Read this article in Hindi to learn about:- 1. प्रधानमंत्री कार्यालय (Introduction to Prime Minister’s Office) 2. प्रधानमंत्री कार्यालय का संरचना (Composition of Prime Minister’s Office) 3. कार्य (Functions) 4. बदलती भूमिका (Changing Role).

प्रधानमंत्री कार्यालय (Introduction to Prime Minister’s Office):

प्रधानमंत्री सरकार के प्रमुख और वास्तविक कार्यकारी प्राधिकारी के रूप में देश की राजनीतिक प्रशासनिक प्रणाली के अंतर्गत अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । प्रधानमंत्री कार्यालय का काम है- प्रधानमंत्री की भारी जिम्मेदारियों को पूरा करने के कार्य में उसकी सहायता करना ।

अतः प्रधानमंत्री कार्यालय एक स्टॉफ एजेंसी है जो प्रधानमंत्री को सचिव सहायता और महत्त्वपूर्ण मुद्दों से संबंधित सलाह देती है । भारत सरकार में उच्च स्तर पर नीति निर्धारण की प्रक्रिया में इस कार्यालय की महत्त्वपूर्ण भूमिका है । फिर भी यह संस्था संविधान की परिधि से बाहर की है ।

सरकारी कार्य विभाजन नियमावली, 1961 के अंतर्गत प्रधानमंत्री कार्यालय को भारत सरकार के विभाग का दर्जा प्राप्त है । इसके अधीन कोई संबद्ध अथवा अधीनस्थ कार्यालय नहीं है । प्रधानमंत्री कार्यालय वर्ष 1947 में गवर्नर जनरल (कार्मिक) के सचिव की जगह अस्तित्व में आया । जून, 1977 तक इस कार्यालय को प्रधानमंत्री सचिवालय कहा जाता था ।

प्रधानमंत्री कार्यालय का संरचना (Composition of Prime Minister’s Office):

ADVERTISEMENTS:

प्रधानमंत्री और, प्रशासनिक प्रमुख प्रधान सचिव होता है । इसके अतिरिक्त इस कार्यालय में एक या दो अपर सचिव होते हैं चार से पाँच संयुक्त सचिव तथा कई निदेशक/उपसचिव और अवर सचिव होते हैं । इस कार्यालय में अन्य अधिकारी भी होते हैं जैसे निजी सचिव विशेष कार्य अधिकारी सामाजिक सचिव अनुसंधान अधिकारी और हिंदी अधिकारी आदि ।

इन अधिकारियों की सहायतार्थ अनुभाग अधिकारी उच्च श्रेणी लिपिक अवर श्रेणी लिपिक आशुलिपिक आदि होते हैं । इन कार्मिकों को सामान्यतः लोकसेवा से लिया जाता है और निश्चित समयावधि के लिए तैनात किया जाता है । इन कार्मिकों का दर्जा केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के अधिकारियों के समक्ष होता है ।

प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है जो निम्नलिखित कार्य करता है:

1. कार्यालय की सभी सरकारी फाइलों का निपटान करना ।

ADVERTISEMENTS:

2. प्रधानमंत्री के समक्ष सभी महत्त्वपूर्ण विषय सामग्री को आदेशार्थ और निर्देशार्थ रखना ।

3. प्रधानमंत्री द्वारा महत्त्वपूर्ण शिष्टमंडलों के साथ किए जाने वाले विचार-विमर्श से जुड़े विषयों से संबंधित नोट (टिप्पणी) तैयार करना ।

4. प्रधानमंत्री द्वारा सौंपे गए विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से संबंधित कार्य की देखभाल करना ।

5. कार्यालय के विभिन्न कर्मचारियों के कार्यों में तालमेल बनाए रखना ।

ADVERTISEMENTS:

6. प्रधानमंत्री को विदेश और देश से जुड़े विभिन्न मामलों पर सलाह देना ।

प्रधानमंत्री कार्यालय के कार्य (Functions of Prime Minister’s Office):

प्रधानमंत्री कार्यालय के कई कार्य हैं जो इस प्रकार हैं:

1. सरकार के प्रमुख के रूप में प्रधानमंत्री को, उसकी समग्र जिम्मेदारियों के मद्‌देनजर सहायता प्रदान करना । जैसे- केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों और राज्य सरकारों से संपर्क बनाए रखना आदि ।

2. योजना आयोग के अध्यक्ष और राष्ट्रीय विकास परिषद की जिम्मेदारियों के मद्‌देनजर प्रधानमंत्री की सहायता करना ।

3. प्रधानमंत्री के जन संपर्क से जुड़े कार्यों; जैसे- सर्वसाधारण और प्रेस से संपर्क आदि को संभालना ।

