Read this article in Hindi to learn about the contributions of Gulick and Urwick to the classical theory of scientific management.

1937 में गुलिक व अरविक द्वारा प्रकाशित पेपर्स ऑन दि साइंस ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन से क्लासिकीय सिद्धांत अपने शिखर पर पहुंच गया । इन दो क्लासिकीय चिंतकों ने हेनरी फेयॉल के विचारों को और विस्तृत किया । उन्होंने संगठन की क्रियाशीलता के निर्धारण में उसकी संरचना पर बल दिया ।

इस संदर्भ में अरविक ने कहा- मानवता के लिए संगठन के ज्ञान को बढ़ाना तब तक असंभव है जब तक कि अन्य सभी आकलनों से संरचना के तत्व को अलग न किया जाए, चाहे यह अलगाव कितना भी कृत्रिम लगे । वे संगठन को डिजायनिंग प्रक्रिया के रूप में देखते हैं और डिजायन की कमी को अतार्किक, क्रूर, बेकार और अकुशल मानते हैं ।

इस प्रकार उन्होंने गौर किया कि- ”इसीलिए संगठन पर विचार विमर्श करने में ‘यांत्रिक समानांतर’ काफी सहयोगी हो सकता है । इसका दूसरा नाम है- इंजीनियरिंग दृष्टिकोण ।” गुलिक व अरविक ने अपने प्रयासों को उन तटस्थ सिद्धांतों की खोज पर केन्द्रित किया जिनके आधार पर संगठन के ढाँचे का रूप निर्धारित किया जा सकता है । उन्होंने कहा कि इन सिद्धांतों का नाता औपचारिक संगठन के संघटन तंत्र से है और उनका लक्ष्य सांगठनिक कुशलता का स्तर ऊँचा करना है ।

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गुलिक ने संगठन के निम्नलिखित दस सिद्धांतों की पहचान की:

(i) कार्य-विभाजन या विशिष्टीकरण,

(ii) विभागीय संगठनों के आधार,

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(iii) पदानुक्रम के माध्यम से तालमेल,

(iv) विचारों द्वारा सोचा-समझा तालमेल,

(v) विकेंद्रीकरण या नियंत्रण कंपनी का विचार,

(vi) निर्देशों में एकता,

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(vii) स्टाफ व लाइन,

(viii) प्रत्यायोजन,

(ix) नियंत्रण का दायरा ।

किंतु गुलिक के अनुसार, सर्वाधिक महत्वपूर्ण सिद्धांत कार्य विभाजन (विशिष्टीकरण) है । इसीलिए वह लिखते हैं- ”कार्य विभाजन संगठन की बुनियाद है; बल्कि वह संगठन की वजह है । कार्य विभाजन और एकीकरण ही वे माध्यम हैं जिनसे मनुष्य जाति सभ्यता की प्रक्रिया में खुद को उन्नत करती है ।”

गुलिक ने विभागीय संगठनों की चार बुनियादों की पहचान की प्रयोजन (कार्य या Purpose), प्रक्रिया (Process या कौशल), व्यक्ति (Persons या उपभोक्ता) और स्थान (Place या क्षेत्र) । उन्होंने इस 4-P सूत्र कहा । गुलिक के अनुसार, प्रशासन सात तत्वों (कार्यों) से बनता है । उन्होंने संक्षेप नाम ”POSDCORB” का प्रयोग इन कार्यों की पहचान करने के लिए किया । इस नाम में हर अक्षर प्रशासन के एक कार्य (तत्व) का प्रतिनिधित्व करता है ।

इस प्रकार:

‘P’ अर्थात् योजना (Planning),

‘O’ अर्थात् संगठित करना (Organizing),

‘S’ अर्थात् कर्मचारी चयन (Staffing),

‘D’ अर्थात् निर्देशन (Directing),

‘CO’ अर्थात् तालमेल करना (Co-Ordinating),

‘R’ अर्थात् रपट देना (Reporting),

‘B’ अर्थात् बजट बनाना (Budgeting) ।

उसी प्रकार, अरविक ने संगठन के आठ सिद्धांत बताए:

(i) उद्देश्य का सिद्धांत- किसी संगठन का एक अभिव्यक्त प्रयोजन होना चाहिए ।

(ii) तदनुरूपता का सिद्धांत- सभी स्तरों पर प्राप्ति प्राधिकार और जिम्मेदारी को सहवसानी व समान होना चाहिए ।

(iii) जिम्मेदारी का सिद्धांत- श्रेष्ठतरों को अपने अधीनस्थों के काम की पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए ।

(iv) स्फेलीय सिद्धांत- संगठन में एक पिरामिडीय प्रकार का ढाँचा बनाया जाना चाहिए ।

(v) नियत्रंण के दायरे का सिद्धांत- कोई भी पर्यवेक्षक ऐसे पाँच या ज्यादा से ज्यादा छह अधीनस्थों के कार्य का पर्यवेक्षण नहीं कर सकता जिनके काम आपस में जुड़े हों ।

(vi) विशिष्टीकरण का सिद्धांत- किसी के काम को एकमात्र जिम्मेदारी तक सीमित करना ।

(vii) तालमेल का सिद्धांत- संगठन के विभिन्न अंगों का सामंजस्यपूर्ण ढंग से काम करना ।

(viii) निर्धारण का सिद्धांत- हर पद और अन्य पदों के साथ इसके संबंधों और उसके प्राधिकार, काम और जिम्मेदारियों का स्पष्ट निर्धारण (लिखित परिभाषा) होनी चाहिए ।

बाद में 1943 में अरविक ने अपनी सर्वप्रसिद्ध पुस्तक दि एलिमेंर्ट्स ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन प्रकाशित की । इसमें उन्होंने उनतीस सिद्धांतों का एक दूसरा समुच्चय पेश किया ।

इस काम में उन्होंने एफ. डब्ल्यू. टेलर के वैज्ञानिक प्रबंधन के सिद्धांतों, हेनरी फेयॉल के प्रशासन के चौदह सिद्धांतों, मूनी व रेली के सिद्धांत, प्रक्रिया और प्रभार और एम. पी. फॉलेट व वी. ए. ग्राइकनस के विचारों को संश्लेषित और समाहित किया ।

उन्हें नीचे दिया जा रहा है:

1. अनुप्रयोगात्मक (Applicative),

2. उपयुक्तता (Appropriateness),

3. कार्यों को सौंपना (Assignment of Function),

4. प्राधिकार (Authority),

5. केंद्रीकरण (Centralization),

6. निर्देश (Command),

7. नियंत्रण (Control),

8. समन्वय (Co-Ordination),

9. समन्वयक सिद्धांत (Co-Ordinative Principle),

10. प्रत्यायोजन (Delegation),

11. निर्धारक (Determinative),

12. अनुशासन (Discipline),

13. साम्य (Equity),

14. पूर्वानुमाननीयता (Forecasting),

15. कार्यात्मक परिभाषा (Functional Definition),

16. सामान्य हित (General Interest),

17. पहल (Initiative),

18. व्याख्यात्मक (Interpretative),

19. जाँच (Investigation),

20. नेतृत्व (Leadership),

21. क्रम (Order),

22. संगठन (Organization),

23. नियोजन (Planning),

24. पुरस्कार व अनुदान (Rewards and Sanctions),

25. स्केलीय प्रक्रिया (Scaler Process),

26. चयन व तैनाती (Selection and Placement),

27. भावना (Spirit),

28. स्थिरता (Stability),

29. कर्मचारी नियुक्ति (Staffing) ।