Read this article in Hindi to learn about the emergence of Taliban in Afghanistan.

अफगानिस्तान विभिन्न जंजातियों में विभाजित एक अस्थिर राज्य रहा है । अप्रैल 1978 में अफगानिस्तान में साम्यवादी क्रांति हुई लेकिन पाकिस्तान व अमेरिका समर्थित मुजाहिद्‌दीन समूहों द्वारा इसका तीव्र विरोध किया गया ।

बाद में जब अफगानिस्तान में बबरक करमाल के नेतृत्व में साम्यवादी सरकार की स्थापना हुई तो उसका भी व्यापक विरोध हुआ । सरकार के निमंत्रण पर वहाँ दिसम्बर 1979 में सोवियत संघ की सेनाओं ने प्रवेश किया पाकिस्तान व अमेरिका सहित अन्य पश्चिमी राज्य अफगानिस्तान में सोवियत सेनाओं की उपस्थिति का विरोध कर रहे थे ।

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अफगानिस्तान के साम्यवादी शासन का विरोध कर रहे लड़कों को पाकिस्तान में प्रशिक्षण दिया जाता था तालिबान का शाब्दिक अर्थ है- प्रशिक्षु । अत: इन प्रशिक्षित इस्लामिक लडाकों को तालिबान की संज्ञा दी गयी 1990 का दशक अफागानिस्तान में विभिन्न जनजातीय लड़ाकी के मध्य गृह युद्ध का दशक था, जिसमें लाखों की तादाद में अफगान नागरिक मारे गये जब 1989 में सोवियत संघ में आन्तरिक समस्याओं व बदलाव की लहर आयी तो उसी वर्ष सोवियत सेनाओं को अफगानिस्तान से वापस बुला लिया गया ।

अफगानिस्तान की साम्यवादी सरकार अकेले तालिबान लड़ाकी का सामना करने में सक्षम नहीं थी अन्तत: अफगानिस्तान की सोवियत समर्थित नजीबुल्ला सरकार का 1992 में पतन हो गया तथा वहां इस्लामिक स्टेट ऑफ अफगानिस्तान की स्थापना हुई अफगानिस्तान की नई अन्तरिम सरकार भी अधिक समय तक नहीं चल पायी तथा सितम्बर 1996 तक काबुल सहित अधिकांश अफगान क्षेत्रों पर तालिबान लड़ाकों का कब्जा हो गया ।

1996 में स्थापित तालिबान शासनकाल में अफगानिस्तान में चरमपंथी इस्लामिक राज्य की स्थापना की गयी कट्‌टरवादी इस्लामिक कानूनों को लागू कर मानवाधिकारों का जमकर उल्लंघन किया गया । अल्पसंख्यकों महिलाओं तथा विरोधियों के साथ अमानवीय अत्याचार किये गये तालिबान सरकार को पाकिस्तान का पूरा समर्थन प्राप्त था ।

तालिबान शासनकाल में ही ओसामा बिन-लादेन के नेतृत्व में इस्लामिक आतंकवादी संगठन अलकायदा ने अफगानिस्तान में अपनी जड़ें जमा ली तथा वहीं से विश्व के विभिन्न देशों में आतंकवादी गतिविधियों का संचालन करता था । धीरे-धीरे यह आतंकवाद भारत, अमेरिका व चीन के साथ-साथ सम्पूर्ण विश्व समुदाय के लिये एक चुनौती बन गया ।

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11 सितम्बर, 2001 में अमेरिका में किया गया आतंकवादी हमला अलकायदा की इसी विश्वव्यापी आतंकवादी मुहिम का ही एक हिस्सा था । इसी आतंकवादी हमले के विरुद्ध प्रतिक्रिया-स्वरूप अमेरिका ने अफगानिस्तान में 2001 में सैनिक हस्तक्षेप किया । अमेरिका का मुख्य उद्देश्य अफगानिस्तान में आतंकवादी नेटवर्क का सफाया करना था ।

ग्यारह सितम्बर 2001 को अमेरिका में हुआ आतंकवादी हमला अमेरिका के इतिहास की सबसे बड़ी घटना थी जिसमें अमेरिका सहित 80 देशों के करीब 5000 लोग मारे गये थे । इस आतंकवादी घटना को ‘नाइन-एलेवेन’ के नाम से भी जानते है, क्योंकि यह घटना वें महीने (सितम्बर) की 11 तारीख को हुई थी ।

इस घटना में अलकायदा के आतंकवादियों ने अमेरिका के चार व्यवसायिक विमानों का अपहरण कर लिया था तथा उनमें से दो विमानों को न्यूयार्क शहर के विश्व व्यापार केन्द्र की जुड़वां इमारतों पर मान के दौरान जोर से टकरा दिया था इससे इमारतें देखते ही देखते ध्वस्त हो गयीं तथा बड़ी संख्या में लोग मारे गये ।

तीसरे विमान को आतकवादियों ने वाशिंगटन स्थित अमेरिका के रक्षा मंत्रालय की बिल्डिंग ‘पेण्टागन’ से टकरा दिया, लेकिन इससे अधिक नुकसान नहीं हुआ । पेण्टागन अमेरिकी रक्षा विभाग का मुख्यालय है ।

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चौथे विमान को आतकवादियों की योजना के अनुसार अमेरिका की संसद ‘कांग्रेस’ की बिल्डिंग से टकराया जाना था, लेकिन यह विमान पेंसेलवनिया राज्य के एक गाँव में गिर पड़ा तथा कांग्रेस की बिल्डिंग दुर्घटना से बच गयी । इतना ही नहीं आतकवादियों ने बाद में केन्या तथा तंजानिया स्थित अमेरिकी दूतावासों पर भी हमले किये, जिनमें सैकड़ों की तादाद में निर्दोष लोग मारे गये ।