अमेरिका में लोक सेवा: इतिहास और एजेंसियां | Civil Service in US: History and Agencies. Read this article in Hindi to learn about:- 1. अमरीकी लोकसेवा का इतिहास (History of American Civil Service) 2. अमरीकी लोकसेवा का योग्यता प्रणाली  (Merit System of American Civil Service) 3. केंद्रीय कार्मिक एजेंसी  (Central Personnel Agency).

अमरीकी लोकसेवा का इतिहास (History of American Civil Service):

संयुक्त राज्य अमरीका लोकसेवा की संरक्षण प्रणाली (‘लूट प्रणाली’ के रुप में) परम्परागत गृहक्षेत्र रहा है । सच तो यह है कि एक मानक के रुप में यह प्रणाली संयुक्त राज्य अमरीका में ब्रिटेन से भी अधिक लम्बे समय से मौजूद है ।

अमरीकी राष्ट्रपति प्रारंभ में सरकारी कामों के लिए आमतौर पर योग्य व्यक्तियों को नियुक्त करते थे, भले ही उनका रुझान अपने राजनीतिक समर्थकों के पक्ष में रहता हो । लेकिन अठारहवीं सदी के 20वें दशक से लूट प्रणाली (Spoils System) का विकास होने लगा जिसमें राजनीतिक जीत के लिए सरकारी पद एक पूर्वापेक्षा बन गया और इसका प्रयोग राजनीतिक समर्थन के बदले पुरस्कार देने के लिए होने लगा ।

‘लूट प्रणाली’ की व्युत्पत्ति इस अभिव्यक्ति से होती है कि ‘लूट का माल विजेता का’ । इस प्रणाली के अंतर्गत लोक सेवाओं के पदों का वितरण योग्यता, उपयुक्तता या क्षमता के आधार पर नहीं, बल्कि चुनाव जीतने वाले राजनीतिक दल के समर्थकों और कार्यकर्ताओं के बीच किया जाता था ।

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अत: जीतने के बाद अमरीकी राष्ट्रपति अक्सर ही विरोधी दल द्वारा नियुक्त सरकारी अधिकारियों को भारी संख्या में बर्खास्त कर देते थे और उनकी जगह योग्यता या उपयुक्तता पर विचार किए बिना अपनी पार्टी के सदस्यों को नियुक्त कर देते थे ।

इस लूट प्रणाली की शुरुआत हालाँकि पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों (वॉशिंगटन, जेफरसन तथा एडम्स) ने की थी परंतु इसका सबसे अधिक प्रचलन राष्ट्रपति एंड्रयू जैक्सन के शासन काल में हुआ था । लूट प्रणाली के जनक, राष्ट्रपति जैक्सन ने 1829 में कहा था- ”सरकारी अधिकारियों के काम इतने सीधे और सरल हैं कि उनको करने के लिए बुद्धिमान लोग आसानी से योग्य साबित हो सकते हैं…. लोगों के लगातार लंबे समय तक पद पर बने रहने से उनके अनुभव से हासिल होने वाले लाभ की अपेक्षा नुकसान ज्यादा होता है ।”

बहरहाल इस प्रणाली के चलते प्रशासन में भ्रष्टाचार, अकुशलता और पक्षपात का बोलबाला हो गया और सरकारी सेवाओं के मनोबल पर बुरा असर पड़ा । परिणामस्वरुप प्रशासनिक सुधारों के लिए एक जन आंदोलन शुरू हो गया और 1881 में एक हताश बेरोजगार चार्ल्स गुएटे द्वारा राष्ट्रपति जेम्स गारफील्ड की हत्या किए जाने के बाद इसमें तेजी आ गई ।

अमरीकी लोकसेवा का योग्यता प्रणाली  (Merit System of American Civil Service):

