Read this article in Hindi to learn about:- 1. आधुनिक लोक सेवा (Modern Public Service of America) 2. अमेरिका में वर्गीकरण प्रणाली (Classification System in America) 3. भर्ती प्रणाली (Recruitment System).

अमेरिकी आधुनिक लोक सेवा (Modern Public Service of America):

आधुनिक अमेरिकी लोक सेवा का इतिहास लूट प्रणाली का इतिहास रहा है । वहाँ कालांतर (1883) में योग्यता प्रणाली को अपनाये जाने पर लूट प्रथा पर अंकुश अवश्य लगा, तथापि उसके अवशेष आज भी मौजूद हैं । पहले राष्ट्रपति वाशिंगटन (1787 से 1798) ने कार्मिकों की भर्ती में योग्यता और निष्पक्षता को आधार बनाया था लेकिन उनके उत्तराधिकारियों के समय भाई भतीजावाद और सिफारिश के दोष आने लगे ।

लूट प्रथा का जन्म (Birth of Loot):

1829 में जैक्सन राष्ट्रपति बने और उन्होंने विधिवत लूट प्रथा लागू की । जैक्सन को लूट प्रणाली का जनक माना जाता है । उनका कथन था कि जो भी राजनैतिक दल सत्ता में आये उसे अपने समर्थकों को नियुक्त करने का अधिकार होना चाहिए ।

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कार्मिक स्थायी होते हैं तो कामचोर और अनुत्तरदायी हो जाते है अतः उन्हें शीघ्र ही हटाने का अधिकार राष्ट्रपति को होना चाहिए । लूट प्रथा से आशय है कि इसमें जो राजनैतिक दल सत्ता में आता है वह अपने समर्थकों को पद देता है और पूर्व में नियुक्त कार्मिकों को हटा देता है । यह संरक्षक नौकरशाही का एक प्रकार है । इसे हायरिंग और फायरिंग प्रणाली भी कहा जाता है ।

इस प्रणाली के अंतर्गत लोकसेवाओं के पदों का वितरण योग्यता के आधार पर नहीं, बल्कि चुनाव जीतने वाले राजनीतिक दल के समर्थकों और कार्यकर्ताओं के बीच किया जाता था । जीतने के बाद अमरीकी राष्ट्रपति अक्सर ही विरोधी दल द्वारा नियुक्त सरकारी अधिकारियों को भारी संख्या में बर्खास्त कर देते और उनकी जगह योग्यता का ख्याल किए बिना अपनी पार्टी के सदस्यों को नियुक्त कर देते ।

हैरिसन और लूट प्रथा की पराकाष्ठा (1842-50) [Harrison and Looter Clarity (1842-50)]:

हैरिसन जब राष्ट्रपति बने तो उन्होंने बडे पैमाने पर लूट पद्धति का प्रयोग किया ।

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प्रथम लोक सेवा की स्थापना और उसका अवसान (1871-75):

लूट प्रथा जितनी विकसित हो रही थी उसके दोषों से समाज में उतना असंतोष भी उभर रहा था । राष्ट्रपति ग्रांट ने 1871 में लोक सेवा आयोग की स्थापना पर जोर दिया । लेकिन यह आयोग 1875 में ही समाप्त कर देना पड़ा ।

पैन्डलटन अधिनियम (1883):

यह अमेरिकी लोक सेवा के इतिहास में मील का पत्थर है । इस विधेयक के पीछे कारण था, राष्ट्रपति गॉरफिल्ड की उस चार्ल्स गुएट नामक बेरोजगार व्यक्ति द्वारा की गई हत्या जो नौकरी न मिलने से असंतुष्ट था ।

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अधिनियम के मुख्य तत्व (Main Elements of the Act):

1. लोक सेवा आयोग की स्थापना । राष्ट्रपति को सीनेट की सलाह से उसमें तीन आयुक्त नियुक्त करने का अधिकार आयोग अपना प्रतिवेदन राष्ट्रपति को प्रेषित करेगा जो उसे कांग्रेस में रखेगा ।

2. लोक सेवकों को पदावधि की सुरक्षा (निश्चित कार्यकाल के पहले नहीं हटाना) ।

3. लोक सेवकों की राजनैतिक तटस्थता ।

4. सरकारी सेवाओं को ”वर्गीकृत सेवाओं” के अंतर्गत रखा ।

5. भर्ती के लिए लोक सेवा आयोग प्रतियोगी परीक्षा का आयोजन करेगा ।

सीमाएं (Limitations):

लेकिन पेण्डलटन अधिनियम एक शुरूवात ही थी, समस्या का संपूर्ण समाधान नहीं क्योंकि:

