Read this article in Hindi to learn about the evolution and functions of financial committee.

लोक लेखा समिति की उद्भव (Evolution of Financial Committee):

a. 1896 में वेल्वी आयोग ने सर्वप्रथम लोक लेखा समिति की स्थापना की अनुशंसा की थी ।

b. 1919 के अधिनियम में CAG की स्थापना के साथ इसके प्रतिवेदन पर विचार हेतु इस समिति की स्थापना को भी स्वीकार किया गया, परन्तु इसका गठन 1924 में ही हुआ ।

c. 1950 में स्वतंत्र भारत की पहली लोक लेखा समिति अस्तित्व में आयी, तब उसमें लोक सभा के 15 सदस्य थे । दिसम्बर 1553 में 7 राज्य सभा के सदस्य भी लिए गये तब से यह 22 सदस्यीय हो गयी है, यद्यपि इसका नया स्वरूप 1954 से स्वीकार किया जाता है ।

ADVERTISEMENTS:

d. इसके सभी सदस्य आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के आधार पर चुने जाते हैं ।

e. सन् 1969 से विरोधी दल के किसी सम्माननीय नेता को इस समिति का अध्यक्ष बनाने की परम्परा शुरू की गयी ।

गठन:

सर्वप्रथम 1924 में स्थापित: सार्वजनिक लेखा समिति की स्वतन्त्र भारत में स्थापना 1950 हुई जिसमें 1954 में राज्यसभा के 7 सदस्य जुड़े । इसमें शेष 15 सदस्य लोक सभा के होते हैं । 1969 से इसका अध्यक्ष विपक्षी सदस्यों में से लेने की परम्परा शुरू हुई । द्विवार्षिक कार्यकाल वाली इस समिति का चुनाव प्रतिवर्ष आनुपातिक आधार पर एकल संक्रमणीय पद्धति से होता है ।

लोक लेखा समिति के कार्य (Functions of Financial Committee):

ADVERTISEMENTS:

समिति अपना कार्य महालेखा परीक्षक (CAG) के प्रतिवेदन के प्रस्तुत होने पर शुरू करती है, क्योंकि उसकी जांच का आधार ”CAG” का प्रतिवेदन ही होता है । समिति की पहली बैठक में ”CAG” प्रतिवेदन के प्रमुख बिन्दुओं, मुद्दों, अनियमितताओं पर प्रकाश डालता है ।

समिति इसके बाद संसदीय कार्यवाही नियम 143 के तहत निम्नलिखित कार्यों को करती है:

ADVERTISEMENTS:

1. सरकार के विनियोजन लेखों का पुन: सूक्ष्म परीक्षण, CAG प्रतिवेदन के सन्दर्भ में करती है ।

2. धन की प्राप्ति और उसका व्यय विनियोजन अधिनियम में दी गयी स्वीकृति अनुसार किया गया है ।

3. क्या व्यय सक्षम अधिकारी द्वारा ही किया गया ? इसके अतिरिक्त समिति, निम्नलिखित कार्य भी करती हैं ।

4. निगमों, संस्थाओं, सार्वजनिक उपक्रमों और योजनाओं के आय-व्यय पहलुओं से संबंधित CAG की रिर्पोट पर विचार ।

5. राष्ट्रपति या संसद द्वारा निर्देशित करने पर CAG द्वारा किसी स्वतन्त्र निकाय या निगम के लेखों की जांच से संबंधित प्रतिवेदन पर विचार ।

6. राष्ट्रपति के निर्देश पर किसी भण्डार की जांच से संबंधित CAG-प्रतिवेदन पर विचार ।

7. संसद द्वारा किसी उद्देश्य-विशेष के लिए स्वीकृत राशि से अधिक व्यय हुआ है, तो उसकी जांच ।

उल्लेखनीय है कि समिति इनके अतिरिक्त हर उस लेखे की भी जांच कर सकती है, जो संसद के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है । समिति विचार करते समय विभागीय अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांग सकती है । वह किसी योजना या विभाग या निगम का स्थल निरीक्षण कर सकती है ।

वह राष्ट्रीय सुरक्षा को छोड़कर शेष किसी भी लेखे, प्रपत्र को जांच हेतु बुलवा सकती है । वह अपना प्रतिवेदन तैयार कर, CAG से उसके तथ्यों की पुष्टि करवाकर संसद के विचारार्थ प्रस्तुत करती है । उसकी सिफारिशों पर सरकार को कार्यवाही करने, न करने का अधिकार है, लेकिन सामान्यतया वे स्वीकार कर ली जाती है ।

समिति ने अब तक अनेक महत्वपूर्ण सिफारिशें की है जिनमें वित्तीय प्रशासन में सुधार भी शामिल है । उसने परियोजनाओं का परिणामों के सन्दर्भ में मूल्यांकन भी किया है और सरकार के अति व्यय पर अप्रत्यक्ष नियन्त्रण लगाने में मदद की है । वित्तीय अनियमताओं के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को दण्डित करने की सिफारिशें भी समिति ने की है ।

समिति की यह कहकर आलोचना की जाती है कि यह:

(1) CAG के प्रतिवेदन आने तक निष्क्रिय बन रहती है ।

(2) CAG प्रतिवेदन में उठाए गए मुद्दों तक सीमित रहती है ।

(3) यह राजनीतिक समिति है, विशेषज्ञ नहीं, अत: कार्यों में गुणवत्ता और निष्पक्षता दोनों का अभाव होता है ।

(4) यह पोस्टमार्टम करती है, अर्थात् अनियमितता तो हो चुकी होती है, खर्च धन वापस तो नहीं लाया जा सकता ।

(5) इसके कारण संसद अपने वित्तीय नियन्त्रण के कार्य से उदासीन हो जाती है ।

(6) सरकार इसकी सिफारिशों को गम्भीरता से नहीं लेती है ।

लेकिन उपर्युक्त आलोचनाएं एकपक्षीय है । सिडनी वेब के शब्दों में- ”भले ही पोस्टमार्टम से मृत जीवित न हो सके, लेकिन हत्याएं तो रुकती है ।” वस्तुत: समिति एक ऐसा मंच है जहां राजनीतिज्ञ-अधिकारी निकट आते है । समिति जनता के सम्मुख प्रशासन की खामियों, अनियमितताओं को प्रकट करने में सफल होती है, जिससे प्रशासन सदैव सचेत रहकर कार्य करता है । यही लोकतन्त्र में इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है ।

निष्कर्षत:

समिति ने संसद के कार्यभार को कम कर, उसकी और से शासन के वित्त प्रयोग की परीक्षा के दायित्व को अधिक कुशलता, विश्लेषण और प्रभावशाली ढंग से पूरा किया है ।