्साहित करता है, मानवीय पूंजी निर्माण में सहायता करता है, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के एकीकरण में सहायता करता है, अधिक प्रतियोगी व्यापार का वातावरण तैयार करने में सहायता करता है और उद्यम विकास के वातावरण को बढ़ाता है । इन सब के योगदान से उच्च आर्थिक वृद्धि होती है । वास्तविक निवेश के लिये आरम्भिक समिष्ट आर्थिक प्रोत्साहन के अतिरिक्त एफ.डी.आई. कुल कारक उत्पादकता बढ़ा कर वृद्धि को प्रभावित करती है और अधिकतया प्राप्तकर्त्ता अर्थव्यवस्था में साधनों के उपयोग की दक्षता को बढ़ाती है । एफ.डी.आई. द्वारा प्रौद्योगिकी स्थानान्तरण मेजबान देश में सकारात्मक बाह्यताएं उत्पन्न करते हैं ।”

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एफ.डी.आई. के महत्व को ध्यान में रखते हुये, भारत सरकार ने एक उदार, पारदर्शी एवं हितकर एफ.डी.आई. नीति का निर्माण किया है । अधिकांश क्षेत्रों और गतिविधियों के लिये स्वचालित मार्ग के अधीन 100 प्रतिशत आज्ञा है, यहां निवेशकर्ता को किसी पूर्व स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होती । आन्तरिक जमा अथवा आप्रवसियों को शेयर जारी करने के 30 दिनों के भीतर आर.बी.आई. को अधिसूचना आवश्यक होता है ।

Essay # 2. विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को आकर्षित करने के लिये मुख्य उपक्रमण [Major Initiatives to Attract Foreign Direct Investment (FDI)]:

वर्ष 1991 से देश में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को आकर्षित करने के लिये अनेक कदम उठाये गये हैं ।

उठाये गये कदमों को संक्षिप्त किया गया है:

1. भारतीय उद्योग को अधिक सुविधापूर्ण बनाने सम्बन्धी सरकार की वचनबद्धता को आगे बढ़ाते हुये सरकार ने एक छोटी नकारात्मक सूची को छोड़ कर, स्वचलित मार्ग द्वारा एफ.डी.आई. तक पहुंच की इजाजत दे दी है ।

एफ.डी.आई. व्यवस्था को और उदार बनाने के लिये नवीनतम संशोधन नीचे दिये गये हैं:

2. ”वायु यातायात सेवाओं (घरेलू हवाई कम्पनियों)” एफ.डी.आई. सीमाओं में वृद्धि 49 प्रतिशत तक स्वचालित मार्ग द्वारा और 100 प्रतिशत तक आप्रवासी भारतीयों (NRIs) द्वारा स्वचालित मार्गों द्वारा (विदेशी हवाई कम्पनियों द्वारा प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष इक्यूटी भागीदारी की इजाजत नहीं)

3. इससे आगे, प्रैस नोट संख्या 18 (1998) के अनुसार भारत में पुराने उद्यमों-सम्बन्धों के साथ विदेशी वित्तीय/तकनीकी सहयोगों के लिये स्वचालित मार्ग के अधीन विदेशी-तकनीकी सहयोगों से सम्बन्धित मार्गदर्शकों पर विचार करते हुये, यह निर्णय किया गया कि विदेशी निवेश/तकनीकी सहयोगों के लिये नये प्रस्तावों को अब से स्वचालित मार्गों के अधीन निम्नलिखित मार्गदर्शकों के अनुसार क्षेत्रीय नीतियों की शर्त पर आज्ञा होगी ।

a. सरकार की पूर्व स्वीकृति केवल उन प्रकरणों में आवश्यक होगी जहां विदेशी निवेशकर्त्ता के पास एक वर्तमान प्रौद्योगिकी स्थानान्तरण के लिये संयुक्त उद्यम उसी क्षेत्र में ट्रेड मार्क समझौता है ।

b. जहां तक कि उपरोक्त प्रकरणों में, निम्नलिखित के सम्बन्ध में सरकार की स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होगी:

(i) सेबी (SEBI) के साथ पंजीकृत उद्यम पूंजी कोषों द्वारा किया जाने वाला निवेश; अथवा

