Read this article in Hindi to learn about the theory of demographic transition.

जनसांख्यिक संक्रमण सिद्धांत के अनुसार आर्थिक विकास के कारण मृत्यु दर में कमी आती है । जन्म और मृत्यु दरों के बीच सम्बन्ध आर्थिक विकास के साथ परिवर्तित होता है और किसी देश को जनसंख्या वृद्धि के अनेक सोपानों से गुजरना पड़ता है ।

सी. पी. बलेकर (C. P. Blacker) ने जनसंख्या को उच्च स्थायी, शीघ्र विस्तारकारी, कम स्थायी और घटती किस्म में विभाजित किया है । मैक्स (Max) ने जनसांख्यिक बदलावों की चार स्थितियों की पहचान की है । जनसांख्यिक बदलाव के सिद्धान्त अनुसार आर्थिक विकास के दौरान जनसंख्या की इन सोपानों से होकर गुजरना होता है ।

मैक्स द्वारा वर्णित जनसांख्यिक संक्रमण के चार सोपानों का वर्णन नीचे किया गया है:

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I. पहला सोपान (First Stage):

इस सोपान को उच्च संख्या वृद्धि सम्भाव्य सोपान कहा जाता है । इस सोपान का मुख्य लक्षण उच्च एवं घटते-बढ़ते जन्म मृत्यु दर हैं जो एक दूसरे को प्राय: निष्क्रिय कर देते हैं । अधिकांश लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं और कृषि उनका मुख्य व्यवसाय है जो पिछड़ेपन की अवस्था में है ।

यातायात, वाणिज्य, बैंक और बीमा क्षेत्र अल्पविकसित स्थिति में होते हैं । ये सभी कारक लोगों की कम आय ओर निर्धनता का कारण हैं । सामाजिक विश्वास और रीति-रिवाज जन्म दर को ऊंचा रखते हैं ।

घटिया खान-पान, सफाई और चिकित्सक सुविधाओं के अभाव के कारण बहुत सी महामारियां घटित होती हैं तथा मृत्यु दर भी ऊंचा होता है । लोग गंदी बस्तियों में छोटे-छोटे घरों में रहते हैं जिनमें प्रकाश और वायु की व्यवस्था कम होती है, रोग फैलते हैं और उचित चिकित्सक सुविधाओं के अभाव में मृत्यु दर बढ़ जाती है ।

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बच्चों का मृत्यु दर अधिकतम होता है तथा अगले क्रम में उन स्त्रियों का स्थान होता है जो बच्चों को जन्म देने वाले आयु वर्ग में होती हैं । अत: अधिसमय में उच्च जन्म दर और मृत्यु दर लगभग समान रहते हैं जिससे शून्य जनसंख्या वृद्धि का स्थायी सन्तुलन बना रहता है ।

इसकी व्याख्या रेखचित्र में । समय काल HS उच्च स्थायी सोपान और रेखा चित्र 2.1 के निचले भाग में P वक्र के क्षैतिज भाग द्वारा की गई है ।

II. दूसरा सोपान (Second Stage):

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इसे जनसंख्या विस्फोट का सोपान कहा जाता है । इस स्तर पर मृत्यु दर कम हो जाती है जबकि जन्म दर निरन्तर उच्च स्तर पर बनी रहती है । कृषि और औद्योगिक उत्पादकता बढ़ती है और यातायात के साधन विकसित होते हैं । श्रम की गतिशीलता अधिक होती है ।

शिक्षा का विस्तार होता है और लोगों की आय बढ़ती है । लोगों को बेहतर गुणवत्ता वाले आहार और उत्पाद प्राप्त होते हैं । चिकित्सा और स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास होता है ।

इस स्तर पर व्यक्तिगत और सरकारी प्रयत्नों के कारण आर्थिक विकास की गति बढ़ती है । बेहतर तकनीकों का उपयोग, यन्त्रों का प्रयोग और शहरीकरण बढ़ता है, परन्तु लोगों की मानसिक प्रवृत्ति में कोई पर्याप्त परिवर्तन नहीं होता अत: जन्म दर ऊंची बनी रहती है ।

