Read this article in Hindi to learn about thr formal and informal communication.

संगठन में संचार के दो मुख्य मार्ग होते हैं:

1. औपचारिक और

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2. अनौपचारिक ।

1. औपचारिक संचार (Formal Communication):

फिलिप लुई ने ”संगठनात्कम संचार: प्रभावी प्रबन्ध का तत्व” नामक अपनी पुस्तक में संगठनात्मक संचार की 4 आवृतियाँ बताई हैं- दी-चैन, स्टार, सर्कल, आल-चैनल ।

(a) श्रृंखला प्रणाली (Chain Network) या पदसौपानिक संचार:

यह औपचारिक संचार की सबसे कठोर प्रणाली है जैसा कि चित्र में दर्शाया गया है, श्रृंखला प्रणाली में संचार पदसौपानिक व्यवस्था का अनुसरण करता है । इसमें सूचनाएं ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर मात्र दो दिशाओं में प्रवाहित होती है और पदसौपानिक मार्गों का कठोरता से पालन किया जाता है । यह सितारा संचार की तुलना में कम केन्द्रीत है ।

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(b) तारा प्रणाली (Star Network) या चक्का नेटवर्क:

यह सर्वाधिक केन्द्रीत औपचारिक संचार है । चित्रानुसार इसमें संचार का माध्यम ”नेता” होता है और नेता के माध्यम से ही अन्य सदस्यों को परस्पर संचार करना होता है । दूसरे शब्दों में सदस्यगण प्रत्यक्ष संचार नहीं कर सकते । इसे व्हील नेटवर्क (चक्का प्रणाली) भी कहा जाता है । यह प्रत्यायोजन का अभाव दर्शाता है । यह शृंखला या पदसौपानिक संचार की तुलना में कम कठोर है ।

(c) वृत्त प्रणाली- वृत्ताकार संचार (Circular System):

इस संचार में प्रत्येक कार्मिक अपने आगे पीछे वाले कार्मिक से संचार कर सकते है लेकिन अन्य कार्मिकों से नहीं । यह उक्त संचार की तुलना में कम केन्द्रीत और कम कठोर है ।

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(d) सभी मार्ग संचार- सर्वदिशात्मक संचार (All Channel Network):

औपचारिक संचार का सर्वाधिक विकेन्द्रीत स्वरूप है ”सभी मार्ग संचार” । एक समूह के सभी सदस्य परस्पर प्रत्यक्ष संचार करने के लिये स्वतंत्र होते हैं । औपचारिक संचार के प्रकारों में सर्वाधिक विकेन्द्रीत और उदार है ।

2. अनौपचारिक संचार (Informal Communication):

अनौपचारिक संचार, औपचारिक संचार के विपरीत किसी भी मार्ग का अनुसरण कर सकता है अर्थात यह संगठन में मौजूद औपचारिक मार्गों से प्रभावित नहीं होता । अधिकांशतया यह मौखिक होता है । यह किसी एक आधार से उठता है लेकिन विभिन्न दिशाओं में प्रभावित होते समय इसका स्वरूप बदल जाता है क्योंकि यह जिन स्तरों से गुजरता है वहां कुछ नवीन बातें ग्रहण कर लेता है ।

इसे बुश टेलीग्राम या ग्रेपवाइन (अंगुरलता) भी कहा जाता है । क्योंकि अंगूर की लता की भांति यह भी संगठन रूपी वृक्ष पर किसी भी दिशा में बढ़ सकता है । किथ डेविस ने ग्रेपवाइन प्रणाली को खोजा । किथ डेविस- “ग्रेपवाइन को समाप्त या दबाया जा सकता ।

एक जगह दबाने पर दूसरी जगह उभर आता है । इसके एक स्त्रोत को काटने पर यह दूसरे स्त्रोत से जन्म ले लेगा जैसे हम टी वी. का एक चैनल बंद करते हैं तो दूसरा चैनल आ जाता है । वस्तुत: यह व्यक्ति का जन्म सिद्ध अधिकार है जहां कहीं भी वह समूह बनाएगा-ग्रेपवाइन जन्म ले लेगा ।”

साइमन- “ऐपवाइन संचार संगठन में लोकमत के बेरोमीटर जितना मूल्यवान है ।”

वस्तुत: अनौपचारिक संचार सदैव ही अपवाह नहीं होता । अपवाह उन सूचनाओं को कहा जाता है, जिनका सत्यापन नहीं कराया जा सकता और जो सबसे तीव्र गति से फैलती हैं ।

अपवाह का सूत्रीकरण:

आलपोर्ट, पोस्टमैन तथा कोरस ने अपवाहों के अपने अध्ययन के आधार पर उसका सूत्र दिया है:

अपवाह (R) = महत्व (i) X एक से अधिक अर्थ (A) X 1/तार्किक गुण (C)

स्पष्ट है कि जितने अधिक अर्थ होंगे और जितना महत्वपूर्ण उसका विषय होगा, अपवाह उतनी अधिक फैलेगी । लेकिन व्यक्तियों में जितनी अधिक तार्किक शक्ति होगी, अपवाह फैलने पर उतनी ही रोक भी लगेगी । अत: संगठन में अपवाह या गलत समाचारों को फैलने से रोकने का एक ही उपाय है- कार्मिकों में तार्किक क्षमता का विकास ।

कीथ डेविस ने ग्रेपवाइन के चार स्वरूप बताये:

(i) एकल रेखीय या शृण शृंखला पद्धति (Single Strained Network):

एकल रेखीय या शृंखला पद्धति में सूचनाएं सदस्यों के मध्य क्रम से हस्तांतरित होती हैं जैसे कि अ से ब को ब से स को । इसकी दिशा दोनों तरफ होती है जैसे अ से ब और ब से अ । इसकी दिशा दोनों तरफ होती है जैसे अ से ब और ब से अ ।

(ii) गपशप या गासिप नेटवर्क (Gossip Network):

इसमें संचार किसी क्रम का पालन नहीं करता । जिसके पास सूचना है वह उस सूचना को हर उस सदस्य को दे देता है जो उसके संपर्क में आता है । दूसरे शब्दों में सूचना के लिये व्यक्ति का चयन नहीं किया जाता ।

(iii) प्रायकिता नेटवर्क या संभाव्यता नेटवर्क (Probability Network):

इसमें सूचना संप्रेषण प्रायकिता के सिद्धांत के अनुसार होता है । इससे सूचना बेतहरीब ढंग से एक सदस्य से दूसरे सदस्यों तक पहुँचती है । यह अनियंत्रित और घटनावश होता है ।

(iv) झुंड या गुच्छा नेटवर्क (Cluster Network):

कीथ डेविस् ने इसे सर्वाधिक लोकप्रिय और प्रचलित अनौपचारिक संचार बताया है । इसमें सूचना विश्वसनीय लोगों को दी जाती है । एक सदस्य विश्वसनीय लोगों के समूह को सूचना देता है और उस समूह का प्रत्येक सदस्य भी ऐसा ही करता है ।