फ्रेंच लोक सेवा: इतिहास, भर्ती और प्रशिक्षण | टिप्पणियाँ | Read this article in Hindi to learn about:- 1. फ्रांसीसी लोकसेवा का इतिहास  (History of French Civil Service) 2. फ्रांसीसी लोकसेवा की भर्ती (Recruitment of the French Civil Service) 3. प्रशिक्षण  (Training) 4. पदोन्नति  (Promotion) 5. वेतन और सेवा-शर्तें  (Salary and Terms of Service) 6. सलाहकार तंत्र (Advisory System).

Contents:

  1. फ्रांसीसी लोकसेवा का इतिहास  (History of French Civil Service)
  2. फ्रांसीसी लोकसेवा की भर्ती (Recruitment of the French Civil Service)
  3. फ्रांसीसी लोकसेवा  की प्रशिक्षण (Training  of the French Civil Service)
  4. फ्रांसीसी लोकसेवा  में पदोन्नति (Promotion of the French Civil Service)
  5. फ्रांसीसी लोकसेवा  का  वेतन और सेवा-शर्तें  (Salary and Terms of Service for French Civil Service)
  6. फ्रांसीसी लोकसेवा  का  सलाहकार तंत्र (Advisory System of French Civil Service)

1. फ्रांसीसी लोकसेवा का इतिहास (History of French Civil Service):

ऐतिहासिक तौर पर फ्रांस उच्च स्तर के केंद्रीयकरण की धरती रही है जिसमें सारी शक्तियाँ सम्राटों के हाथों में केंद्रित थीं । इसने एक केंद्रीयकृत प्रशासनिक प्रणाली को जन्म दिया जिसके अंतर्गत लोकसेवा की स्थिति मजबूत थी ।

लंबे समय तक राजनीतिक अस्थिरता भी फ्रांसीसी समाज की एक विशेषता रही है जिनसे फ्रांसीसी लोकसेवा को शक्तिशाली स्थिति प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । चूँकि लोकसेवक शक्तिशाली स्थिति का उपभोग करते रहे थे अत: फ्रांस को ‘लोकसेवा राज्य’ या ‘प्रशासनिक राज्य’ भी कहा जाता रहा है ।

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ऐतिहासिक रूप से फ्रांस में लोकसेवा में प्रवेश के लिए ‘पदों की बिक्री की प्रणाली’ मौजूद रही है । सरकार के खाली पदों को सार्वजनिक नीलामी में सबसे ऊँची बोली लगाने वाले को बेचा जाता था । दूसरे शब्दों में, सरकारी पदों को निजी सम्पत्ति का रूप माना जाता था जिससे बेचा या खरीदा जा सकता था ।

भर्ती के इस तरीके के निम्न लाभ थे:

(1) इससे अमीर लोग लोकसेवक बन सकते थे ।

(2) इससे सरकार राजनीतिक हस्तक्षेप और संरक्षण से मुक्त रहती थी ।

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(3) इससे सरकार को भारी राजस्व मिलता था ।

इसके नुकसान थे:

(1) इससे लोकसेवा जन सेवा के बजाय राजसी सेवा बन गई ।

(2) यह गैर-जनतांत्रिक थी क्योंकि इससे लोकसेवा में गरीबों को प्रवेश का अवसर नहीं मिलता था ।

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(3) इसमें प्रत्याशी की योग्यता और क्षमता का ध्यान नहीं रखा जाता था ।

पदों की बिक्री की इस प्रणाली के अतिरिक्त लोकसेवा में प्रवेश दो अन्य पद्धतियों से भी हो सकता था- भेंट (उपहार) और विरासत । 1789 की फ्रांसीसी क्रांति ने उपरोक्त प्रणालियों को समाप्त कर दिया और लोकसेवक की हैसियत में आमूल परिवर्तन ला दिया । वह अब सम्राट का सेवक नहीं, बल्कि राज्य का सेवक हो गया था ।

उत्तरवर्ती शासकों ने लोकसेवा प्रणाली में जनतांत्रिक और वैधानिक तार्किक तत्वों को प्रविष्ट किया परंतु 1946 तक फ्रांसीसी लोकसेवा एक राष्ट्रीय संस्था के रूप में उभर नहीं पाई थी और एक विभागीय संस्था ही बनी रही । कार्मिक प्रशासन के विभिन्न पक्षों की देखभाल करने के लिए कोई केंद्रीय (राष्ट्रीय) संस्था नहीं थी ।