राष्ट्रपति गारफील्ड की हत्या ने कांग्रेस के लिए 1883 के लोक प्रशासन अधिनियम का रास्ता खोल दिया । इसको आमतौर पर सीनेटर जॉर्ज पेंडलेटन के नाम पर (जिन्होंने यह प्रस्ताव रखा था) पेंडलेटन एक्ट ऑफ 1883 कहा जाता है ।

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1883 के पेंडलेटन एक्ट की महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ निम्न हैं:

(i) इसने जैक्सनवादी लूट प्रणाली को आंशिक तौर पर खत्म कर दिया ।

(ii) इसने मजबूती से योग्यता प्रणाली अर्थात रोजगार के उस सिद्धांत को स्थापित किया जो खुली प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं पर आधारित था ।

(iii) इसने सरकारी सेवाओं को ‘वर्गीकृत सेवाओं’ की श्रेणी में रखा और उनमें नियुक्ति के लिए तमाम प्रत्याशियों की परीक्षा तथा उपयुक्तता का निर्धारण करने हेतु संयुक्त राज्य लोकसेवा आयोग की स्थापना की ।

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(iv) इसने सरकारी कर्मचारियों को राजनीतिक सेवा या भुगतान करने की बाध्यता से मुक्त किया ।

(v) इसने योग्यता प्रणाली को आंशिक आधार पर केवल राष्ट्रीय सरकार में स्थापित किया । यह राज्य अथवा स्थानीय सरकारी सेवाओं पर बिल्कुल लागू नहीं होती थी ।

(vi) इसने वर्गीकृत सेवाओं के अधीन संधीय पदों (अर्थात राष्ट्रीय कर्मचारियों) के केवल 10 प्रतिशत भाग को अर्थात लोकसेवा के उन पदों को, ही रखा जो लोकसेवा आयोग के अंतर्गत आते थे और इन पदों को योग्यता सिद्धांत के आधार पर भरा गया ।

बाद में कांग्रेस द्वारा पारित कानूनों और राष्ट्रपति के प्रशासनिक आदेशों ने योग्यता सिद्धांत के दायरे का विस्तार कर दिया । 1940 के रैम्सपीक एक्ट ने राष्ट्रपति को संघीय सरकार की लगभग सभी सेवाओं को लोकसेवा प्रणाली के अधीन लाने का अधिकार दे दिया ।

इससे योग्यता सिद्धांत और वर्गीकृत प्रणाली का आगे विस्तार हो गया । 1940 तक संघीय सरकार की 90 प्रतिशत सेवाएं उस लोकसेवा प्रणाली के अंतर्गत आती थीं, जिसका जन्म संयुक्त राज्य अमरीका में 1883 के पेंडलेटन एक्ट द्वारा हुआ था ।

इसके बावजूद संयुक्त राज्य अमरीका में आज भी 10,000 के लगभग ऐसी वरिष्ठ लोकसेवाएं हैं जिनको संरक्षित सेवाएं माना जाता है और उनके पदों पर नियुक्तियां नए राष्ट्रपति के प्रत्येक चुनाव के बाद दलीय आधार पर की जाती है । इस प्रकार संयुक्त राज्य अमरीका में लूट प्रणाली को पूरे तौर पर अभी तक खत्म नहीं किया गया है ।

संयुक्त राज्य अमरीका में लोकसेवाओं के विस्तार में जिन समितियों तथा आयोगों की सिफारिशों का योगदान है, वे हैं- ब्राउनलो कमेटी (1936-37), प्रथम हूवर आयोग (1949) और द्वितीय हूवर आयोग (1955) ।

केंद्रीय कार्मिक एजेंसी  (Central Personnel Agency):

1978 तक संयुक्त राज्य अमरीका में केंद्रीय कार्मिक एजेंसी केवल संयुक्त लोकसेवा आयोग थी । अत: संघीय लोकसेवा का प्रबंधन यही करती थी । इसमें सीनेट की स्वीकृति से राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त तीन लोकसेवा आयुक्त होते थे ।

