विश्व जनसंख्या पर निबंध | Essay on World Population in Hindi!

पृथ्वी पर लगभग 65 अरब लोग रहते हैं । जनसंख्या में निरन्तर वृद्धि होती रहती हैं । विकासशील देशों में जनसंख्या वृद्धि अधिक तीव्रता से होती है । उदाहरण के लिये भारत की जनसंख्या 2001 में 1.028 अरब थी जो 2011 में बढ्‌कर 1.210 अरब हो गई अर्थात एक दशक (2001-2011) में 18.1 करोड़ जनसंख्या वृद्धि हुई जो ब्राजील जैसे बड़े देश की कुल जनसंख्या से अधिक है ।

इस प्रकार भारत की जनसंख्या में एक दशक में प्रतिशत वृद्धि हुई । विश्व जनसंख्या का विवरण बहुत असमान है । विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या चीन में रहती है, दूसरा स्थान भारत का है, तीसरा संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील, पाकिस्तान, रूस, नाइजीरिया, बंग्लादेश तथा जापान का स्थान है ।

जनसंख्या घनत्व (Density of Population):

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औसत जनसंख्या प्रति वर्ग किलोमीटर जनसंख्या घनत्व कहलाता है, विश्व की जनसंख्या का वितरण Fig. 9.7 में तथा जनसंख्या घनत्व Fig. 9.8 में दिखाया गया है । विश्व की औसत जनसंख्या घनत्व 44 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है, जबकि भारत का औसत जनसंख्या घनत्व 2011 की जनगणना के अनुसार 382 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है ।

गरीबी तथा जनसंख्या वृद्धि में प्रत्यक्ष सम्बन्ध है । गरीबी रेखा से नीचे के लोगों की जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ती है । जनसंख्या वृद्धि पर साक्षरता, शिक्षा, आय तथा जीवन स्तर का भी प्रभाव पड़ता है ।

प्राकृतिक जनसंख्या वृद्धि (Natural Growth of Population):

जन्म दर तथा मृत्यु दर के अन्तर को जनसंख्या वृद्धि दर कहते हैं । प्राकृतिक जनसंख्या वृद्धि में विदेशों को पलायन करने वाले तथा विदेशों से आने वाले व्यक्तियों को सम्मिलित नहीं किया जाता । विश्व की जनसंख्या वृद्धि 1.1 प्रतिशत प्रतिवर्ष है ।

औसत आयु (Life Expectation):

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किसी देश की औसत आयु से तात्पर्य है कि जन्म से किसी व्यक्ति के औसतन कितने वर्ष जीवित रहने की संभावना है ।

अत्यधिक जनसंख्या (Overpopulation):

किसी देश अथवा क्षेत्र की जनसंख्या यदि वहां उपलब्ध संसाधनों से अधिक हो तो वह अत्यधिक जनसंख्या का देश कहलाता है । भारत, चीन, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, पाकिस्तान, नाइजीरिया इस प्रकार के देश हैं ।

लुप्त महिलाएं (Missing Women):

विश्व के विकसित तथा विकासशील सभी देशों में महिलाएं असुविधा की स्थिति में है । अधिकांश देशों में श्रम के क्षेत्र में एक ही प्रकार के कार्य के लिए उनको समान वेतन नहीं दिया जाता और निर्णय लेने में उनकी भूमिका समान नहीं

होती । वास्तव में उनके साथ भेदभाव बरता जाता है तथा कहीं-कहीं तो महिला होने के कारण उनकी जान के लाले पड़े रहते हैं ।

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बहुत-से समाजों में महिलाओं तथा बालिकाओं को निम्न समझा जाता है और शिक्षा आदि के लिये समान अवसर प्रदान नहीं किये जाते । संयुक्त-राष्ट्र संघ के जनसंख्या कोष के आंकडों के अनुसार 2006 में लगभग 20 करोड़ कन्या शिशुओं को जन्म से पहले ही मार दिया गया । भारत तथा चीन में इस प्रकार लुप्त बालिकाओं की संख्या सबसे अधिक है ।

ऐसा जन्म से पहले गर्भ में ही लिंग की पहचान करके कन्या-भ्रूण के गर्भपात के कारण होता है । पितृ प्रधान समाजों में महिलाओं के साथ अधिक भेदभाव बरता जाता है । बहुत-से समाजों में परिवार सम्मान के कारण लड़कियों को मार दिया जाता है । अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं का व्यापार भी किया जाता है, जिस कारण बहुत-सी महिलाओं को अपनी जान से हाथ धोने पड़ते हैं । संक्षेप में, कानून बनाने के बावजूद भी सभी समाजों में महिलाओं के साथ भेदभाव बरता जाता है ।

विश्व के कुछ देशों का लिंग निष्पक्षता सूचकांक (Gender Equity Index) तालिका 9.2 में दिया गया है । ये कड़े संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित 2006 की दशा को दिखाते हैं ।

प्रवासन (Migration):

प्राचीन काल से ही मानव प्रवासन करता आया है । आज के समय में परिवहन के साधनों में उन्नति, शिक्षा तथा रोजगार के अधिक अवसरों के कारण मानव प्रवासन में तेजी आई है । कुछ लोगों को प्राकृतिक आपदाओं बाद, सूखा, भूकम्प, ज्वालामुखी, सुनामी, भू-स्थलन के कारण प्रवसन के लिये मजबूर होना पड़ता है ।

11 मार्च 2011 को जापान में तोहोकू (Tohoku) भूकम्प के कारण न्यूक्लियर ऊर्जा संयत्र को भारी क्षति हुई थी, जिसके कारण बड़ी नाभिकीय विकिरण हुआ और बड़ी संख्या में लोगों को पलायन करना पड़ा था ।

सांस्कृतिक विविधता के कारण प्रायः प्रवसन करने वालों के साथ भेदभाव बरता जाता है जिससे तनाव तथा हिंसा की स्थिति उत्पन्न हो जाती है । युद्ध क्षेत्रों से बहुत-से लोग सीमावर्ती देशों में शरण लेते हैं ।

अफगानिस्तान, इराक, मिस्र, लीबिया, (2011) में इसी प्रकार से भारी जनसंख्या को युद्ध क्षेत्रों से पलायन करना पड़ा ।

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