1946 के सुधार:

1946 के लोकसेवा अधिनियम ने फ्रांस की लोकसेवा में सुधार लाने के लिए निम्नलिखित उपायों की व्यवस्था की थी:

(1) केंद्रीय लोकसेवा निदेशालय (Direction Generale de la Fouction Publique) की स्थापना । इसको सीधे प्रधानमंत्री के नियंत्रण में रखा जाना था ।

(2) लोकसेवा के ढाँचे का एकीकरण ।

(3) लोकसेवा संबंधी नियमों पर प्रधानमंत्री के प्रति हस्ताक्षर आवश्यक किये गये । साथ ही अगर उनके वित्तीय निहितार्थ भी हैं तो वित्त मंत्री के प्रतिहस्ताक्षर भी जरूरी थे ।

(4) लोकसेवकों की सेवा एवं शर्तें राज्य द्वारा तय की जायेगी जो उनको एक पक्षीय तौर पर बदल भी सकता है ।

(5) लोकसेवाओं का विभाजन चार वर्गों में किया जाएगा विशेषज्ञीकृत कार्य, अविशेषज्ञीकृत कार्य, नियोजन एवं निर्देशन कार्य और कार्यान्वयन के कार्य ।

उपरोक्त उपायों के लागू होने से फ्रांसीसी लोकसेवा एक राष्ट्रीय संस्था बनकर उभरी और इसकी विभागीय प्रकृति खत्म हो गई ।


2. फ्रांसीसी लोकसेवा की भर्ती (Recruitment of the French Civil Service):

फ्रांस में भर्ती की ‘योग्यता पद्धति’ (Merit System) की स्थिति शक्तिशाली है । यह साक्षात्कारों से संपूर्णित लिखित परीक्षाओं पर भारी जोर देती है । सर्वोच्च लोकसेवा वर्ग के सदस्यों का चयन Ecole Nationale d’ Administration (ENA) के द्वारा किया जाता है ।

इसके साथ-साथ अन्य विशेषीकृत स्कूल भी हैं जो तकनीकी सेवाओं के लिए स्नातक तैयार करते हैं जैसे कि विज्ञान के लिए Ecole Polytechnique और वित्त के लिए Ecole National des Impots । फ्रांस में लोकसेवा के सदस्य समाज के उच्च वर्गों से आते हैं ।

फेरेल हेडी का कथन है- ”फ्रांसीसी नौकरशाही की एक अद्वितीय विशिष्टता यह है कि इसमें एक प्रशासनिक अति उच्च वर्ग मौजूद है जिसका गठन ऐसे समूहों के सदस्यों से होता है जिन्हें ग्रेंड कॉर्प्स कहते हैं और अधिकांश मामलों में ये अपनी उत्पत्ति नेपोलियन काल से जोड़ते हैं ।” इनमें तकनीकी और गैर-तकनीकी दोनों प्रकार के दल (कैडर) शामिल हैं ।

तकनीकी दल के उदाहरण हैं:

(क) कॉर्प्स डेस माइंस और

(ख) कॉर्प्स डेस पॉट्‌स एट चाउसेस ।

जबकि गैर-तकनीकी दल हैं:

(क) कोंसेल डे इटेट

(ख) कोर्स डेस कॉम्पट्‌स और

(ग) इंसपेक्शन डेस फिनेंसिज ।

राष्ट्रीय प्रशासनिक स्कूल (ईएनए) की स्थापना 1945 में पेरिस में हुई थी । यह फ्रांस में केंद्रीय भर्ती और केंद्रीय प्रशिक्षण एजेंसी का काम करता है । फ्रांस का प्रधानमंत्री इसका सीधा नियंत्रण और देखरेख करता है ।

इसके कार्य निम्नलिखित हैं:

(1) यह लोकसेवाओं में भर्ती के लिए खुली प्रतियोगात्मक परीक्षाएँ संचालित करता है । इसके द्वारा तैयार की गई सूचियों के आधार पर नियुक्तियाँ की जाती हैं । अमरीका और ब्रिटेन में यह काम क्रमश: कार्मिक प्रबंधन कार्यालय (OPM) तथा लोकसेवा आयोग (CSC) द्वारा किया जाता है ।

(2) यह आकांक्षी प्रत्याशियों के लिए प्रवेश पूर्व मार्ग दर्शन की व्यवस्था करता है । भारत में यह कार्य पिछड़ी, अनुसूचित और जन-जातियों के लिए सरकार द्वारा प्रायोजित अध्ययन केंद्र करते हैं ।

