लोक प्रशासन: अर्थ और परिभाषा | Public Administration: Meaning and Definition in Hindi!

लोक प्रशासन के अर्थ (Meaning of Public Administration):

प्रशासन को समझने के बाद हम लोक प्रशासन के अर्थ पर आते हैं । लोक प्रशासन में लोक शब्द प्रशासन के साथ जुड़कर उसे सार्वजनिक बना देता है । शाब्दिक अर्थों में ”लोक” जनता का पयार्य है किन्तु प्रशासन के साथ संयुक्त रूप में यह उन कायदे-कानूनों, क्रियाओं, गतिविधियों, कार्यक्रमों का अर्थ ग्रहण करता है जो जन साधारण के लिए निर्मित और संपन्न किये जाते है और ऐसी एजेन्सी ”सरकार” ही होती है जो आम जनता के हितों के लिए अस्तित्व में आती है और ये सब करती है ।

अत: लोक प्रशासन में लोक ”सरकार” के अर्थ में ध्वनित होता है । जबकि अकेला ”लोक” शब्द मात्र ”जनता” का अर्थ रखता है । मोहित भट्‌टाचार्य के शब्दों में ”लोक प्रशासन सरकारी प्रशासन है क्योंकि सरकार ही सार्वजनिक कार्य करती है ।”

लोक शब्द लोक प्रशासन को निजी या व्यैक्तिक प्रशासन से भी पृथक कर देता है । इससे प्रशासन एक व्यापक प्रक्रिया बन जाती है जिसमें निजी और लोक प्रशासन नमक दो बड़ी प्रक्रियाएं और संरचनाएं शामिल हैं । लोक प्रशासन के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए विद्वानों ने अनेक परिभाषाएं गढी हैं, लेकिन उनमें काफी विभिन्नताएं दृष्टिगत होती हैं । आज तक ऐसी कोई परिभाषा नहीं आ पायी है, जिस पर सभी विद्वान एकमत हों । इसी कारण से ई.एन. ग्लैडन को कहना पड़ा कि “लोक प्रशासन बहुरूपीय है और इसकी परिभाषा अत्यंत कठिन कार्य है ।”

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लोक और प्रशासन के उपर्युक्त अर्थों के प्रकाश में लोक प्रशासन के अर्थ के दो आयाम सामने आते हैं:

1. ऐसा प्रशासन जो सरकारी क्षेत्र तक सीमित है । या

2. सार्वजनिक उद्देश्यों को केन्द्र में रखकर संचालित की जाने वाली प्रत्येक क्रिया लोक प्रशासन के अन्तर्गत आती है ।

दूसरे अर्थ में लोक प्रशासन मात्र सरकारी प्रशासन नहीं रह जाता अपितु सार्वजनिक स्वरूप की निजी गतिविधियां भी इसके अन्तर्गत आ जाती है । उदाहरण के लिए नगर निगम के लिए कचरा उठाने में लगी ठेकेदार कम्पनी । यदि क्रिया या गतिविधि के आधार पर तय करें तो कम्पनी सार्वजनिक सेवाएं दे रही है ।

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इसी प्रकार स्वयं सेवी संस्थाएं सरकार के संगठनात्मक ढांचे बाहर जरूर है, लेकिन शिक्षा, स्वास्थ, पौष्टिक आहार आदि सेवाएं सार्वजनिक आधार पर प्रदान करती है और ऐसा करते समय इनका ध्येय ‘सेवा’ का होता है । इसी दृष्टि से N.G.O. भी “लोक स्वरूप” की है । वर्तमान वैश्वीकरण की प्रवृत्तियों में यह दूसरा व्यापक अर्थ ही मान्य है ।

कुल मिलाकर लोक प्रशासन के निम्नलिखित अर्थ निकाले जा सकते हैं:

(1) यह सरकारी प्रशासन है ।

(2) इसमें शामिल है सरकार द्वारा सम्पादित की जाने वाली सभी गतिविधियां, चाहे वह नियामकीय प्रकृति की हों या जनकल्याण की, क्योंकि प्रत्येक का उद्देश्य सार्वजनिक हित है ।

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(3) सरकारी वित्त द्वारा पोषित निजी संगठनों की वे गतिविधियां भी लोक प्रशासन हैं, जिनका उद्देश्य सार्वजनिक हित है ।

(4) अन्तर्राष्ट्रीय या राष्ट्रीय या स्थानीय स्तर की सभी स्वयं सेवी संस्थाओं के कार्य जो सार्वजनिक प्रकृति के हों ।

