Read this article in Hindi to learn about the classical theory of scientific management.

प्रशासन के क्लासिकीय सिद्धांत का विकास बीसवी सदी के पूर्वार्द्ध में हुआ । इस सिद्धांत के मुख्य प्रवर्तक हैं- हेनरी फेयॉल, लूथर गुलिक, लिंडल अरविक, जे.डी. मूनी, ए.सी. रेली, मैरी पार्कर फॉलेट और आर. शेल्टन । 1935 में गुलिक व अरविक के पेपर्स ऑन दि साईंस ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन के प्रकाशन के साथ यह सिद्धांत अपनी पराकाष्ठा पर पहुंचा ।

यह पुस्तक प्रशासन के क्लासिकीय उपागम का सबसे भरोसेमंद प्रतिपादन है । क्लासिकीय सिद्धांत अन्य कई नामों से जाना जाता है जैसे- ‘परंपरागत सिद्धांत’, ‘औपचारिक संगठन सिद्धांत’, ‘यांत्रिक सिद्धांत’, ‘संरचनात्मक सिद्धांत’ और ‘प्रबंधन प्रक्रिया स्कूल’ । मार्च और साइमन ने इसे ‘प्रशासनिक प्रबंधन सिद्धांत’ भी कहा है ।

टेलर का ‘वैज्ञानिक प्रबंधन’ संगठन के कारखाना स्तर की कुशलता पर ध्यान केंद्रित करता है । उसके विपरीत क्लासिकीय सिद्धांत संगठन की एक विस्तृत समझ है जिसका सरोकार औपचारिक सांगठनिक संरचना के साथ ही प्रशासन (प्रबंधन) की विधि से है । इसकी लाक्षणिक विशेषताएँ हैं- विशिष्टीकरण (कामों का बँटवारा), वर्गीकरण, तर्कसंगति, अवैयक्तिकता और कुशलता । लेकिन श्रम विभाजन क्लासिकीय सिद्धांत की केंद्रीय विशेषता है ।

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जैसा कि हिक्स व गुलेट उचित ही कहते हैं- ”संगठन का क्लासिकीय सिद्धांत व्यवस्था, तर्कसंगतता, संरचना और विशिष्टीकरण पर जोर देता है । इसके अतिरिक्त, यह कर्मचारियों के ‘आर्थिक मनुष्य’ उपागम को सामान्य तौर पर स्वीकार करता है, जिसके अनुसार, कोई कर्मचारी सिर्फ आर्थिक प्रोत्साहन से प्रेरित होता है ।”

क्लासिकीय चिंतकों का यह दृढ़ विश्वास था कि अगर संगठन कुछ मूलभूत सिद्धांतों के अनुरूप बना हो तब उसकी कुशलता और अर्थव्यवस्था को अधिकतम संभव रूप से बेहतर बनाया जा सकता है । संगठन के सिद्धांतों को निर्धारित करना उनका मुख्य काम बन गया ।

उनका मानना था कि प्रशासन सभी जगह समान है काम की प्रकृति, प्रकार और परिप्रेक्ष्य कुछ भी हो, प्रशासन सिर्फ प्रशासन होता है । इस तरह उन्होंने यह नतीजा निकाला कि प्रशासन के सिद्धांत सार्वभौमिक रूप से वैध हैं, इसलिए ये सभी प्रकार के संगठनों में लागू होते हैं ।

जैसा कि मोहित भट्टाचार्य का मत है- ”यह प्रत्यक्षवाद और सार्वभौमिकता का दावा है । प्रशासन एक विज्ञान है और इसके सिद्धांत सार्वभौमिक रूप से लागू होते हैं ।” गुलिक व अरविक ने अपने पेपर्स ऑन दि साइंस ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन में संगठन के क्लासिकीय सिद्धांत का सार प्रस्तुत किया ।

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उन्होंने कहा- ”यह इस शोधपत्र की सामान्य प्रस्थापना है कि ऐसे सिद्धांत हैं जिन तक मानव संगठन के अध्ययन द्वारा आगमनात्मक तरीके से पहुँचा जा सकता है और जो किसी भी किस्म के मानव संघ की व्यवस्था को चलाते हैं । उपक्रम का उद्देश्य, इसमें शामिल कर्मचारी वर्ग, इसकी रचना में निहित संवैधानिक, राजनीतिक या सामाजिक सिद्धांत कुछ भी हो, इन सिद्धांतों का तकनीकी सवालों के रूप में अध्ययन किया जा सकता है ।”