यूनाइटेड किंगडम की बजटीय प्रणाली | Budgetary System of United Kingdom.

ब्रिटेन में कोषागार ‘केंद्रीय वित्तीय एजेंसी’ है । संपूर्ण वित्तीय प्रशासन का निरीक्षण तथा निदेशन यही करती है । भारत में वित्त मंत्रालय तथा संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रबंधन एवं बजट कार्यालय (OMB) का यह प्रतिरूप है । परंतु ब्रिटेन में यह लोकसेवा के प्रशासन में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है ।

कोषागार की आज्ञप्ति सर्वप्रथम 1612 में हुई । इसके नाममात्र के प्रमुख हैं- लॉर्ड्स कमिश्नर अर्थात कोषागार के प्रथम लॉर्ड (प्रधानमंत्री), कोषागार के द्वितीय लॉर्ड (वित्तमंत्री) और पाँच कनिष्ठ लॉर्ड । व्याहारिक रूप लॉर्ड बोर्ड के रूप में कभी नहीं मिलते हैं और उनके उत्तरदायित्वों का निर्वाह वित्तमंत्री करता है । दूसरे शब्दों में कोषागार का प्रभावी मंत्रिमंडलीय प्रमुख वित्तमंत्री ही है ।

वित्तीय प्रशासन में कोषागार की भूमिका का अध्ययन करने के लिए 1959 नियुक्त प्लॉडेन कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 1961 में प्रस्तुत की । इसकी सिफारिश के बाद 1962 में कोषागार को दो भागों में विभाजित कर दिया गया-वित्त एवं आर्थिक पक्ष और वेतन एवं प्रबंधन पक्ष ।

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ब्रिटेन में बजट प्रणाली तथा वित्तीय प्रशासन के संबंध में निम्नलिखित अन्य बिंदुओं को नोट किया जा सकता है:

1. भारत के विपरीत, ब्रिटेन में एक ही बजट होता है अर्थात सभी विभागों के लिए एक बजट ।

2. भारत की तरह ही ब्रिटेन में वित्त वर्ष 1 अप्रैल से शुरू और अगले वर्ष 31 मार्च को समाप्त होता है ।

3. बजट अनुमानों की तैयारी सभी विभागों में अक्टूबर के पहले सप्ताह से शुरू होती है ।

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4. वित्तमंत्री बजट को हाउस ऑफ कॉमन्स में फरवरी के मध्य में प्रस्तुत करता है ।

5. 1968 से पूरे सदन की समिति प्रणाली (जिसे क्रमश: आपूर्ति समिति तथा उपाय एवं साधन समिति के रूप में जाना जाता है) के बजाय आपूर्तियों (माँगों) और राजस्व से सीधा, सरोकार हाउस ऑफ कॉमंस स्वयं ही रखता है ।

इस पुराने सिद्धांत को भी त्याग दिया गया है कि वित्तीय कारोबार एक समिति से पैदा होना चाहिए न कि स्वयं सदन से । परिणामस्वरूप संबंधित समितियों को भी भंग कर दिया गया है और बजट भाषण और बजट पर बहसें अब हाउस ऑफ कॉमंस में होती हैं ।

6. राजकोष के चॉसलर का बजट भाषण हाउस ऑफ कॉमंस के पटल पर बजट रखे जाने के समय नहीं, बल्कि सदन में वित्तीय बजट प्रस्तुत किए जाने के समय किया जाता है ।

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7. ब्रिटेन में बजट को हाउस ऑफ लॉर्ड्स में न तो प्रस्तुत किया जाता है, न ही उस पर चर्चा होती है ।

8. हाउस ऑफ कॉमंस में बजट अनुमानों पर बहस छब्बीस दिन के भीतर समाप्त हो जानी चाहिए ।

9. भारत की भाँति हाउस ऑफ कॉमंस माँगों को स्वीकार या अस्वीकार अथवा घटा सकता है, परंतु बढ़ा नहीं सकता ।

