चेक: प्रकार, सावधानियां और डिशोनर | Read this article in Hindi to learn about:- 1. चैक के प्रकार (Kinds of Cheque) 2. बैंक लिखने में बरती जाने वाली सावधानियाँ (Precautions in Writing a Cheque) 3. अनादरण (Dishonour).

चैक के प्रकार (Kinds of Cheque):

अपनी विशेषताओं के आधार पर चैक निम्न प्रकार के होते हैं:

(A) आदाता के आधार पर (On the Basis of Payee):

चैक में लिखित धन राशि के भुगतान प्राप्त करने के अधिकारी के आधार पर चैक के निम्न दो रूप हो सकते हैं:

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(1) वाहक चैक (Bearer Cheque):

वाहक चैक केवल सुपुर्दगी द्वार ही विनिमय साध्य होता है । इसे पृष्ठांकित करने की आवश्यकता नहीं होती है । यह एक ऐसा चैक होता है जिसका भुगतान बैंक किसी भी ऐसे व्यक्ति को कर देता है जो उसे भुगतान हेतु बैंक में प्रस्तुत करता है । इस चैक में आदाता के नाम के पश्चात् ‘अथवा वाहक’ (or Bearer) शब्द लिखा होता है । यदि आदाता ऐसे चैक का भुगतान किसी अन्य व्यक्ति को दिलाना चाहता है तो चैक पर पृष्ठांकन की आवश्यकता नहीं होती है ।

(2) आदेश चैक (Order Cheque):

ऐसा चैक किसी निर्दिष्ट व्यक्ति या उसके आदेशित व्यक्ति को ही देय होता है । इस प्रकार के चैक में आदाता के नाम के साथ ‘अथवा आदेश पर’ (or Order) लिखा रहता है । इस प्रकार के चैक का भुगतान बैंक केवल उसी व्यक्ति को करता है जिसका नाम उस पर लिखा होता है ।

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यदि ऐसा व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को उसका भुगतान कराना चाहता है तो उसे चैक के पृष्ठ भाग पर ऐसे व्यक्ति का नाम लिखकर पृष्ठांकन करना पड़ेगा और अपने हस्ताक्षर करने पड़ेंगे । यदि किसी चैक में पाने वाले के नाम के पश्चात् कोई भी शब्द न लिखा हो, तो इसे आदेश चैक माना जायेगा ।

यदि पाने वाले के नाम के पश्चात् ‘Only’ शब्द लिख दिया जाये तो ऐसे चैक का भुगतान केवल उसी व्यक्ति को प्राप्त हो सकता है। यदि कोई आदेश पर देय चैक स्वयं आहर्ता को देय बनाया गया हो तो उसे ‘स्वयं को देय’ (Payable to Self) चैक या ‘Self Cheque’ कहते हैं ।

(B) रेखांकन के आधार पर (On the Basis of Crossing):

रेखांकन के आधार पर भी चैक निम्न दो प्रकार के होते हैं:

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(1) रेखांकित चैक (Crossed Cheque):

यह एक ऐसा चैक होता है जिसके मुख पर दो तिरछी रेखाएं खिची होती है । इन रेखाओं के बीच में कुछ शब्द लिखे हो सकते है अथवा नहीं । ऐसे चैक का भुगतान बैंक की खिड़की पर प्राप्त नहीं किया जा सकता । उसको आदाता के खाते में जमा किया जाता है और उसका भुगतान बैंक के माध्यम से भी संभव होता है । रेखांकन से चैक सुरक्षित हो जाता है । यदि कोई बैंक रेखांकित चैक का भुगतान खिड़की पर कर देता है तो उसके लिए वह स्वयं दायी होता है ।

(2) खुला चैक (Open Cheque):

यह वह चैक होता है जिसके मुख पर तिरछी रेखाएँ न खिची हो अथवा किसी अतिरिक्त बैंक का नाम तिरछे रूप में न लिखा हो । सरल शब्दों में, जो चैक रेखांकित न हो, उसे खुला चैक कहते है । ऐसे चैक का भुगतान बैंक की खिड़की पर प्राप्त किया जा सकता है ।

(C) कोषों की उपलब्धता के आधार पर (On the Basis of Availability of Funds):

निर्गमित चैक के पीछे बैंक के पास ग्राहक के खाते में कोषों की उपलब्धता के आधार पर चैक निम्न दो प्रकार के हो सकते हैं:

(1) प्रमाणित या चिन्हित चैक (Certified or Market Cheque):