(ii) जहां किसी भी दल द्वारा वर्तमान संयुक्त उद्यम निवेश 3 प्रतिशत से कम है अथवा

(iii) जहां नियमन उद्यम/संगठन अप्रचलित अथवा रुग्ण है ।

c. जहां तक संयुक्त उद्यम के प्रैस नोट की तिथि 13 जनवरी, 2005 के बाद दाखिल करने का सम्बन्ध है, संयुक्त उद्यम समझौता ‘हितों का संघर्ष’ की धारा प्रस्तुत कर सकता है जो संयुक्त उद्यम के भागीदारों की रक्षा करेगी, यदि एक हिस्सेदार, आर्थिक गति के उसी क्षेत्र में एक संयुक्त उद्यम अथवा पूर्ण स्वामित्व सहित शाखा की स्थापना करना चाहता है तो ।

4. बैंक क्षेत्र में एफ. डी. आई. की सीमा बढ़ाकर, विदेशी निवेश को और भी उदार बना दिया गया है, निजी क्षेत्र के बैंकों में स्वचालित मार्ग के अधीन यह सीमा 74 प्रतिशत तक बढ़ा दी गई है जिसमें एफ.आई.आई. का निवेश भी सम्मिलित है ।

किसी निजी बैंक में सभी स्रोतों से कुल विदेशी निवेश, बैंक की भुगतान की हुई पूजी का अधिकतम 74 प्रतिशत होगा और सभी समयों पर निवासियों द्वारा धारित प्रदत्त पूंजी का कम-से-कम 26 प्रतिशत होगा, किसी निजी बैंक के पूर्ण स्वामित्व वाली अधीन शाखा को छोड़कर ।

5. टैलीकाम क्षेत्र में कुल सेवाओं में एफ.डी.आई. सीमा (जैसे आधारभूत, पब्लिक मोबाइल रेडियो ट्रंकड सर्विस (PMRTS), ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्यूनिकेशन सर्विस (GMPCS) और अन्य वैल्यु एडिड सर्विस (VAS) फरवरी 2005 के दौरान 49 प्रतिशत से 74 प्रतिशत तक बढ़ गई ।

कुल संयुक्त विदेशी सम्पत्ति 74% से नहीं बढ़ेगी जिसमें सम्मिलित हैं, परन्तु एफ.आई.आई., एन.आर.आर्ड./ ओ.सी.बी., एफ.सी.सी.बी., ए.डी.आर.ज, जी.डी.आर., परिवर्तनीय वरीयता शेयर, भारतीय निवेश कम्पनियों में अनुपातक विदेशी निवेश जिसमें उनकी स्वामित्व कम्पनियां सम्मिलित हैं आदि द्वारा निवेश सीमित नहीं है ।

6. जनवरी 2004 के दौरान, एफ. डी. आई. पर इक्यूटि कैप पर मार्गदर्शन, जिसमें आप्रवासी भारतीयों द्वारा और विदेशी निगमित संस्थाओं (OCBs) द्वारा निवेश सम्मिलित है, निम्नलिखित अनुसार संशोधित किये गये:

a. वैज्ञानिक एवं तकनीकी पत्र पत्रिकाओं की छपाई पर 100 प्रतिशत एफ. डी. आई. की इजाजत है बशर्ते कि निष्पादन वैध संरचना के अनुसार तथा सरकार की पूर्व स्वीकृति अनुसार हो ।

b. स्वचालित मार्ग द्वारा पैट्रोलियम उत्पादों की बिक्री पर 100 प्रतिशत एफ. डी. आई. की आज्ञा है, बशर्ते कि यह वर्तमान क्षेत्रीय नीति और नियामक संरचना के अनुकूल हो ।

c. छोटे और मध्य आकार के खेतों में तेल की खोज में स्वचालित मार्ग द्वारा 100 प्रतिशत तक एफ. डी. आई. की आज्ञा है । बशर्ते कि यह तेल खेतों की खोज और राष्ट्रीय तेल कम्पनियों द्वारा खेतों में निजी सहभागिता पर सरकारी नीति के अनुकूल हो ।

d. स्वचालित मार्ग द्वारा पैट्रोलियम उत्पादों पाईप लाइनों पर 100 प्रतिशत एफ. डी. आई. की सरकारी नीति और उसके नियमन अनुसार इजाजत है ।

e. प्राकृतिक गैस/एल. एन. जी. पाइप लाइन (सरकार की पूर्व स्वीकृति सहित) के लिये 100 प्रतिशत एफ. डी. आई. की आज्ञा है ।

भारत सरकार ने रोजगार और वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिये फरवरी 2005 को निर्माण उद्योग में 100 प्रतिशत एफ. डी. आई की इजाजत दे दी, परन्तु विदेशी निवेशकों द्वारा अविकसित भूमि की बिक्री पर भू-सम्पत्ति में सट्टेबाजी रोकने के लिये प्रतिबन्ध लगा दिया ।