1. इसने योग्यता प्रणाली को आशिक तौर पर ही स्थापित किया । यह मात्र संघीय सरकार पर लागू थी और उसके भी मात्र दस प्रतिशत पद ही आयोग के अंतर्गत लाये गये ।

2. यह अधिनियम राज्य और स्थानीय सेवाओं से लूट प्रणाली को खत्म नहीं कर पाया क्योंकि वे इसके दायरे से बाहर थे ।

3. इसने लूट प्रथा को आशिक तौर पर ही खत्म किया क्योंकि वह बाद में भी बनी रही यद्यपि उसमें कमी जरूर आयी ।

रेम्सपीक एक्ट, 1940:

1883 से 1940 के मध्य भी कांग्रेस द्वारा निर्मित अधिनियमों और राष्ट्रपति द्वारा जारी आदेशों से लोक सेवा में सुधार की प्रक्रिया चलती रही । 1940 में कांग्रेस ने रेम्सपीक एक्ट पारित कर राष्ट्रपति को अधिकृत कर दिया कि वह संघीय सरकार के सभी पदों को योग्यता आधारित लोक सेवा प्रणाली के अंतर्गत ले आये ।

1940 तक लगभग 90 फीसदी पद योग्यता आधारित वर्गीकृत सेवाओं के अंतर्गत आ गये थे । लेकिन इसके बावजूद उस ”संरक्षित वर्ग” का अस्तित्व अमेरिका में आज भी है जो लूट प्रथा को आशिक रूप से बनाये हुए है और जिसके अंतर्गत लगभग दस हजार वरिष्ठ पद आते है । इन पर नियुक्ति प्रत्येक नया राष्ट्रपति अपने राजनीतिक दल के परिप्रेक्ष्य में करता है ।

अन्य कदम:

(1) सेवा निवृत्ति अधिनियम, 1920 ।

(2) वर्गीकरण अधिनियम, 1923 ।

(3) हैच अधिनियम 1939-40 (मताधिकार को छोड़कर कार्मिकों की राजनीतिक गतिविधियों पर रोक) ।

(4) नियोजन और प्रशिक्षण अधिनियम (1958) ।

अमेरिका में लोकसेवाओं के विस्तार में जिन अनेक समितियों तथा आयोगों की सिफारिशों का भी योगदान है वे है ब्राउनलो कमेटी (1936-37), प्रथम हूवर आयोग (1949) और द्वितीय हूवर आयोग (1955) ।

(5) सिविल सर्विसेस रिर्फाम एक्ट, 1978:

(i) इसके द्वारा 1979 से संघ लोक सेवा आयोग समाप्त ।

(ii) लोक सेवा आयोग के कार्य चार विभिन्न ब्यूरों (ऑफिस ऑफ पर्सनल मेंनेजमेंट, मेरिट सिस्टम प्रोटक्शन बोर्ड, फेडरल लेबर रिलेशन अथोरिटी, इक्वल इम्पालयमेंट औपर्चयूनिटी कमीशन) को सौंपे दिये गये ।

1. कार्मिक प्रबंध कार्यालय (Office of Personal Management-OPM) (ऑफिस ऑफ पर्सनल मैनेजमेंट):

लोक सेवा आयोग के स्थान पर आये उक्त चारों अभिकरणों में ओपीएम वर्तमान में अमेरिका की केंद्रीय कार्मिक एजेन्सी के रूप में कार्यरत है । यह पूर्ववर्ती आयोग के अर्धन्यायिक कार्यों (जो एमपीएसबी को सौंपे गये हैं) को छोड़कर उसके सभी कार्यों को संपन्न करता है ।

जैसे:

(i) कार्मिक नीतियों, नियमों तथा नियंत्रण विधियों का निर्माण ।

(ii) लोकसेवा में भर्ती हेतु परीक्षाओं की व्यवस्था ।

(iii) सरकारी कर्मचारियों की भर्ती एवं पदोन्नति की देखभाल ।

(iv) कर्मचारियों का विकास एवं प्रशिक्षण ।

(v) कार्मिक जांच ।

(vi) कार्मिक कार्यक्रम आँकलन ।

(vii) सेवानिवृत्ति एवं जीवन बीमा कार्यक्रमों की व्यवस्था ।

(viii) अन्य कार्मिक एजेंसियों का मार्गदर्शन ।

ओपीएम संघीय लोक सेवा के मामलों की देखभाल करती है । ओपीएम का प्रमुख ”निर्देशक” होता है जो सीनेट के अनुमोदन पश्चात राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त होता है । इसका कार्यकाल चार वर्षीय होता है ।

2. योग्यता प्रणाली संरक्षण मंडल (मेरिट सिस्टम प्रोटक्शन बोर्ड) (Merit System Protection Board – MSPB):