जब आहर्ती बैंक किसी चैक को भुगतान योग्य घोषित करने की दृष्टि से उसे प्रमाणित या चिन्हित कर देता है तो उसे चिन्हित चैक कहते है । ऐसे चैक पर बैंक अपनी मोहर या चिन्ह लगाकर उसकी वैधता को प्रमाणित कर देता है । चैक को चिन्हित करने से यह विश्वास हो जाता है कि उसके आहर्ता ने उसे सद्‌भावनापूर्वक पर्याप्त कोषों के आधार पर निर्गमित किया है । इससे चैक की साख और विनिमय साध्यता दोनों बढ़ जाती हैं ।

आहर्ती बैंक चैक को निम्न तीन परिस्थितियों में चिन्हित करता है:

(i) आहर्ता की आज्ञा पर,

(ii) धारक की प्रार्थना पर,

(iii) संग्रहणकर्ता बैंक कई प्रार्थना पर ।

(2) अशोध्य या दूषित चैक (Bad Cheque):

ऐसा चैक जो अन्य सब प्रकार से पूर्ण होते हुए भी भुगतान के अयोग्य हो, अशोध्य चैक कहलाता है । यदि चैक उत्तर-दिनांकित (Post-Dated) नहीं है, तो निम्नांकित परिस्थतियों में निर्गमित चैक दूषित माना जायेगा ।

(i) आहर्ता के खाते में कोष न होने पर अथवा अपर्याप्त कोष होने पर,

(ii) खाता निरस्त हो जाने पर अथवा खाते की कुर्की (Attachment) हो जाने पर,

(iii) आहर्ता के खाते से चैक का कोई सम्बन्ध न होने पर,

(iv) आहर्ता के दिवालिया हो जाने पर किसी ऐसे व्यक्ति को चैक निर्गमित कर देना जिसे उसके दिवालिया होने की जानकारी न हो तथा

(v) चैक निर्गमित कर देने के पश्चात् उसके भुगतान को अनुचित ढंग से रोक देना अथवा उसे अनुचित रूप से निरस्त कर देना ।

(D) निर्माण, आदि के आधार पर (On the Basis of Making, etc.):

इस आधार पर चैक के निम्नांकित रूप देखने को मिल सकते हैं:

(1) कोरा चैक (Blank Cheque):

यह एक ऐसा चैक होता है जिसमें रकम लिखने के स्थान भरे छोड़कर शेष स्थान भरे होते हैं और कभी-कभी आहर्ता के हस्ताक्षर के अतिरिक्त कुछ भी भरा हुआ अथवा लिखा हुआ नहीं होता है । ऐसे चैक का धारक स्वयं अपनी इच्छानुसार रकम भर लेता है और निर्दिष्ट बैंक से उसे भुना लेता है । आहर्ता ऐसा चैक अपने अत्यन्त विश्वासपात्र व्यक्तियों के ही निर्गमित करता है ।

(2) पूर्व-दिनांकित चैक (Ante-Dated Cheque):

यदि चैक में उसके निर्गमन करने की तिथि से पहले की कोई तिथि अंकित कर दी जाये तो उसे पूर्व तिथीय चैक कहते हैं । ऐसे चैकों के निर्गमन पर कोई कानूनी प्रतिबन्ध नहीं है ।

(3) उत्तर-दिनांकित चैक (Post-Dated Cheque):

जब किसी चैक पर उसके निर्गमन करते समय निर्गमन की आगे की तिथि अंकित कर दी जाती है तो उसे उत्तरतिथीय चैक कहते है । ऐसे चैक उस तिथि तक अशोध्य (भुगतान प्राप्त नहीं किया जाना) रहते है जो उस पर अंकित होती है ।

इस प्रकार के चैको के निर्गमन के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:

(i) चैक निर्गमन करते समय आहर्ता के खाते में पर्याप्त धनराशि न होना तथा चैक पर अंकित भावी तिथि से पूर्व तक पर्याप्त धन राशि उपलब्ध होने की संभावना न होना तथा

(ii) आहर्ता किसी वचन के निष्पादन से पूर्व आदाता को भुगतान नहीं करना चाहता हो परन्तु यदि आदाता ने ऐसे चैक को उसकी तिथि से पूर्व ही किसी यथाविधि धारक को हस्तान्तरित कर दिया है तो ऐसा धारक आहर्ता से उसकी राशि वसूल कर सकता है, भले ही मूल आदाता ने आहर्ता में दिये हुए वचन का निष्पादन न किया हो ।

(4) काल तिरोहित अथवा पुराना चैक (State Cheque):

