उपेंद्रनाथ अशोक की जीवनी | Biography of Upendranath Ashk in Hindi!

1. प्रस्तावना ।

2. जीवन परिचय एवं रचनाकर्म ।

3. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

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उपेन्द्रनाथ अश्क हिन्दी के श्रेष्ठ कवि, उपन्यासकार, नाटककार, एकांकीकार रहे हैं । वे एक ऐसे जागरूक साहित्यकार के रूप में जाने जाते हैं, जिन्होंने सामाजिक स्थितियों और वर्जनाओं के खिलाफ अपनी प्रखर अभिव्यक्ति को स्वर दिया ।

कविता के क्षेत्र में नवीन प्रतिमानों की स्थापना की । सामाजिक विषयों पर लिखे गये उनके नाटक और एकांकी अत्यन्त ही प्रभावशाली हैं । वे प्रेमचन्दयुगीन कथा-परम्परा को वर्तमान से जोड़ने वाले लेखक थे ।

2. जीवन परिचय एवं रचनाकर्म:

उपेन्द्रनाथ अश्कजी का जन्म 14 दिसम्बर, 1919 को जालन्धर के निम्न मध्यवर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था । 1931 में स्नातक की शिक्षा प्राप्त कर 1936 में कानून की परीक्षा उत्तीर्ण की । 1930 से उर्दू और पंजाबी में और फिर 1985 तक हिन्दी में बहुत कुछ लिखा । उन्होंने ”भूचाल” नामक पत्रिका का सम्पादन भी किया ।

1936 में लम्बी बीमारी की वजह से उनकी पत्नी का देहावसान हो गया । तब उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन के सुख-दुखों को अपनी कृतियों में उतारा । सन् 1941 में उन्होंने दूसरा विवाह किया और ”ऑल इण्डिया रेडियो” में नौकरी कर ली । 1953 के बाद उन्होंने इलाहाबाद आकर ”नीलाभ” प्रकाशन गृह की स्थापना की ।

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1965 में उनको संगीत नाटक अकादमी की ओर से सर्वश्रेष्ठ नाटककार का पुरस्कार मिला । 1972 में उनको 8 हजार रुपये का “सोवियत लैण्ड” पुररकार भी प्रदान किया गया । उन्होंने उपन्यास, कहानी. निबन्ध, कविता, संस्मरण भी लिखे ।

उनके एकांकियों में: ”पापी”, ”मोहबत”, ”लक्ष्मी का स्वागत”, ”विवाह के दिन”, “चरवाहे”, “मेमना”, ”देवताओं की छाया”, ”अंधी गली”, “तौलिये” तथा उपन्यासों में: “गिरती दीवारें”, ”एक नन्हीं कंदील” । संस्मरणों में: ”मंटो मेरा दुश्मन”, ”दीप जलेगा”,  तथा पांच काव्य संग्रहों में: ”बरगद की बेटी”, ”चांदनी रात और अजगर”, “सड़कों पर ढले रनाये”, प्रमुख हैं ।

‘बरगद की बेटी’ एक प्रणय गाथा है, जिसमें आधुनिक ग्राम्य जीवन की झांकी का चित्रांकन भी है । बरगद की बेटी का कथानक प्रकृति का सुखद माहौल है । उसकी भाषा सरल है । इसमें नारी की विवशताजन्य स्थिति के साथ-साथ उसकी स्वतन्त्रता की पुकार है ।

जब नारी को मिल जायेगा, उसका खोया अपनापन ।

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एक नया युग आने को है, शोषण मिट जाने को है ।

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”चांदनी रात और अजगर” वर्ग समाज की विषमता का प्रतीकात्मक चित्रण है । पूंजीपति समाज के ऐसे जहरीले अजगर है, जो गरीब प्रतिभाओं का गला घोंटकर स्वयं तो गुलछर्रे उड़ाते हैं और प्रतिभाओं को पनपने नहीं देते है । उनके एकांकियों में सामाजिक तथा पारिवारिक जीवनशैली एवं दर्शन का मनोवैज्ञानिक चित्रण है ।

अश्कजी की प्राथमिक भाषा उर्दू है, जिसमें उर्दू फारसी, संस्कृत और अंग्रेजी के शब्द यथास्थान प्रयुक्त हुए हैं । उनकी भाषा सरल प्रवाहमयी है । शैली नाटकीय, अभिनयपरक एव चित्रात्मक हैं । इनकी एकांकियों और नाटक के संवाद पात्रानुकूल तथा प्रतीकात्मक, सूक्तिपरक है ।

”सूखी डाली” इस एकाकी में उन्होंने संयुक्त परिवार के प्राचीनकालीन आदर्श की स्थापना की है, जिसमें एकता, सौहार्द्र एवं प्रेम है । तौलिये एकांकी में उन्होंने यह मनोवैज्ञानिक सन्देश दिया कि संस्कृति और सभ्यता में इतना अधिक दिखावा नहीं होना चाहिए कि हम दूसरों को अपनी तुलना में उपेक्षित व हीन समझें । हमारी सोच में मानवीयता होनी चाहिए । अश्कजी की मृत्यु 19 जनवरी सन् 1996 को हुई ।

3. उपसंहार:

अश्कजी हिन्दी के नाटककार, एकांकीकार, उपन्यासकार, कवि, समीक्षक के रूप में अपनी बहुमुखी प्रतिभा के कारण जाने जाते रहेंगे । मानवीय भावनाओं का सहज चित्रण उनकी रचनाओं की विशेषता है । हिन्दी साहित्य की समृद्धि में वे अपने योगदान के लिए याद किये जाते रहेंगे ।

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