उनका कार्यकाल अनियत था और उनको राष्ट्रपति द्वारा अपनी इच्छानुसार पद से हटाया जा सकता है । पेंडलेटन अधिनियम चाहता था कि आयोग को दिलीय होना चाहिए अर्थात दो आयुक्त एक पार्टी के हों और शेष एक आयुक्त को दूसरी पार्टी का होना चाहिए ।

केंद्रीय कार्मिक एजेंसी के तौर पर इसने अनेक कार्य किए जिनका संबंध वर्गीकरण, भर्ती, पदोन्नति, प्रशिक्षण, वेतन एवं सेवा शर्तें, कार्मिक शोध इत्यादि से था । यह योग्यता प्रणाली के प्रशासन तथा निर्णयन दोनों के प्रति उत्तरदायी था ।

लेकिन पाया गया कि यह कार्मिक मामलों में राष्ट्रपति को कर्मचारी सहायता-प्रदान करने तथा पेंडलेटन एक्ट द्वारा स्थापित योग्यता प्रणाली एवं बाद के अन्य कानूनों तथा प्रशासनिक आदेशों की सुरक्षा करने के मामलों में बहुत प्रभावी नही रहा ।

अत: 1978 के सिविल सर्विस रिफोर्म एक्ट ने तीन सदस्यीय द्विदलीय संयुक्त राज्य लोकसेवा आयोग को समाप्त कर दिया और तीन अलग-अलग और स्वाधीन एजेंसियों की स्थापना कर दी ।

ये एजेंसियां हैं- कार्मिक प्रबंधन कार्यालय (Office of Personnel Management [OPM]), योग्यता प्रणाली संरक्षण बोर्ड (Merit System Protection Board [MSPB]), और संघीय श्रम संबंध प्राधिकरण (Federal Labour Relations Authority [FLRA]) ।

(क) संयुक्त राज्य अमरीका की केंद्रीय कार्मिक एजेंसी कार्मिक प्रबंधन कार्यालय है । यह संघीय लोकसेवा का प्रबंधन करती है और योग्यता प्रणाली के विकास की दिशा तय करती है । इसने उन तमाम कार्यों को (अर्द्ध-न्यायिक के अलावा) अपने हाथ में ले लिया है जो पूर्ववर्ती संयुक्त राज्य लोकसेवा आयोग द्वारा किए जाते थे ।

इसके उत्तरदायित्वों में निम्न आते हैं:

(i) कार्मिक नीतियों, नियमों तथा विनियमों का निर्माण ।

(ii) लोकसेवा परीक्षाओं की व्यवस्था ।

(iii) सरकारी कर्मचारियों की भर्ती एवं पदोन्नति ।

(iv) कर्मचारियों का विकास एवं प्रशिक्षण ।

(v) कार्मिक छानबीन ।

(vi) कार्मिक कार्यक्रम आकलन ।

(vii) सेवानिवृत्ति एवं जीवन बीमा कार्यक्रमों की व्यवस्था ।

(viii) अन्य कार्मिक एजेंसियों का मार्गदर्शन ।

ओपीएम का प्रमुख ‘निदेशक’ होता है । उसकी नियुक्ति सीनेट की स्वीकृति से राष्ट्रपति द्वारा की जाती है इसका कार्यकाल 4 वर्ष का होता है ।

(ख) योग्यता प्रणाली संरक्षण बोर्ड ने (MSPB) पूर्ववर्ती संयुक्त राज्य लोकसेवा आयोग के अर्द्ध-न्यायिक कार्यों को अपने हाथ में ले लिया है । यह संघीय लोकसेवा योग्यता प्रणाली की प्रहरी एजेंसी है और कर्मियों के दुरुपयोग तथा निषिद्ध कार्मिक गतिविधियां से संघीय कर्मचारियों की रक्षा करती है ।