इसके अतिरिक्त अधिक एफ डी. आई. अन्तर्वाहों को प्रोत्साहित करने के लिये उठाये गये कदमों में सम्मिलित हैं- समकालित शहरी क्षेत्रों और क्षेत्रीय शहरी संरचना, चाय क्षेत्र (चाय के बागान सहित) में 100 प्रतिशत एफ. डी. आई. की इजाजत । प्रचार और फिल्में और विदेशी फर्मों को ब्राण्ड नाम/ट्रेड मार्क पर रायल्टी देने की इजाजत (प्रौद्योगिकी स्थानान्तरण की स्थिति में शुद्ध बिक्री की प्रतिशतता के रूप में) ।

अतः आशा की जाती है कि भविष्य में उपरोक्त उपाय एफ.डी.आई. उत्पन्न करने में सहायक होंगे । अतः आशा की जाती है कि उपरोक्त उपाय आने वाले समय में, भारत में एफ.डी.आई. के अन्तर्वाह पर प्रोत्साहन प्रभाव की रचना करेंगे ।

Essay # 3. विदेशी निवेश नीति का उदारीकरण (Liberalisation of Foreign Investment Policy):

सरकार ने विदेशी निवेश के लक्ष्य की प्राप्ति के अनेक नीति उपाय आरम्भ किये जो निम्नलिखित अनुसार हैं:

1. देश के 48 उच्च वरीयता पूर्ण उद्योगों को 51% तक विदेशी इक्यूटी निवेश के लिये स्व-स्वीकृति की सुविधा दी गई है । खनन से सम्बन्धित तीन उद्योगों तथा 9 अन्य पूंजी गहन संरचनात्मक उद्योग को क्रमशः 50% और 74% विदेशी इक्यूटियां प्राप्त करने की आज्ञा दी गई है ।

2. आप्रवासी भारतीयों को निवेश की इजाजत दी गई जिसमें (100%) इक्यूटी उच्च वरीयता वाले उद्योग को देश प्रत्यावर्तन की आज्ञा होगी ।

3. विदेशी पूंजी निवेश के लिये नई मशीनरी लगाने की शर्त भी हटा दी गई ।

4. भारतीय रिजर्व बैंक ने भारत में जन्मे विदेशी नागरिकों को आर.बी.आई. से पूर्व आज्ञा प्राप्त किये बिना गृह-सम्पति खरीदने की आज्ञा दे दी ।

5. 8 जनवरी, 1993 (FERA) फेरा की शर्तों को उदार बना दिया गया और बाद में फेरा को फेमा (FEMA) द्वारा बदल दिया गया ।

6. 14 मई, 1992 से विदेशी कम्पनियों को भारत में अपनी वस्तुएं बेचने के लिये अपने व्यापार चिन्ह (Trademark) के प्रयोग की आज्ञा दे दी गई ।

7. सरकार ने विदेशी संस्थागत निवेशकों को भारत के पूंजी बाजार में निवेश करने की इजाजत दे दी । यह इजाजत तभी लागू होगी यदि वह सेबी (SEBI) के साथ पंजीकृत हैं तथा फेरा (FERA) के अधीन आर.बी.आई. से स्वीकृति लेते हैं ।

आरम्भिक और द्वितीयक बाजारों में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) द्वारा पोर्टफोलियो निवेश 24% से 40% तक बढ़ गया, सीमा को पुन: वर्ष 2001-02 के बजट में 49% तक बढ़ा दिया गया । एफ.आई.आई. को निर्देश दिया-गया कि अपने कुल निवेशों 70 : 30 के अनुपात में इक्यूटी और डीबैंचरों में निर्धारित करेंगे ।

8. सरकार ने 13 अप्रैल 1992 के मीगा (MIGA) (Multi-Lateral Investment Guarantee Agency) सम्मेलन में हस्ताक्षर किये जिससे विदेशी निवेशकों की सुरक्षा निश्चित होगी ।

9. सरकार ने कुछ उद्योगों को छोड़ कर (केवल छ: उद्योग जैसे विद्युत सम्बन्धी समान, हवाई क्षेत्र और सुरक्षा, औद्योगिक विस्फोटक और संकटमय रसायन, औषधियां, मादक पेय, सिगरेट और सिंगार) शेष सब में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश ‘विदेशी निवेश संवर्धन मण्डल’ की स्वीकृति के बिना किया जा सकता है ।

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