यह एक ऐसा चैक होता है जिसे निर्गमित किये एक निश्चित अवधि से अधिक समय हो गया हो अर्थात् जिसे निर्धारित अवधि में भुगतान हेतु बैंक के सम्मुख प्रस्तुत नहीं किया गया हो । विनिमय साध्य विलेख अधिनियम में बैंक में भुगतान हेतु चैक प्रस्तुत करने की ऐसी कोई अवधि निर्धारित नहीं की गयी है ।

व्यवहार में बैंक 3 माह से अधिक पुराने चैकों का भुगतान करने से मना कर देते हैं । 3 माह से अधिक पुराने चैकों का भुगतान बैंक द्वारा उसी परिस्थिति में किया जा सकता है जब आहर्ता उस पर पुरानी तिथि कटकर नई तिथि अंकित कर दे अथवा उसके भुगतान के सम्बन्ध में पुष्टि कर दे ।

(5) जाली चैक (Forged Cheque):

जब कोई व्यक्ति किसी चैक में कपटतापूर्ण तरीके से तथा बेईमानी के इरादे से उसके तथ्य/तथ्यों में परिवर्तन कर लेता है, अथवा उस पर आहर्ता या पृष्ठांकन के जाली हस्ताक्षर कर लेता है तो ऐसे चैक से जाली चैक कहते है । जाली चैक अवैध होता है ।

(6) विकृत चैक (Mutilated Cheque):

ऐसा चैक जो कट-फट गया हो अथवा सिकुड़ गया हो अथवा देखने में पुराना व गन्दा लगता हो अथवा उस पर लिखे गये अक्षर मिट गये हो अथवा उसके विभिन्न टुकड़ों को जोड़कर प्रस्तुत किया गया हो, विकृत चैक कहलाता है । बैकर ऐसे चैक का भुगतान करने से मना कर देता है ।

बैंक लिखने में बरती जाने वाली सावधानियाँ (Precautions in Writing a Cheque):

चैक भरते समय निम्नलिखित बातों का पूर्ण ध्यान रखा जाना चाहिए:

(1) चैक में उसके लिखने अथवा निर्गमन की तिथि अवश्य अंकित की जानी चाहिये । बिना तिथि अंकन के चैक अपूर्ण होता है और बैंक उसका पुगतान करने से मना कर सकता है ।

(2) चैक में उसके भुगतान प्राप्त करने वाले (आदाता) का नाम स्पष्ट लिखा होना चाहिये । यदि आहर्ता स्वयं ही उसका भुगतान प्राप्त करना चाहता है तो आदाता के स्थान पर ‘स्वयं’ (Self) लिखा जाना चाहिए ।

(3) चैक में आहरित धन राशि शब्दों में तथा अंकों में स्पष्ट रूप से लिखी जानी चाहिये । सुरक्षा की दृष्टि से शब्दों में लिखित धनराशि के तुरन्त बाद ‘Only’ शब्द भी लिख देना चाहिए । चैक की राशि रु. (Rs.) शब्द के बिल्कुल समीप लिखी जानी चाहिये । अंकों में लिखित राशि के तुरन्त बाद तिरछा डंडा मय डेश (/-) लगा देना चाहिये ।

(4) लिखने वाले को चैक पर बैंक में दिये गये नमूने वाले हस्ताक्षर ही करने चाहिये । हस्ताक्षर पेन से करने चाहिये न कि पेंसिल से ।

(5) चैक में आहर्ता को निर्दिष्ट स्थान पर खाता संख्या भी लिखनी चाहिये, यदि बैंकर ने नहीं लिख रखी हो तो । सामान्यतया बैंकर चैक बुक जारी करते समय ग्राहक के खाते की संख्या लिख देते है ।

(6) चैक को भरते समय स्वच्छता एवं स्पष्टता का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिये । शब्दों का वर्ण-विन्याश (Spelling) एकदम सही होना चाहिये ।

(7) यदि चैक में किसी प्रकार की कोई कट-पीट की गयी हो अथवा उसमें कुछ परिवर्तन किये गये हों तो ऐसे स्थानों पर आहर्ता को अपने हस्ताक्षर कर देने चाहिये । हस्ताक्षर के अभाव में बैंक ऐसे चैक का भुगतान करने से मना कर सकता है ।

(8) चैक से भरते समय ही उसका प्रतिपर्ण (Counterfoil) भर लिया जाना चाहिये ताकि लेखक के पास निर्गमित चैक की सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध रहे ।

(9) चैक को रोशनाई से लिखा जाना चाहिये । वर्तमान में डॉट पेन से लिखे चैकों को भी बैंक स्वीकार करते हैं ।