बरखास्तगी, निलंबन और पदावनति जैसी प्रतिकूल कार्यवाहियों के विरुद्ध यह संघीय कर्मचारियों की अपीलें सुनती है और फैसले सुनाती है । इसके पास अपने निर्णयों को लागू करने तथा सुधारात्मक एवं अनुशासनात्मक कार्यवाही के आदेश देने की शक्तियां हैं ।

एमएसपीबी में तीन सदस्य होते हैं । उनकी नियुक्ति सीनेट की स्वीकृति से राष्ट्रपति द्वारा की जाती है । उनका कार्यकाल 7 वर्ष का होता है । पूर्ववर्ती लोकसेवा आयोग की तरह अपने घटना में यह भी द्विदलीय होता है ।

एमएसपीबी के अंतर्गत एक विशेष सलाहकार कार्यालय (OSC) का गठन किया गया था । यह एक स्वतंत्र खोजी अभियोजक एजेंसी की तरह काम करता है तथा के समक्ष मुकदमा लड़ता है । इसका मुख्य कार्य गैर-कानूनी कार्मिक आचरणों, विशेषतया किसी प्रशासनिक एजेंसी में अव्यय, जालसाजी और भ्रष्टाचार की रिपोर्ट के पहले की कार्यवाही से कर्मचारियों की रक्षा करना है । इन कर्मचारियों को ‘शोर मचाने वाला’ कहा जाता है और एजेंसी द्वारा किए गए दुरुपयोगों के मामले में रिपोर्ट के लिए हर प्रकार की बदले की कार्यवाही से इनको सुरक्षा प्रदान की जाती है ।

(ग) संघीय श्रमिक संबंध प्राधिकरण (FLRA) की स्थापना संघीय श्रम प्रबंधन संबंधों में केंद्रीय नीति-निर्माण क्रियाकलापों को एकीकृत करने के लिए की गई थी । यह 1970 के सिविल सर्विस रिफॉर्म एक्ट (लोकसेवा सुधार अधिनियम, 1978) के प्रावधानों के अंतर्गत संघीय सेवा श्रम प्रबंधन संबंधों को प्रशासित करता है ।

एफएलआरए में तीन सदस्य होते हैं जिनकी नियुक्ति सीनेट की स्वीकृति से राष्ट्रपति द्वारा की जाती है । इनका कार्यकाल पाँच वर्ष होता है । एफएलआरए के अंतर्गत दो अन्य संस्थाएँ भी होती हैं- महा सलाहकार कार्यालय (Office of General Counsel [OGC]) और संघीय सेवा गतिरोध पैनल (Federal Service Impasses Panel [FSIP]) ।

ओजीसी का काम अनुचित श्रम आचरणों की खोज करना तथा दोषियों पर मुकदमा चलाना है । एफएसआईपी सेवायोजक एजेंसियों और यूनियनों के बीच समझौता वार्ताओं में आए गतिरोधों को समाप्त करने में सहायता करता है ।

(घ) 1978 के लोक सेवा सुधार अधिनियम के द्वारा गठित उपरोक्त तीन एजेसियों के अतिरिक्त एक अन्य स्वतंत्र कार्मिक एजेंसी भी है जिसे समान रोजगार अवसर आयोग (Equal Employment Opportunity Commission [EEOC]) कहा जाता है ।

इसकी स्थापना नागरिक अधिकार अधिनियम द्वारा 1964 में की गई थी और 1978 में संघीय रोजगार को इसके अधिकार क्षेत्र में रख दिया गया था । यह सरकारी तथा निजी रोजगार, दोनों क्षेत्रों में नस्ल, रंग, धर्म, लिंग, राष्ट्रीय मूल और अक्षमता या आयु पर आधारित भेदभाव को दूर करता है ।

1978 में पूर्ववर्ती लोकसेवा आयोग के कार्यों को ईईओसी सौंप दिया गया था । इसके पाँच सदस्य होते हैं । पाँच वर्ष के कार्यकाल के लिए इनकी नियुक्ति सीनेट की स्वीकृति से राष्ट्रपति द्वारा की जाती है ।