डॉ॰ धीरेन्द्र वर्मा । Biography of Dr. Dhirendra Verma in Hindi Language!

1. प्रस्तावना ।

2. जीवन परिचय एवं रचनाकर्म ।

3. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

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डॉ॰ धीरेन्द्र वर्मा हिन्दी भाषा-साहित्य और भाषा-विज्ञान के वैज्ञानिक दृष्टि सम्पन्न साहित्यकार हैं । हिन्दी भाषा तथा भाषा के वैज्ञानिकों ने पूर्ववर्ती समीक्षकों एवं भाषाविदों ने अपनी-अपनी दृष्टि से भाषा को परखा है और उसकी तात्विक एवं सूक्ष्म विवेचना की है, किन्तु धीरेन्द्र वर्माजी ने हिन्दी साहित्य व शोध के अध्ययन हेतु एक सुव्यविस्थत आधार प्रदान किया तथा इस मार्ग में आने वाली बाधाओं के प्रति भी सचेष्ट कराया । जिस प्रकार आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने हिन्दी समीक्षा को नयी दिशा दी, उसी तरह डॉ॰ धीरेन्द्र वर्मा ने हिन्दी साहित्य में शोध की दिशा को नये आयाम दिये ।

2. जीवन परिचय एवं रचनाकर्म:

डॉ॰ धीरेन्द्र वर्मा का जन्म 1897 को (उ॰प्र॰) के बरेली में हुआ था । उनके पिता आर्यसमाजी थे, अत: आर्यसमाज के परम्परावादी विचारों का प्रभाव उन पर भी कायम रहा । उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा देहरादून से पूर्ण की । तत्पश्चात् वे हाई स्कूल की पढ़ाई पूर्ण करने ‘क्वीन्स एंग्लो’ हाई स्कूल चले आये ।

उन्होंने प्रयाग के म्योर सेन्द्रल कॉलेज से बी॰ए॰ तथा संस्कृत में एम॰ए॰ की परीक्षा उत्तीर्ण की । सन् 1924 में उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रवक्ता के पद पर कार्य किया । बाद में विभागाध्यक्ष भी हो गये । उन्होंने डी॰लिट॰ की उपाधि डॉ॰ प्रसन्न कुमार आचार्य के निर्देशन में पूर्ण की ।

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प्रयाग में हिन्दी विभागाध्यक्ष के रूप में उन्होंने न केवल स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तर पर पादयक्रम का नियोजन करवाया, साथ ही शोधार्थियों को उचित मार्गदर्शन व निर्देशन दिया । भाषा-विज्ञान के व्यापक अध्ययन हेतु वे पेरिस गये और वहां की यूनिवर्सिटी से डी॰लिट॰ की उपाधि भी प्राप्त की ।

उनका यह शोध प्रबन्ध फ्रेंच भाषा में था, जो कालान्तर में हिन्दी में अनुदित हुआ । अपने दिशा निर्देश में डॉ॰ वर्मा ने न जाने कितने शोधकर्ताओं को भाषा शास्त्र की आधुनिक प्रणालियों से परिचित कराते हुए नयी ऊंचाइयां दीं । डॉ॰ वर्मा ने ‘अखिल भारतीय हिन्दी परिषद’ की स्थापना कर भाषा सम्बन्धी उन्नयन का कार्य किया ।

“हिन्दी अनुशीलन” पत्रिका का प्रारम्भ कर हिन्दी इतिहास सम्बन्धी ग्रन्थों की जानकारियां प्रदान करने में वे अग्रणी रहें । वे प्रथम हिन्दी ”विश्वकोश” तथा ”हिन्दी शब्दसागर” के सम्पादन सम्बन्धी कार्यो से जुड़े       रहे । जबलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे । उनकी कृतियों में: ”हिन्दी भाषा का इतिहास”, ”नवीन हिन्दी व्याकरण”, ”ब्रजभाषा व्याकरण”, “अष्टछाप”, “वाल्मीकि रामायण”, “मेरी कॉलेज डायरी”, ”यूरोप के पत्र”, इत्यादि हैं ।

3. उपसंहार:

नि:सन्देह ही डॉ॰ धीरेन्द्र वर्मा एक ऐसे भाषाविद् थे, जिन्होंने हिन्दी भाषा और साहित्य के अध्ययन-अध्यापन, शोध की नयी प्रणालियों को विकसित किया । उनका निधन 23 अप्रैल, 1973 को हुआ ।

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