(5) अंतर्राष्ट्रीय शासकीय संगठनों द्वारा संचालित गतिविधियां । उदाहरणार्थ, UNO मानवाधिकार आयोग आदि के क्रियाकलाप भी लोक प्रशासन हैं ।

(6) निजी संगठनों की गतिविधियां जो सरकारी अनुबन्ध के सार्वजनिक हित में संचालित हैं ।

लोक प्रशासन की परिभाषाएं (Definitions of Pubic Administration):

लोक प्रशासन को उसके संकुचित, व्यापक, परिवर्तित आदि अर्थों में परिभाषित करने की कोशीशें विद्वानों ने की हैं, जिससे लोक प्रशासन की अनेक परिभाषाएं सामने आती हैं । अतः ग्लेड्‌न ने लोक प्रशासन को बहुरूपिया कहा ।

लो. प्रशा. लोक नीति या विधि का क्रियान्वयन है ।

एल.डी. व्हाइट- ”लोक प्रशासन में वे सब कार्य आते जिनका उद्देश्य लोक नीति को लागू करना है ।”

पुन: एल.डी. व्हाइट- ”लोक प्रशासन में वे सब क्रियाएं आती हैं जिनका उद्देश्य अधिकृत अधिकारियों द्वारा घोषित लोकनीतियों को क्रियान्वित करना है ।”

वुड्‌रो विल्सन- ”विधि को क्रमबद्ध और विस्तृत रूप में लागू करना ही लोक प्रशासन है ।”

पुन: वुडरो विल्सन, ”विधि के क्रियान्वयन की प्रत्येक क्रिया प्रशासनिक क्रिया है । जिस प्रकार राजनीति का संबंध नीति निर्माण से है, उसी प्रकार प्रशासन का संबंध नीति क्रियान्वयन से है ।”

गुडनाऊ- ”प्रशासन” राज्य की इच्छा के क्रियान्वयन का प्रतीक है ।”

डिमॉक- ”कानून को कार्यरूप देना ही लोक प्रशासन है।”

पुन: डिमॉक- ”सक्षम अधिकारियों द्वारा घोषित लोक नीति को पूरा करना या लागू करना लोक प्रशासन है ।”

मरसन- ”जिस प्रकार राजनीति शास्त्र नीति निर्माण में जन सहभागिता को अधिकाधिक सुनिश्चित करने के श्रेष्ठ तरीके खोजता है, उसी प्रकार लोक प्रशासन उन नीतियों के क्रियान्वयन के श्रेष्ठ तरीके खोजता है ।”

लोक प्रशासन नीति क्रियान्वयन के साथ नीति निर्माण भी है:

एपिलबी- ”लोक प्रशासन नीति निर्माण है । प्रशासनिक प्रश्न हमारे समय में (1950 का दशक) राजनीतिक प्रश्न भी है ।” (उल्लेखनीय है कि बुडरो विल्सन ने कहा था कि राजनीतिक प्रश्न प्रशासनिक प्रश्न नहीं होते) ।

मार्शल डिमॉक- ”प्रशासन सरकार के क्या (नीति) और कैसे (क्रियान्वयन) दोनों से संबंधित है ।”

फिफनर- ”लोक प्रशासन” सरकार के ”क्या” और ”कैसे” दोनों है ।”

निग्रो- लोक प्रशासन लोक नीति का रचनाकार है। ”

एफ.एम. मार्क्स- ”अपने व्यापकतम अर्थ में लोक प्रशासन में सार्वजनिक नीति से संबंधित समस्त क्रियाएं आती हैं ।”

लोक प्रशासन मात्र कार्यपालिका से संबंधित कार्य है:

लूथर गुलिक- ”अपने वास्तविक अर्थों में लोक प्रशासन प्रशासनिक विज्ञान का वह भाग है जो मुख्य रूप से सरकार के कार्यपालिका अंग से संबंधित है, जहां सरकार का कार्य मुख्य रूप से होता है ।

विलोबी- ”राजनीति विज्ञान में प्रशासन दो अर्थों में प्रयुक्त होता है, अपने संकुचित अर्थों में लोक प्रशासन सरकार की प्रशासकीय शाखा (कार्यपालिका) के कार्यों से संबंधित है । विषय के लिए यही अर्थ मायने रखता है ।”

साइमन- ”लोक प्रशासन का अर्थ है, वे कार्य जो केन्द्र, राज्य या स्थानीय कार्यपालिका करती है ।”