(3) लोकसेवकों को दीर्घकालीन प्रशिक्षण अर्थात प्रवेश के बाद प्रशिक्षण प्रदान करता है । भारत में यह कार्य मसूरी स्थित लाल बहादुर राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी द्वारा किया जाता है ।

संक्षेप में, फ्रांस में ईएनए भर्ती, पूर्व प्रवेश प्रशिक्षण तथा प्रवेश पश्चात प्रशिक्षण का कार्य करता है । संयुक्त राज्य अमरीका, ब्रिटेन या भारत में ऐसी कोई संस्था नहीं, जिसकी तुलना फ्रांस के ईएनए से की जा सके ।


3. फ्रांसीसी लोकसेवा  की प्रशिक्षण (Training  of the French Civil Service):

प्रशिक्षण की फ्रांसीसी पद्धति सारी दुनिया में लोकप्रिय है । वास्तव में अनेक देशों में यह प्रशिक्षण के लिए मॉडल का काम करती है ।

प्रशिक्षण की फ्रांसीसी पद्धति की प्रमुख विशिष्टताएँ निम्न हैं:

(1) यह सैद्धांतिक की बजाय व्यावहारिक है । इसमें प्रशिक्षण के साधन के रूप में व्यावहारिक समस्याओं के प्रयोग पर जोर दिया जाता है ।

(2) प्रशिक्षण देने का काम खुद लोकसेवक सँभालते हैं । लोकसेवा में नए प्रवेशकों का प्रशिक्षण दूसरे देशों की तरह विद्वानों द्वारा नहीं, बल्कि वरिष्ठ लोकसेवकों द्वारा किया जाता है ।

(3) लोकसेवकों को निजी क्षेत्र से भी प्रशिक्षण अनुभव प्राप्त होते हैं ।

(4) प्रशिक्षण पद्धति विशेषज्ञ और सामान्य दोनों प्रकार की कुशलताएँ विकसित करती है ।

(5) प्रशिक्षण दीर्घकालीन होता है । प्रशिक्षण की कुल अवधि लगभग तीन साल की होती है और यह भर्ती से पहले शुरू हो जाती है ।

फ्रांस में उच्चतर प्रशासनिक लोकसेवकों का प्रशिक्षण Ecole National d’ Administration (ENA) में होता है जो प्रशिक्षण का स्नातकोत्तर कॉलेज है । यह सेवा में प्रवेश करने वालों को 28 महीने का प्रशिक्षण देता है जिसके बाद उन्हें ग्रेंड् कॉर्प्स (Grand Crops) और मंत्रालयों में भेज दिया जाता है ।

28 महीने के इस प्रशिक्षण के दो चरण होते हैं:

(1) पहले चरण में उनको 11 महीने के लिए प्रशासक से सम्बद्ध किया जाता है । यहाँ प्रशासक (Prefect) की देखरेख में उनको व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त होता है । यह प्रणाली वैसी ही है जैसी कि भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान नए आईसीएस को प्रशिक्षित करने के लिए मौजूद थी ।

(2) दूसरे चरण में प्रशिक्षुओं को ईएनए में 17 महीने का व्यावहारिक प्रशिक्षण वरिष्ठ लोकसेवकों द्वारा दिया जाता है । इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान दो माह के लिए उनको किसी औद्योगिकि प्रतिष्ठान से, जो आमतौर पर निजी क्षेत्र का होता है, सम्बद्ध कर दिया जाता है ।


4. फ्रांसीसी लोकसेवा  में पदोन्नति  (Promotion of the French Civil Service):

लोकसेवा में पदोन्नति के लिए योग्यता और वरिष्ठता, दोनों सिद्धांतों को अपनाया जाता है । फ्रांस में कॉर्प्स श्रेणियों, वर्गों और सोपानों में विभक्त है । पदोन्नति के अवसर सीमित हैं और आमतौर पर उसी कॉर्प्स के भीतर होते हैं ।

ईएनए पदोन्नति के पात्र प्रत्याशियों की सूची तैयार करता है और सलाहकार समिति को प्रस्तुत करता है । इस समिति में अधिकारियों और कर्मचारियों दोनों के प्रतिनिधि होते हैं । यह पदोन्नति के लिए ईएनए द्वारा तैयार की हुई सूची को स्वीकृति देती है ।

