Read this article in Hindi to learn about:- 1. विकास की अवधारणा (Concept of Development) 2. विकास के प्रमुख संकेतक (Major Indicators of Development) 3. माप (Measurement).

विकास की अवधारणा (Concept of Development):

विकास आर्थिक शब्दावली है । सामान्य रूप से प्रगति, संवृद्धि, विकास को एक ही माना जाता है लेकिन इसमें अवधारणात्मक अन्तर है ।

1. प्रगति (Progress):

(i) Advancement is the Progress,

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(ii) प्रत्येक क्षेत्र में बेहतरी या कुछ सकारात्मक होना या बेहतरी की दिशा में आगे बढ़ना,

(iii) यह सदैव ही घनात्मक (+ve) होती है ।

2. संवृद्धि (Growth or Economic Growth):

(i) अर्थव्यवस्था में मात्रात्मक वृद्धि,

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(ii) GDP में वृद्धि इसी से संबंधित,

(iii) आर्थिक वृद्धि दर (Economic Growth Rate) ।

3. विकास (Development):

आर्थिक संवृद्धि उत्पादन की वृद्धि (मात्रात्मक) से संबंधित जबकि आर्थिक विकास तभी कहा जाएगा जब जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो (सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, मात्रात्मक + गुणात्मक) ।

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महबूब-उल-हक ने आर्थिक विकास को गरीबी के विरूद्ध के रूप में परिभाषित किया, चाहे वह गरीबी किस रूप की भी हो ।

इस प्रकार विकास शब्द मात्रा के साथ-साथ गुण (क्वालिटी) का भी बोध कराता है । किसी व्यक्ति, समूह या देश की अर्थव्यवस्था में अगर आर्थिक विकास हो रहा है तो मात्रात्मक प्रगति के साथ-साथ वहां गुणात्मक प्रगति भी हो रही होगी । मात्रात्मक और गुणात्मक संवृद्धि विकास है ।

इसका अर्थ यह हुआ कि विकास में संवृद्धि समाहित है । अत: विकास, संवृद्धि से ज्यादा व्यापक अवधारणा है । जहां किसी देश के सकल, उत्पादन (आय) का बढ़ाना संवृद्धि दर्शाता है । वहीं वहां शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, सुरक्षा आदि की बेहतरी उसके विकास का द्योतक है ।

विकास = आर्थिक वृद्धि दर + सतत विकास + समावेशी विकास |

विकास के प्रमुख संकेतक (Major Indicators of Development):

आधारभूत संरचना की स्थिति, शिक्षा और स्वास्थ की स्थिति, आती व्यक्ति आय, राष्ट्रीय आय और वितरण आदि विकास के आमुख संकेतक है ।

मानव विकास के प्रमुख संकेतक (Major Indicators of Human Development):

शिक्षा, जीवन आत्याशा (स्वास्थ्य), क्रयशक्ति (आतिव्यक्ति आय) मानव विकास के आमुख संकेतक है । इन्हें परिभाषित करने के लिए UNDP द्वारा आयास किया गया, जो विश्व के समक्ष महबुब-अल-हक द्वारा संपादित UNDP के आथम मानव विकास रिपोर्ट (HDR) के रूप में आया ।

विकास के लिए इस रिपोर्ट में ‘मानव विकास’ (Human Development) शब्द को प्रयुक्त किया गया, जिसका अर्थ था:

1. जीवन स्तर- जिसे दर्शाने के लिए क्रय शक्ति तुल्यता के आधार पर आती व्यक्ति वास्तविक आय को लिया जाता है ।

2. ज्ञान- जिसे वयस्कों में शिक्षा की पहुंच और स्कूल नामांकन द्वारा आंका जाता है ।

3. जीवन आत्याशा (जन्म के समय)- इनमें से पहला तत्व आर्थिक संवृद्धि (मात्रात्मक) है तथा दूसरा और तीसरा विकास के गुणात्मक पहलू हैं ।

विकास की माप (Measurement of Development):

विकास की माप के लिए तीन मदों- जीवन स्तर, ज्ञान और जीवन आत्याशा का एक सूचकांक (Index) बनाया गया जिसे ‘मानव विकास सूचकांक’ कहा गया है । इस सूचकांक (HDI) को एक के पैमाने (Scale of One) बनाया गया है तथा तीनों ही मदों को समान भार (0.333) आवंटित किया गया है ।

प्रत्येक अर्थव्यवस्था के इन तीनों ही क्षेत्रों की वार्षिक उपलब्धियों को इस सूचकांक के आधार पर अंकित किया जाता है जिससे उनकी स्थिति ‘शून्य से एक’ के बीच (0.000 से 1.000) आती है । अर्थव्यवस्थाओं को उनके सूचकांक पर पाये गये अंक के आधार पर श्रेणीक्रम (Ranking) में सजाकर वर्ष 1990 से प्रत्येक वर्ष मानव विकास रिपोर्ट तैयार तथा प्रकाशित (UNDP द्वारा) होती रही है ।

अध्ययन की सुविधा के लिए UNDP द्वारा विभिन्न स्तर के मानव विकास वाले देशों को तीन बड़े समूहों में वर्गीकृत किया गया है:

(1) उच्च मानव विकास देश:

उच्च मानव विकास देश उन्हें कहा जाता है जिनकी सूचकांक पर आंकिक उपलब्धि 0.800 से 1.000 अंकों के बीच होती है । समस्त यूरोप-अमेरिका इसी श्रेणी में है ।

(2) मध्यम मानव विकास देश:

मध्यम मानव विकास देश उन्हें कहा जाता है, जिनकी सूचकांक पर आंकिक उपलब्धि 0.500 से 0.799 अंकें के मध्य होती है । विश्व के अग्रणी विकासशील देश (भारत, चीन, ब्राजील द. अफ्रीका, इत्यादि) इस समूह में आते हैं ।

(3) निम्न मानव विकास देश:

निम्न मानव विकास देश के अंतर्गत वैसी अर्थव्यवस्थाएं आती हैं, जिनकी मानव विकास उपलब्धि सूचकांक पर 0.000 से 0.499 अंकों के बीच आती है । विश्व की पिछड़ी अर्थव्यवस्थाएं इसी समूह में आती हैं ।

(i) HDI की धारणा ‘कैपेबिलिटीज के विस्तार’ की अवधारणा पर आधारित ।

(ii) HDI मूल्य के आधार पर हम किसी देश की आर्थिक विकास की स्थिति पर प्रकाश डाल सकते हैं ।

(iii) HDI के तीन आधारभूत आयाम:

(a) जीवन स्तर (प्रति व्यक्ति आय),

(b) जीवन प्रत्याशा (स्वास्थ्य सुविधाएं),

(c) शिक्षा ज्ञान ।

(iv) HDI का उच्चतम मान 1 तथा न्यूनतम 0 तक हो सकता है ।

नियोजन प्रक्रिया के सन्दर्भ में यू.एन.डी.पी. संकेतक संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यू.एन.डी.पी.) द्वारा प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट में अग्रलिखित संकेतकों का प्रयोग किया गया है । ये संकेत भारत सहित अन्य विकासशील देशों में नियोजन प्रक्रिया के तहत प्राथमिकताओं के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं ।

(1) मानव विकास निर्देशांक:

यह जीवन प्रत्याशा आयु निर्देशांक, शिक्षा प्राप्ति निर्देशांक तथा समायोजित प्रति व्यक्ति सकल घरेलू (क्रय शक्ति क्षमता) निर्देशांक का साधारण समान्तर माध्य है । इसके द्वारा किसी देश में मानव विकास की स्थिति का पता चलता है ।

(2) लिंग-सम्बद्ध विकास निर्देशांक:

इस निर्देशांक का निर्माण जीवन प्रत्याशा आयु, शिक्षा प्राप्ति तथा समायोजित प्रति-व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (क्रय शक्ति क्षमता) के मामले में पुरुषों एवं महिलाओं के बीच पाई जाने वाली विषमता के आधार पर किया जाता है ।

(3) लिंग सशक्तिकरण मापन:

इसका निर्माण राजनीतिक एवं आर्थिक क्रियाकलापों में पुरुषों एवं महिलाओं को प्राप्त सापेक्षिक सशक्तिकरण का माप करके किया जाता है । इसके अन्तर्गत संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व, प्रशासकीय तथा प्रबन्धकीय प्रस्थितियों में महिलाओं की भागीदारी एवं व्यावसायिक तथा प्रबन्धकीय प्रस्थितियों में महिलाओं की भागीदारी एवं व्यावसायिक और तकनीकी प्रस्थितियों में महिलाओं की भागीदारी का आकलन समवितरित बराबर प्रतिशतता के आधार पर किया जाता है ।

(4) मानव निर्धनता निर्देशांक:

मानव निर्धनता निर्देशांक के निर्माण में 40 वर्ष तक की आयु तक न पहुंचने वालों का प्रतिशत (P1), कुल जनसंख्या में वयस्क अशिक्षितों प्रतिशत तथा शुद्ध पेयजल प्राप्त न करने वाली जनसंख्या का प्रतिशत (P2), स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित जनसंख्या का प्रतिशत (P3), पांच वर्ष से कम आयु के अल्प भार वाले बालकों का प्रतिशत (P4), को प्रयुक्त किया जाता है ।

आर्थिक विकास की माप (Measure of Economic Development):

a. क्रयशक्ति समता विधि (Purchasing Power Parity Method):

(i) सर्वप्रथम अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) द्वारा 1993 में प्रयोग ।

(ii) जी.आर. कैसेल द्वारा प्रतिपादित यह विधि विनिमय दर निर्धारण के लिए उपयोगी ।

b. मानव विकास सूचकांक (Human Development Index):

(i) इस सूचकांक का प्रतिपादन 1990 में यूनाइटेड नेशन्स डेवलपमेंट प्रोग्राम (UNDP) से जुड़े हुए अर्थशास्त्री महबूब उल हक तथा अन्य सहयोगी अर्थशास्त्री (ए.के. सेन व सिंगर हंस) ने किया ।