आर्थिक विकास ने अभी तक जन्म दर को प्रभावित करना आरम्भ नहीं किया । जन्म और मृत्यु दर के बीच बढ़ते हुये अन्तराल के कारण जनसंख्या अत्याधिक दर से बढ़ती है तथा इसी कारण इसे जनसंख्या के विस्फोट की स्थिति कहा जाता है ।

यह जनसंख्या विकास में ”आरम्भिक विस्तार” का सोपान है, जब जनसंख्या एक बढ़ती हुई दर से बढ़ती है जैसा रेखाचित्र 2.1 में दर्शाया गया है, मृत्यु दर में गिरावट और स्थिर जन्म दर जैसा कि रेखाचित्र के ऊपरी भाग में दर्शाया गया है ।

III. तीसरा सोपान (Third Stage):

इसे भी जनसंख्या विस्फोट का स्तर कहा जाता है क्योंकि यहां भी जनसंख्या तीव्र दर से बढ़ती है । इस सोपान पर, घटती हुई जन्म दर के साथ अधिक तीव्रता से घटती हुई मृत्यु दर भी होती है । फलत: जनसंख्या घटती हुई दर से बढ़ती है । यह सोपान घटते हुये जन्म दर का अनुभव करती है, परन्तु मृत्यु दर स्थिर रहती है क्योंकि यह पहले न्यूनतम तक गिर चुका होता है ।

जन्म दर आर्थिक विकास, परिवर्तित सामाजिक प्रवृत्तियों और परिवार नियोजन की बढ़ी हुई सुविधाओं के कारण घटता है । जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ती रहती है क्योंकि मृत्यु दर का कम होना बन्द हो जाता है और जन्म दर यद्यपि गिर रही होती है फिर भी मृत्यु दर से ऊंची होती है ।

IV. चौथा सोपान (Fourth Stage):

इसे जनसंख्या का स्थायी सोपान कहा जाता है । जन्म और मृत्यु दर दोनों निम्न स्तर पर होते हैं तथा वे पुन: सन्तुलन के समीप होते हैं । जन्म दर लगभग मृत्यु दर के बराबर होती है और जनसंख्या में बहुत कम वृद्धि होती है । यह प्राय: निम्न स्तर पर स्थिर-स्थिति बन जाती है । जनसांख्यिक परिवर्तन के इन सोपानों के रेखाचित्र 2.2 की सहायता से दर्शाया जा सकता है ।

सोपान I का चित्रण उच्च जन्म दर, मृत्यु दर और जनसंख्या वृद्धि के निम्न दर से किया गया है । सोपान II की विशेषता उच्च एवं स्थिर जन्म दर, तीव्रतापूर्वक से घटती हुई मृत्यु दर और जनसंख्या के अति तीव्र दर से प्रकट की जाती है ।

सोपान III के लक्षण हैं- घटती हुई जन्म दर, निम्न और स्थिर मृत्यु दर ओर तीव्रतापूर्वक बढ़ती हुई जनसंख्या । सोपान IV के लक्षण हैं- निम्न जन्म दर, निम्न मृत्यु दर और निम्न स्तर पर स्थिर जनसंख्या ।

उपरोक्त विश्लेषण के आधार पर हम निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि जन्म दर की तुलना में मृत्यु दर पर नियन्त्रण करना सरल है क्योंकि मृत्यु दर में कमी बाहरी कारकों द्वारा लायी जा सकती है जबकि जन्म दर को कम करने वाले कारकों की प्रकृति अन्तर्जात होती है । इस कारण विकास मार्ग पर चलने वाले सभी देशों को दूसरे सोपान से होकर गुजरना पड़ता है और आर्थिक जनसंख्या की समस्याओं का सामना करना पड़ता है ।

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