एम.एस.पी.बी. में तीन सदस्य होते हैं । उनकी नियुक्ति सीनेट की स्वीकृति से राष्ट्रपति द्वारा की जाती है । उनका कार्यकाल 7 वर्ष का होता है । यह पूर्ववर्ती आयोग के अर्धन्यायिक कार्यों को संपन्न करता है । इसके अंतर्गत कार्मिकों के निलंबन, पदावनति, बर्खास्तगी जैसी प्रतिकूल कार्यवाहियों के विरूद्ध अपीलें सुनना और उन पर निर्णय देना आदि अनुशासनिक मामले आते हैं ।

यह निर्णयों को लागू भी करता है और कार्यवाहियों में संशोधन भी कर सकता है । स्पष्ट है कि जिस प्रकार लोक सेवा में योग्यता प्रणाली के विकास की जिम्मेदारी कार्मिक प्रबंध कार्यालय की है उसी प्रकार योग्यता प्रणाली की सुरक्षा की जिम्मेदारी ”मेरिट सिस्टम प्रोटेक्शन बोर्ड” की है ।

विशेष सलाहकार कार्यालय (Office of Special Council-OSC):

एम.एस.पी.बी. के अंतर्गत स्थापित इस कार्यालय का कार्य है, एम.एस.पी.बी. के समक्ष कार्मिकों की पैरवी करना । यह कार्मिकों के आचरण या जालसाजी, भ्रष्टाचार आदि मामलों में संबंधित प्रशासनिक विभाग द्वारा कोई कार्यवाही रिपोर्ट तैयार करने के पहले एम.एस.पी.बी. के समक्ष कार्मिकों के हितार्थ खडा हो जाता है । इसलिये इसके कार्मिकों को ”हल्ला बोलने वाला” कहा जाता है ।

3. संघीय श्रम संबंध प्राधिकरण (फेडरल लेबर रिलेशन अथोरिटी) (Federal Labour Relations Authority – FLRA):

संघीय श्रम-प्रबंध संबंधों से संबंधित सरकारी क्रियाकलापों को एकीकृत करने के उद्देश्य से एफ.एल.आर.ए. की स्थापना 1978 के उक्त रिफार्म एक्ट के अंतर्गत की गयी थी । इसके तीनों सदस्यों की नियुक्ति सीनेट की स्वीकृति से राष्ट्रपति करता है और इनका कार्यकाल 5 वर्ष होता है ।

एफ.एल.आर.ए. के अंतर्गत दो निकाय हैं:

(i) महासलाहकार कार्यालय (Office of General Council-OGC), जो गैरकानूनी श्रम व्यवहार का पता लगाता है और दोषियों के विरूद्ध मुकदमा लाता है ।

(ii) संघीय सेवा गतिरोध पैनल (Federal Service Impasses Panel-FSIP) जिसका कार्य है, नियोक्ता और यूनियन के मध्य समझौता वार्ताओं के गतिरोध को दूर करने की कोशिश करना ।

4. समान रोजगार अवसर आयोग (Equal Employment Opportunity Commission-EEOC):

वस्तुतः इस आयोग की स्थापना 1964 में ही नागरिक अधिकार कानून द्वारा कर दी गयी थी । 1978 के सिविल सेवा रिफार्म एक्ट ने लोक सेवा आयोग के ”संघीय रोजगार” संबंधी कतिपय कार्यों को इस आयोग के अधीन कर दिया । इसका कार्य है सरकारी और गैर सरकारी दोनों क्षेत्रों में रोजगार संबंधी नस्लभेद, रंग भेद, धार्मिक भेदभाव, लिंगभेद, राष्ट्रीय मूल और शारीरिक असमर्थता पर आधारित भेदभावों का उन्मूलन करना । पांच सदस्यीय इस आयोग के भी सभी सदस्य सीनेट की स्वीकृति से राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किये जाते हैं ।

अमेरिका में वर्गीकरण प्रणाली (Classification System in America):

वर्गीकरण की दो पद्धतियां होती हैं, एक पद वर्गीकरण और दूसरी स्थिति या श्रेणी वर्गीकरण । अमेरिका में पद वर्गीकरण प्रणाली प्रचलित है । दूसरे शब्दों में यहां लोक सेवा में वर्गीकरण का आधार कार्मिक के बजाय कार्य, योग्यता और उत्तरदायित्व है । अमेरिका में सर्वप्रथम 1923 में वर्गीकरण का व्यापक कार्यक्रम लागू किया गया था । इसके अंतर्गत पदों का श्रेणीकरण किया गया और उनकी योग्यता और वेतन निर्धारित किये गये ।

संशोधित वर्गीकरण अधिनियम 1949:

1923 के वर्गीकरण में 1949 में संशोधन करके अमेरिका की संघीय लोक सेवा को 5 वर्गों में विभक्त किया गया:

1. पेशेवर और वैज्ञानिक

2. उपपेशेवर और उप-वैज्ञानिक

3. लिपिकीय, प्रशासनिक और वित्तीय

4. अभिरक्षकीय

5. यांत्रिकीय

18 सामान्य अनुसूचित श्रेणियां (18 General Schedule Grades):

काम और वेतनमान आधारित 18 सामान्य अनुसूचित श्रेणियाँ यहाँ है जिन्हें जीएस- 1 से लेकर क्रमशः जीएस-18 तक के नाम दिये गये है । इनमें भी जीएस- 16, जीएस-17 और जीएस-18 तीन सर्वोच्च (Super Grades) श्रेणियां है, जिनके सदस्य सर्वोच्च नौकरशाह होते है । लेकिन ये सामान्यज्ञ के बजाय ”पेशेवर विशेषज्ञ” होते है । ये ”वरिष्ट कार्यकारी सेवा” के अंग भी होते है ।

SES (Senior Executive Services):

वस्तुतः इस वरिष्ट कार्यकारी सेवा की स्थापना भी 1978 के लोक सेवा सुधार अधिनियम द्वारा ही गयी थी । लेकिन इसकी सिफारिश बहुत पहले द्वितीय हूवर आयोग (1955) ने की थी । यह सर्विस 1979 से अस्तित्व में आयी । इस सेवा में दो तरह के वरिष्ट लोक सेवक होते है- विशेषज्ञ और सामान्यज्ञ ।

इसमें लगभग 9 हजार पद है और ये वे ही है जो सुधारों के पहले ”वर्गीकृत सेवा प्रवर्ग” के अंतर्गत आते थे । इन पदों को प्रतियोगी परीक्षा के बिना भरा जाता है और इसलिये ये पद ”वर्जित सेवा” के अंतर्गत आते हैं जिन पर लोक सेवा के नियम लागू नहीं होते ।

अमेरिका में भर्ती प्रणाली (Recruitment System in America):

अमेरिका में भर्ती हेतु दो मुख्य परीक्षाएं होती हैं:

1. संघीय प्रवेश परीक्षा और

2. पेशेवर तथा प्रशासनिक कैरियर परीक्षा

परीक्षा प्रणाली:

अमेरिका में चार प्रकार की परीक्षाएं प्रचलित है:

1. लिखित,

2. मौखिक

3. कार्य प्रदर्शन और

4. स्तर-परीक्षण

स्पष्ट है कि प्रतियोगी के मूल्यांकन में उसकी शिक्षा, प्रशिक्षण और अनुभव तीनों को आधार बनाया जाता है । लिपिक जैसे छोटे पदों पर भर्ती मात्र लिखित परीक्षा के आधार पर होती है और यह सामूहिक परीक्षा होती है । वहीं उच्च पदों के लिये व्यक्तिगत परीक्षा को तरजीह दी जाती है जिसमें साक्षात्कार या अनुभव का प्रमाणपत्र आदि शामिल है ।

योग्यता के स्थान पर अनुभव:

अमेरिका में अनुभव को सबसे बड़ी योग्यता माना जाता है और इसलिये लोक सेवा में प्रवेश के लिए कोई निश्चित शैक्षणिक अर्हता का होना आवश्यक नहीं है ।

आवासीय योग्यता (Residential Qualification):

लेकिन प्रत्याशी के पास आवासीय योग्यता होना अनिवार्य है ।

ओ.पी.एम.:

कार्मिक प्रबंधन कार्यालय संघीय सेवाओं में प्रवेशार्थ प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन करता है ।

पार्श्व प्रवेश प्रणाली (Lateral Entry System):

इसके द्वारा लोक सेवा में सभी स्तरों पर सभी आयुवर्ग के व्यक्तियों का प्रवेश सुगम बनाया गया है । निजी क्षेत्र की प्रतिभाएं इसके द्वारा लोक सेवा में आ सकती हैं और लोकसेवा से भी बाहरी निजी सेवा में जा सकती है ।

विशेष अंक:

अनुभवी बुजुर्गों को 5 और विकलांग बुजुर्गों तथा उनके आश्रितों को 10 अंक अतिरिक्त दिये जाते हैं ।

योग्यता सूची:

प्रत्येक परीक्षा में सफल प्रत्याशियों की मेरिट-सूची बनायी जाती है । नियुक्ति अधिकारी पद रिक्त होने पर मेरिट-सूची से उम्मीदवार लेकर उसकी नियुक्ति करता है । इस हेतु जरूरी है कि प्रत्येक पद के लिये वह उपलब्ध सर्वोच्च तीन में से एक को नियुक्त करे ।