Read this article in Hindi to learn about nine types of urban bodies. The types are:- 1. नगर पंचायत (Nagar Panchayat) 2. नगरपालिका (Municipality) 3. नगर निगम (Municipal Corporation) 4. महानगर पालिका निगम (Metropolitan Municipal Corporation) 5. अधिसूचित क्षेत्र समिति (Notified Area Committee) and a Few Others.

भारत में अधिकांशतया नगर पंचायत, नगरपालिका और नगर निगम प्रकार तीन प्रकार के नगरीय निकाय प्रचलित हैं । किन्तु विभिन्न राज्यों में अन्य प्रकार भी दिखायी देते हैं ।

कुल मिलाकर ये प्रकार प्रचलित हैं:

1. नगर पंचायत (Nagar Panchayat):

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74वें संशोधन द्वारा नगर पंचायत का प्रावधान । प्रत्येक राज्य का राज्यपाल गांव से नगर की तरफ संक्रमित क्षेत्र के लिये नगर पंचायत (या कोई अन्य नाम) का गठन करेगा । (इसके संगठन, स्वरूप, कार्य निर्वाचन का वर्णन पहले किया जा चुका है।)

2. नगरपालिका (Municipality):

74वें संशोधन द्वारा लघुत्तर श्रेणी के नगरों के लिये नगर पालिका का प्रावधान । छोटे नगरों के लिये राज्यपाल इनका गठन करता है ।

3. नगर निगम (Municipal Corporation):

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74वें संशोधन द्वारा वृहत्तर या बड़े नगरों के लिये नगर पालिका निगम का प्रावधान । इनका गठन भी राज्यपाल द्वारा करते है । इन्हें तुलनात्मक रूप से अधिक स्वायत्तता (वित्तीय विधि आदि संदर्भ में) प्राप्त होती हैं ।

4. महानगर पालिका निगम (Metropolitan Municipal Corporation):

10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र को राज्यपाल द्वारा महानगर घोषित किया जा सकता है । और ऐसे शहरों में महानगरपालिका निगमों की स्थापना राज्यपाल कर सकता है । नगरीय निकायों में सर्वाधिक स्वायत्त निकाय महानगरपालिका निगम ही होते है ।

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5. अधिसूचित क्षेत्र समिति (Notified Area Committee):

औद्योगिकीकरण, ऐतिहासिक संदर्भ, विशेष व्यवसायिक गतिविधि आदि के कारण जो नगर विशेष महत्व रखते हैं लेकिन नगर पालिका के लिये आवश्यक शर्तों को पूरा नहीं करते, वहां अधिसूचित क्षेत्र समिति का गठन राज्यपाल करता है ।

इसकी विशेषताएं हैं:

a. राजपत्र में अधिसूचना के माध्यम से गठन अत: अधिसूचित कहलाते हैं ।

b. अधिसूचना के द्वारा ही स्वरूप, संगठन, कार्य, शक्तियों का प्रदत्तीकरण ।

c. राज्य के नगरपालिका अधिनियम के तहत शासित लेकिन अधिसूचना द्वारा लागू किया जाना आवश्यक ।

d. नगरपालिका के समकक्ष स्तर ।

e. अध्यक्ष और सदस्यों का नामांकन (राज्य सरकार द्वारा) न कि निर्वाचन ।

6. नगर क्षेत्र समिति (Town Area Committee):

लघुत्तर शहरों में सीमित नगरीय कार्यों, जैसे- सड़क, जल निकासी, प्रकाश, पर्यावरण संरक्षण आदि के लिये ”नगर क्षेत्र समिति” की स्थापना राज्य सरकार अधिनियम के द्वारा करती है ।

7. टाऊनशीप (Township):

a. यह सार्वजनिक उपक्रमों की कालोनियों में कार्यरत स्थानीय शासन का रूप है ।

b. उपक्रम अपनी कालोनी के निवासियों की मूलभूत नागरिक जरूरतों को पूरा करने के लिये “टाऊनशीप प्रशासन” स्थापित करता है ।

c. इसमें कोई निर्वाचित सदस्य नहीं होता ।

8. पोर्ट ट्रस्ट (Port Trust):

संसदीय अधिनियम द्वारा पोर्ट ट्रस्ट का गठन ”बंदरगाह प्रशासन” के लिये किया जाता है ।

इसके दो प्रमुख कार्य दायित्व हैं:

(i) बंदरगाहों का प्रबंधन और सुरक्षा

(ii) बंदरगाह की आबादी को नागरिक सुविधाएं उपलब्ध कराना ।

संगठन:

पोर्ट ट्रस्ट में निर्वाचित (स्थानीय आबादी द्वारा) तथा नामित (केंद्र द्वारा) दोनों प्रकार के सदस्य होते हैं । अध्यक्ष नामित अधिकारी होता है ।

9. विशेष उद्देश्यात्मक अभिकरण (Special Purpose Agencies):

नगरीय क्षेत्रों में विशेष कार्य के सीमाबद्ध संपादन हेतु विशेष उद्देश्यात्मक अभिकरण गठित किये जाते हैं । इनका क्षेत्र और संबंधित नगरीय निकाय का क्षेत्र एक ही होता है लेकिन कार्य भिन्न होता है । जैसे- इन्दौर में नगर निगम और विकास प्राधिकरण दोनों है लेकिन पहले का काम शहर में नागरिक सुविधाओं की देखभाल है जबकि दूसरे का काम कालोनी विकास है ।

अत: पहला (नगर निगम) स्थानीय शासन की नियमित संस्था है, जबकि दूसरा (प्राधिकरण) क्षेत्र विकास की विशेष संस्था है । इन विशेष अभिकरणों का प्रचलन देश में विभिन्न भागों से है । यहां तक की एक ही राज्य में एक से अधिक स्वरूप प्रचलित हो सकते हैं ।

इनमें से कुछ प्रमुख हैं:

(i) शहरी विकास प्राधिकरण या क्षेत्र विकास प्राधिकरण,

(ii) नगर सुधार न्यास (Town Improvement Trust),

(iii) ग्रह निर्माण मण्डल (Housing Board),

(iv) प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Pollution Control Board),

(v) यातायात बोर्ड (Transport Board),

(vi) पेयजल आपूर्ति एवं जलमल निकासी मण्डल (Water Supply & Sewerage Board),

(vii) विद्युत आपूर्ति मण्डल (Electricity Supply Board) ।