डिमॉक- ” सरकार की कार्यकारिणी वाला भाग लोक प्रशासन हैं।

लोक प्रशासन सम्यूर्ण सरकार ( उसके तीनो अंगों) से संबंधित कार्य है।

निग्रो- ”लोक प्रशासन सरकार के तीनों अंगों और उनके परस्पर संबंधों से संबंधित है” ।

विलोबी- ”राजनीति विज्ञान में प्रशासन दो अर्थों में प्रयुक्त होता है, अपने प्रथम व्यापक अर्थ में यह समस्त सरकारी कार्यों के वास्तविक सम्पादन से संबंधित है, चाहे वह किसी भी शाखा के हों” ।

वाल्डो- ”लोक प्रशासन सभी सरकारी कार्यों के प्रबन्ध की कला और विज्ञान है” ।

अन्य समर्थक विद्वान- व्हाइट, विल्सन, मार्क्स, रेम्जेम्योर । विलोबी को भी इसी दृष्टिकोण का माना जाता है ।

लोक प्रशासन की व्यापकतम परिभाषाएं:

ये परिभाषाएं लोक प्रशासन को नीति निर्माण तक और सरकार के सभी अंगों तक विस्तृत करती है ।

निग्रो:

1. ”लोक प्रशासन लोकनीति का रचनाकार है ।

2. सरकार के तीनों अंगों के कार्यों और उनके परस्पर संबंधों से संबंधित है ।

3. वह सामाजिक हित के लिए सहयोगात्मक प्रयास है ।

4. अनेक व्यक्तिक समूहों, व्यक्तियों से निकट में संबन्धित है ।

5. निजी प्रशासन से महत्वपूर्ण आधारों पर पृथक है ।”

एफ.एम. मार्क्स:

”अपने व्यापकतम क्षेत्र में लोक प्रशासन के अन्तर्गत सार्वजनिक नीति से संबंधित सभी क्रियाएं आती है ।”

फिफनर:

1. ”लोक प्रशासन का अर्थ है, व्यक्तियों के प्रयत्नों में इस प्रकार तालमेल उत्पन्न करना कि वे मिलकर कार्य करें, ताकि सरकार के कार्य हो सकें । प्रशासन में सभी क्रियाएं आ जाती है, चाहे वे तकनीकी हों या विशिष्ट जैसे टकसाल में सिक्के ढालना, स्वास्थ्य प्रयोगशाला में एक्सरे मशीन संचालन या पुल-निर्माण ।”

2. ”लोक प्रशासन में लाखों कार्मिकों की क्रियाओं का निर्देशन, निगरानी संबंधी प्रबन्ध भी शामिल है ताकि कुशलता और व्यवस्था सुनिश्चित हो सके ।”

3. ”लोक प्रशासन” सरकार के क्या और कैसे दोनों से संबंधित है ।”

डिमॉक, डिमॉक और कोइनिंग:

1. ”एक अध्ययन-विषय के रूप में प्रशासन उन सरकारी कार्यों के प्रत्येक पहलू की परीक्षा करता है, जो लोकनीति या कानून को लागू करते है।

2. एक प्रक्रिया के रूप में लोक प्रशासन का अर्थ उन प्रयत्नों से है, जो किसी संस्था में सत्ता-क्षेत्र की प्राप्ति से लेकर अंतिम ईंट रखने तक किए जाते हैं ।

3. एक व्यवसाय के रूप में लोक प्रशासन सार्वजनिक संस्था के कार्यों का संगठन और संचालन है ।”

वाल्डो:

1. ”लोक प्रशासन विभिन्न कार्यों में लगे मनुष्यों के मध्य सहयोग उत्पन्न करने वाला मानवीय पहलू है ।

2. यह सरकारी कार्यों के प्रबंध की कला और विज्ञान है ।” (वाल्डो लो. प्र. को सैद्धांतिक रूप से विज्ञान नहीं मानते)

परिभाषाओं का वर्गीकरण:

एम.पी. शर्मा ने विद्वानों की परिभाषाओं को 4 वर्गों में वर्गीकृत किया है:

(i) प्रथम वर्ग:

प्रकृति व्यापक, क्षेत्र संकुचित । एल डी. व्हाइट की परिभाषा को इस वर्ग में रखा गया है । यह सभी कार्यों को प्रशासन की परिधि में रखती है लेकिन इसका क्षेत्र मात्र नीति क्रियान्वयन तक सीमित कर देती है ।

(ii) द्वितीय वर्ग:

प्रकृति और क्षेत्र, दोनों संकुचित । मरसन की परिभाषा को इसमें रखा गया है । मरसन प्रशासन को मात्र कार्य करवाने तक तो सीमित करता ही है, उसका क्षेत्र भी नीति क्रियान्वयन मात्र मानता है ।