चैक का अनादरण (Dishonour of Cheque):

चैक बैंक को माँग पर भुगतान करने का आदेश होता है, फिर भी कुछ ऐसी परिस्थितियाँ हो जाती है, जिनमें बैंक चैक का भुगतान करने में असमर्थ होता है ।

ऐसी कुछ परिस्थितियों का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है:

(1) ग्राहक (लेखक) द्वारा ही चैक का भुगतान न करने की सलाह पर ।

(2) चैक के लेखक की मृत्यु की सूचना बैंक से प्राप्त हो जाने पर बैंक उस ग्राहक के खाते के चैक का भुगतान नहीं करता है ।

(3) ग्राहक के पागल हो जाने पर, जब बैंक को इसकी उचित सूचना मिल जाती है तो बैंक चैक का भुगतान नहीं करता है ।

(4) ग्राहक को जब न्यायालय द्वारा दिवालिया घोषित कर दिया जाता है तो बैंक उचित सूचना मिलने पर उस ग्राहक के चैकों का भुगतान नहीं करता है ।

(5) जब न्यायालय द्वारा बैंक से आदेश दे दिया जाता है कि किसी अमुक ग्राहक के खातों के भुगतानों को रोक दिया जाये तो न्यायालय की सूचना के पश्चात् चैक उस ग्राहक के बैंकों का भुगतान नहीं करता है ।

(6) खाते के बदलने की सूचना प्राप्त होने पर अर्थात् जब ग्राहक ने अपने सभी अधिकारों का हस्तांकन (बैंक के खाते के संचालन सहित) किसी अन्य व्यक्ति को कर दिया है तो इस खाते में पुराने चैक का भी भुगतान बैंक रोक सकता है ।

(7) चैक प्रस्तुत करने वाले अर्थात् भुगतान मांगने वाले व्यक्ति के सम्बन्ध में जब बैंक को किसी त्रुटि की सम्भावना लगे तो बैंक को उसस भुगतान नहीं करना चाहिए ।

(8) ग्राहक द्वारा जब बैंक को सूचना दी जाती है कि उन्होंने संस्था का हिसाब बन्द कर दिया है, तो उनके इस आदेश के अनुसार बैंक ग्राहक के चैकों का भुगतान नहीं करता है । उपर्युक्त के अतिरिक्त निम्न कुछ ऐसी परिस्थितियाँ है, जिनमें बैंक को कानूनी व्यवहार की सुरक्षा की दृष्टि से चैक का भुगतान नहीं करना चाहिए ।

(9) चैक पुराना हो गया हो अर्थात् चैक पर यदि 3 माह से अधिक पुरानी तारीख पडी होती है तो बैंक उस चैक का भुगतान करने से इन्कार कर सकता है ।

(10) चैक पर भविष्य की तारीख पडी होने पर भी बैंक चैक का उस तिथि के पूर्व भुगतान नहीं करेगा ।

(11) ग्राहक के खाते में पर्याप्त धनराशि जमा न होने पर ग्राहक की जमा राशि से अधिक के चैकों का भुगतान बैंक नहीं करता है ।

(12) चैक में किसी भी प्रकार के परिवर्तन के लिए उस पर ग्राहक के हस्ताक्षर होने चाहिए ऐसा न होने पर बैंक भुगतान नहीं करता है ।

(13) चैक बैंक की उसी शाखा में प्रस्तुत किया जाना चाहिए, जिसमें ग्राहक का खाता हो, अन्य किसी बैंक या किसी अन्य शाखा में प्रस्तुत होने पर बैंक मात्र प्रस्तुत करने वाले की ओर भुगतान मंगाने की व्यवस्था तो कर सकता है, परन्तु तत्काल नकद भुगतान नहीं किया जा सकता है ।

(14) संयुक्त खाते की दशा में जब संयुक्त हस्ताक्षर किये जाते हैं और किसी कारणवश दूसरे व्यक्ति के हस्ताक्षर न होने पर बैंक चैक का भुगतान नहीं करता है ।

(15) चैक कटा-कटा हो ।

(16) चैक के लेखक के हस्ताक्षर बैंक में दिये गये नमूने के हस्ताक्षर से भिन्न हों ।

(17) चैक पर किये गये बेचान नियमानुसार न हो । उपर्युक्त के अतिरिक्त अन्य अनेक तकनीकी कठिनाइयाँ हो सकती है जिनमें बैंक ग्राहक के चैक का भुगतान नहीं कर पाते हैं ।

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