4. उन सभी संदर्भों का निपटान करना जो सरकारी कार्य विभाजन से संबंधित नियमावली के तहत प्रधानमंत्री के समक्ष लाए गए हों ।

5. निर्धारित नियमों के तहत प्रधानमंत्री के समक्ष आदेशार्थ प्रस्तुत मामलों की जाँच में प्रधानमंत्री की सहायता करना ।

6. राष्ट्रपति, राज्यपालों तथा देश में विदेशी प्रतिनिधियों के साथ संपर्क बनाए रखना ।

7. प्रधानमंत्री के लिए ‘विचार केंद्र’ के रूप में कार्य करना । प्रधानमंत्री कार्यालय में दो बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है- प्रथमतः यह कार्यालय उन सब विषयों का निपटान करता है जो किसी मंत्रालय/विभाग को नहीं सौंपे गए हैं ।

दूसरे, इस कार्यालय का केंद्रीय मंत्रिमंडल के अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री की जिम्मेदारियों से कोई संबंध नहीं है । मंत्रिमंडल से जुड़े मामले सीधे मंत्रिमंडल सचिवालय द्वारा निपटाए जाते हैं जो प्रधानमंत्री के निर्देशन में कार्य करता है ।

प्रधानमंत्री कार्यालय के बदलती भूमिका (Changing Role of Prime Minister’s Office):

प्रधानमंत्रियों के बदलते रहने के साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय की भूमिका में बदलाव आता रहता है । समय गुजरने के साथ-साथ प्रधानमंत्री कार्यालय के आकार में काफी वृद्धि हुई है इतनी कि वर्ष 1947 में इसके गठन के समय यह सोचा भी नहीं जा सकता था ।

पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्रित्वकाल में प्रधानमंत्री कार्यालय का आकार छोटा था और भूमिकाएँ सीमित थीं किंतु इसके बाद लाल बहादुर शास्त्री ने प्रधानमंत्री कार्यालय को सुदृढ़ किया और इसे शक्तिशाली बनाया । इंदिरा गांधी ने भी ऐसा ही किया ।

वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय की भूमिका को कम करने की कोशिश की और नाम परिवर्तित कर प्रधानमंत्री सचिवालय से प्रधानमंत्री कार्यालय कर दिया गया । जनता पार्टी के संक्षिप्त शासनकाल के बाद जब इंदिरा गांधी दोबारा सत्ता में आईं तो प्रधानमंत्री कार्यालय को पुन: सुदृढ़ता प्रदान की । यह प्रवृत्ति राजीव गांधी के समय तक जारी रही और आज भी है ।

वर्तमान में, प्रधानमंत्री कार्यालय में 350 से अधिक अधिकारी/कर्मचारी हैं । यह विशाल प्रतिष्ठान एक ‘समानांतर’ प्रशासन चलाता है अर्थात इस कार्यालय में केंद्र सरकार के प्रत्येक मंत्रालय/विभाग की प्रतिलिपि विद्यमान है । इस प्रवृत्ति के कारण मंत्रियों की प्रतिष्ठा धूमिल तो हुई ही है विभागीय नौकरशाही के अधिकार को भी क्षति पहुँची है ।

इस प्रकार, प्रधानमंत्री कार्यालय आधिकारिक स्तर पर शक्ति के प्रतिद्वंदी केंद्र के रूप में उभरा है जिस कारण भारतीय कैबिनेट प्रणाली की सरकार में कैबिनेट सचिवालय और कैबिनेट सचिव की वैधभूमिका, महत्ता प्राधिकार और पदस्थिति का हास (गिरावट) हुआ है ।

इस संदर्भ में अजय के मेहरा ने ठीक ही कहा है कि- ”संवैधानिक अनुभव शीर्ष कार्यकारी निकाय के लिए सहायक संस्थान के रूप में कैबिनेट सचिवालय को मान्यता प्रदान करता है न कि प्रधानमंत्री कार्यालय को । इस प्रकार प्रधानमंत्री कार्यालय से संबंधित विवाद इस कार्यालय के राजनीतिक स्थान स्थिति के अनुपात में अधिक शक्तिशाली होने मात्र पर नहीं है अपितु इस बात पर है कि इस कार्यालय ने कैबिनेट सचिवालय पर पूर्ण ग्रहण लगा दिया है ।”

इसलिए आलोचकों ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भिन्न-भिन्न संज्ञाओं से नवाजा है । जैसे- ‘सुपरकैबिनेट’, ‘माइक्रो कैबिनेट’, ‘सुपर मिनिस्ट्री’, ‘सुपर सेक्रेटेरिएट’, ‘सुपर अथॉरिटी’, ‘दी गवर्नमेंट ऑफ इंडिया’, ‘दी गवर्नमेंट ऑफ दी गवर्नमेंट ऑफ इंडिया’ आदि ।