(iii) तृतीय वर्ग:

प्रकृति संकुचित, क्षैत्र व्यापक । शर्माजी ने इसमें लूथर गुलिक की परिभाषा को रखा है । गुलिक भी प्रशासन को कार्य करवाने वाले प्रबन्धकीय वर्ग तक सीमित करता है । लेकिन मानता है कि प्रशासनिक कार्यवाहियां कार्यपालिका के बाहर अन्य अंगों में भी होती हैं ।

(iv) चतुर्थ वर्ग:

प्रकृति, क्षेत्र दोनों व्यापक । इस वर्ग में डीमॉक और फिफनर को रखा है।

लोक प्रशासन की आधुनिक परिभाषा:

लोक प्रशासन का स्वरूप उसके जन्म से लेकर विगत 100 वर्षों तक निरंतर बदलता रहा है । इसी प्रकार उसकी परिभाषाओं में भी अंतर आते रहे है । राजनीति-प्रशासन द्विभाजन के युग में प्रशासन के प्रक्रियागत ढांचे को परिभाषित करने की कोशीश अधिक की गयी ।

उसे नीति क्रियान्वयन तक सीमित किया गया । इस दौरान उसकी परिभाषाओं का दूसरा मुद्दा कार्यपालिका बनाम तीनों अंगों का शामिल करने या छोड़ने का रहा । साइमन जैसे व्यवहारवादियों ने भी उसे कार्यपालिका तक ही सीमित रखने में लोक प्रशासन की भलाई देखी। द्वितीय विश्व युद्धोत्तर परिभाषाए परंपरागत संकुचित दृष्टिकोण से बाहर निकलने लगी ।

वाल्डो, फिफनर, डिमॉक, निग्रो जैसे विचारकों ने लोक प्रशासन को मात्र एक तकनीकी प्रक्रिया के स्थान पर विषयवस्तु की जानकारी से भी उतना ही संबंधित माना । विषयवस्तु या आधारभूत पाठ्य सामग्री से आशय होता है, वह क्षेत्र जहां प्रशासन काम करता है ।

आधुनिक विचारकों ने इसी जानकारी को परिभाषा में अधिक महत्व देना शुरू किया है । इसके प्रवेश से लोक प्रशासन का क्षेत्र और प्रकृति दोनों कॉफी व्यापक हो गये है । अब उसके दायरे में हर वह बात आ गयी है जिसका आशिक या अधिक सार्वजनिक आधार होता है ।

दूसरे शब्दों में, लोक प्रशासन के अंतर्गत सरकार के तीनों अंगों के काम तो शामिल हैं ही, उन निजी संगठनों के काम भी शामिल होने लगे हैं जिनका सार्वजनिक वित्त पोषण होता है या सार्वजनिक सेवा प्रदाय से कोई संबंध होता है । अब यह भी मान लिया गया है कि लोक प्रशासन नीति निर्माण में भी भाग लेता है । साथ ही वह उन मूल्यों से भी बंधा होता है, जो राजनीतिक परिवेश तय करता है ।

स्पष्ट है कि अब लोक प्रशासन की वह कोई भी परिभाषा स्वीकार्य होगी जो उक्त सभी बातों को समाविष्ट करते हुए एक व्यापक और व्यवहारिक अर्थ रखे । अत: लोक प्रशासन उन सभी कार्यों, क्रियाओं, घटनाओं से संबंधित एक प्रकार्य है जिनका कोई सार्वजनिक आधार और दिशा होती है ।

लोक प्रशासन आज अपनी विषयवस्तु और स्वरूप के जिस मुकाम पर है, वहां उसे किसी भी परिभाषा में नहीं समेटा जा सकता । वस्तुत: एक गतिशील और विकासमान विषय के लिए तद्नुरूप परिभाषा की जरूरत है ।

अत: लोक प्रशासन की परिभाषा में निम्नलिखित तथ्य शामिल किये जाते हैं:

1. सरकार के सभी अंगों से संबंधित कार्य

2. नीति क्रियान्वयन के साथ नीति निर्माण में लोक प्रशासन की भूमिका ।

3. प्रबन्धकीय, मानवीय, तकनीकि, क्लेरीकल सभी गतिविधियां । अर्थात उच्च से लेकर निम्न स्तर तक के कार्मिकों के समस्त कार्य

4. लोक प्रशासन के नेतृत्व में संचालित संगठनों और सार्वजनिक वित्त से पोषित निजी क्षेत्र की गतिविधियां ।

5. सार्वजनिक वित्त से पोषित स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्य