इसको पदोन्नति से संबंधित विवादों को निपटाने का अधिकार भी प्राप्त है । फ्रांस में लोकसेवक की पदोन्नति निजी संगठनों में भी की जाती है । निजी एजेंसी में कुछ समय काम करके वह अपने पद पर पुन: नियुक्त हो सकता है । उसकी वरिष्ठता बनी रहती है परंतु वह पेंशन के अपने अधिकार को खो सकता है ।


5. फ्रांसीसी लोकसेवा  का

वेतन और सेवा-शर्तें (Salary and Terms of Service for French Civil Service):

1. वेतन के निर्धारण हेतु एक कठोर सूत्र का प्रयोग किया जाता है । इस पर 1948 में लागू ‘जनरल ग्रिड सिस्टम’ का नियंत्रण होता है । इस व्यवस्था के अंतर्गत प्रत्येक पद को एक नियत सूचकांक दिया जाता है ।

मूल वेतन का निर्धारण इसी सूचकांक के अनुसार होता है । परंतु यह सूचकांक सर्वोच्च लोकसेवकों (अर्थात हॉर्स क्लास अधिकारियों) पर लागू नहीं होता है । वेतन पर नियंत्रण वित्त मंत्रालय और कार्मिक विभाग करता है ।

2. मूल वेतन के अलावा लोकसेवकों को तरह-तरह के भत्ते भी दिए जाते हैं जैसे-निर्वाह व्यय भत्ता, परिवार भत्ता, अतिरिक्त काम भत्ता, अतिकालिक भत्ता, यात्रा भत्ता, तकनीकी पुरस्कार, कार्य कुशलता पुरस्कार इत्यादि ।

3. 1959 के अधिनियम के प्रावधानों के अधीन लोकसेवकों को संगठित होने का अधिकार दिया जाता है । अपनी राजनैतिक विचारधारा का समर्थन करने के लिए उनको ट्रेड यूनियनों से जुड़ने का अधिकार प्राप्त है ।

4. संयुक्त राज्य अमरीका के विपरीत फ्रांस अपने लोकसेवकों को हड़ताल का अधिकार देता है । 1959 के अधिनियम द्वारा प्रदत्त इस अधिकार का प्रयोग सरकार के साथ सामूहिक सौदेबाजी के टूटने की स्थिति में अंतिम उपाय के तौर पर ही किया जा सकता है ।

5. संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के विपरीत, फ्रांस के लोकसेवक राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने को स्वतंत्र है । ये साम्यवादी दल सहित किसी भी राजनीतिक दल में शामिल हो सकते हैं । ये राष्ट्रीय विधायिका सहित किसी भी प्रतिनिधिक पद के लिए चुनाव लड़ सकते हैं ।

अपने कार्यकाल की समाप्ति अथवा संसद सदस्यता से त्यागपत्र देने के पश्चात लोकसेवक के रूप में अपने पद पर, पदोन्नति तथा पेंशन अधिकारों सहित, दोबारा लौट सकते हैं । इनकी राजनीतिक गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए कोई कानून नहीं है लेकिन इन पर फ्रांस के उच्चतम प्रशासनिक न्यायालय की नजर रहती है ।

6. लोकसेवकों की सेवा निवृत्ति की आयु 60 वर्ष है । उनको पेंशन के सामान्य लाभ मिलते हैं ।


6. फ्रांसीसी लोकसेवा का सलाहकार तंत्र (Advisory System of French Civil Service):

सेवा संबंधी मामलों पर कर्मचारियों के साथ विचार-विमर्श और समझौता करने के लिए फ्रांस में तीन प्रकार की एजेंसियाँ हैं । उनकी स्थापना ब्रिटेन की व्हिट्‌ले परिषदों की पद्धति पर की गई है और इनमें सरकार तथा कर्मचारियों के प्रतिनिधियों की एक समान संख्या होती है ।

ये एजेंसियाँ निम्न हैं:

1. लोकसेवा के प्रत्येक अंग के लिए संयुक्त प्रशासनिक आयोग ।

2. प्रत्येक विभाग में संयुक्त तकनीकी समिति ।

3. सार्वजनिक सेवा की उच्चतर परिषद जिसकी अध्यक्षता फ्रांस का प्रधानमंत्री या लोकसेवा मामलों का मंत्री करता है । इसका सरोकार कार्मिक नीति, सेवा शर्तों, उपरोक्त दो एजेंसियों की गतिविधियों के समन्वय और अनुशासनात्मक निर्णयों के विरुद्ध अपीलों से जुड़े सभी मामलों से है ।