10. हाउस ऑफ कॉमंस में पारित हो जाने के बाद विनियोग और वित्त विधेयकों को हाउस ऑफ लॉर्ड्स में भेज दिया जाता है । 1911 के अधिनियम में कहा गया है कि हाउस ऑफ कॉमंस द्वारा पारित और सत्र की समाप्ति के एक माह पहले हाउस ऑफ लॉर्ड्स को भेजे गए धन विधेयक को राजसी स्वीकृति के लिए भेजा जा सकता है, चाहे हाउस ऑफ लॉर्ड्स उसे पारित करें अथवा नहीं । एक महीने बाद यह कानून बन जाता है । अत: विनियोग एवं वित्त विधेयकों (जो धन विधेयक है) पर व्यवहार में हाउस ऑफ लॉर्ड्स का कोई अधिकार नहीं होता है ।

11. हाउस ऑफ कॉमंस में पारित हो जाने के 30 दिन बाद बजट महारानी को भेजा जाता है । यहाँ यह उल्लेखनीय क्रम है कि भारत में बजट लोकसभा द्वारा पारित किए जाने के 14 दिन बाद राष्ट्रपति के पास पहुँचता है ।

12. 1913 का प्रोवीजनल कलेक्शन ऑफ टैक्सेज एक्ट सरकार को यह अधिकार देता है कि वह बजट में प्रस्तावित करों की घोषणा की तारीख से वित्त अधिनियम के पारित होने की तारीख तक प्रस्तावित नए करों की उगाही कर सकती है ।

13. ब्रिटेन में अनुमान समिति (Estimates Committee) का गठन सर्वप्रथम 1912 में हुआ था । 1917 में उसकी जगह एक नई व्यय समिति ने ले ली । इसके सभी 40 से 50 सदस्य केवल हाउस ऑफ कॉमंस से लिये जाते हैं ।

14. ब्रिटेन में सार्वजनिक लेखा समिति की स्थापना सबसे पहले 1861 में ग्लैडस्टोन द्वारा की गई थी । उसके सभी 15 सदस्य हाउस ऑफ कॉमंस से ही चुने जाते थे । इसका अध्यक्ष विरोधी दल का होता था ।

15. सार्वजनिक लेखाओं का लेखा परीक्षण सर्वप्रथम ब्रिटेन में शुरू हुआ था । नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक कार्यालय की स्थापना 1866 में ग्लेडस्टोन ने की थी । वह संसद का एक अधिकारी होता है और उसके दो कार्य हैं- (1) नियंत्रक के तौर पर वह सार्वजनिक धन की प्राप्तियों और निकासी को नियंत्रित करता है और

(2) लेखा परीक्षक के तौर पर वह विभागीय लेखा का परीक्षण करता है तथा इस पर अपनी रिपोर्ट को संसद में पेश करता है ।

इन कार्यों का निर्धारण 1866 तथा 1921 के एक्सचेकर एंड ऑडिट डिपार्टमेंट एक्ट में किया गया है उसका पूरा पदनाम है- “कॉम्ट्रोलर जनरल ऑफ द रिसीप्ट एंड इश्यू ऑफ हर मेजेस्ट्जि एक्सचेकर एंड ऑडीटर जनरल ऑफ पब्लिक एकांउट्‌स ।”  उसकी नियुक्ति मंत्रिमंडल की सलाह पर ताज द्वारा की जाती है । उसका कार्यकाल निश्चित नहीं होता और उसको ताज द्वारा संसद की सिफारिश पर हटाया जाता है ।

16. राष्ट्रीय आर्थिक विकास परिषद की स्थापना ब्रिटेन में 1961 में हुई थी । यह वित्तमंत्री या प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में काम करती है । आर्थिक नीतियों और समस्याओं पर चर्चा करने का यह एक महत्वपूर्ण मंच है ।