Read this article in Hindi to learn about the types of communication adopted in an organisation.

1. संगठन के आधार पर (On the Basis of Organisation):

(a) औपचारिक संचार:

औपचारिक संचार निर्धारित सांगठनिक संबंधों के आधार पर संचरित होता है । जैसे कलेक्टर द्वारा तहसीलदार को आदेशित करना या एक कार्मिक का छुट्‌टी के लिए आवेदन पत्र प्रेषित करना ।

यह पदेन संचार होता है । इसलिए इसकी प्रकृति भी उन पदों की स्थिति से निर्धारित होती है, जो संचार करते है । औपचारिक संचार को ही संगठनों में अधिक महत्व दिया जाता है । और यह अधिकांशतया लिखित होता है, परंतु कतिपय मामलों में यह मौखिक भी हो सकता है ।

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(b) अनौपचारिक संचार:

अनौपचारिक संचार औपचारिक संचार के विपरीत किसी भी दिशा में संचरित हो सकता है अर्थात यह सांगठनिक पद सम्बन्धों के अनुकूल प्रभावित हो यह जरुरी नहीं होता । आधिकांशतया यह मौखिक होता है ।

यह किसी एक अधिकार से उठता है लेकिन विभिन्न दिशाओं में प्रभावित होते समय इसका स्वरूप बदल जाता है क्योंकि यह जिन स्तरों से गुजरता है वहां कुछ नवीन बातें ग्रहण कर लेता है । इसे बुश टेलीग्राम या ग्रेपवाइन (अंगुरलता) भी कहा जाता है ।

क्योंकि अंगूर की लता की भांति यह भी संगठनरूपी वृक्ष पर किसी भी दिशा में बढ़ सकता है । किथ डेविस ने ग्रेपवाइन प्रणाली को खोजा । अनौपचारिक संचार ही संगठन में अधिकांशतया होता है लेकिन यह अपवाहों का प्रसार करके संगठन को नुकसान भी पहुंचा सकता है, यद्यपि इसकी उपस्थिति संगठन की नीरसता को समाप्त करती है । कई बार प्रबंधक स्वयं भी इसे जान बूझकर जन्म देते है, अपने स्वार्थों के लिए ।

2. माध्यम के आधार पर (On the Basis of Medium):

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(a) लिखित संचार:

संगठनों में मुख्यतः लिखित संचार ही महत्व होता है । यह संचार बुलेटिन के रूप में, निर्देश के रूप में, फाइल के रूप में, गजट के रूप में प्रवाहित होता है ।

लाभ:

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1. उत्तरदायित्व तय करने में आसानी ।

2. संचार के पूर्व सोचने के लिए समय ।

3. रिकार्ड रखने में सुविधा ।

4. भविष्य में संदर्भ देने हेतु उपयोगी ।

5. दूरभाष जैसे प्रत्यक्ष (मौखिक) साधनों की अपेक्षा सस्ता ।

(b) मौखिक संचार:

लारेंस एप्पेल के अनुसार सर्वाधिक संचार (75 प्रतिशत) मौखिक ही होता है और संचार के सभी प्रकारों में यह सबसे श्रेष्ठ संचार है । इसमें संवाददाता और संदेश प्राप्तकर्ता के मध्य प्रत्यक्ष संचार होता है ।

लाभ:

शीघ्र संचार, प्रतिक्रिया से तत्काल अवगत होने की सुविधा (कतिपय मामलों में) सस्ती सेवा, गोपनीय बातों के संप्रेषण में उपयोगी, आपातकाल में उपयोगी, स्पष्टीकरण देने में उपयोगी, अधिक प्रभावशाली । नोट- एक के गुण दूसरे के दोष बन जाते है ।

3. दिशा आधारित संचार (On the Basis of Direction):

(a) अधोगामी:

ऊपर से नीचे की ओर संचार । उच्च अधिकारी अधीनस्थों को जो आदेश, निर्देश, नीति प्रस्ताव भेजते वे सब ल के अंतर्गत आते हैं ।

(b) ऊर्ध्वगामी:

नीचे से ऊपर की ओर अधीनस्थों से उच्च अधिकारियों की तरफ जो शिकायत, प्रस्ताव, प्रतिवेदन भेजे जाते हैं वे इस संचार के रूप हैं ।

(c) समतल:

एक ही स्तर के अधिकारियों के मध्य होने वाला संचार । फेयोल ने पदसोपान के दोष को दूर करने के लिए जो गैंगप्लांक दिया था उसी से यह उत्पन्न हुआ ।

(d) तिर्यक संचार:

जार्ज ढेरी ने संचार का यह प्रकार बताया है । जब पदसोपान के विपरीत विभिन्न स्तर के अधिकारी और कार्मिक एक दूसरे से परस्पर संपर्क स्थापित करते हैं, तब तिर्यक संचार उत्पन्न होता है ।

(e) सर्वदिशात्मक संचार:

यह संगठन में ऊर्ध्वगामी, क्षेतीज, तिर्यक सभी दिशाओं में प्रसारित होता है । निग्रो ने सर्वदिशात्मक संचार को पार्श्विक संचार कहा ।

(f) इण्ट्रास्केलर संचार:

दो विभागों के समकक्ष अधिकारियों के मध्य संचार ।

(g) अन्य संचार:

आंतरिक संचार संगठन के अन्दर, बाहरी संचार संगठन और जनता के मध्य तथा अन्त: व्यैक्तिक संचार कार्मिकों के मध्य होता है ।