प्रकाश का प्रतिबिंब (आरेख के साथ) | Reflection of Light (With Diagram) | Hindi!

Read this article in Hindi to learn about:- 1. Introduction to the Reflection of Light 2. Rare and Dense Medium of Light 3. Refractive Index of Light 4. Reflection of Light through Prism.

प्रकाश का अपवर्तन का आशय (Introduction to the Reflection of Light):

जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो वह अपने मार्ग से विचलित हो जाती है । प्रकाश किरण के विचलन की घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं ।

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प्रकाश के अपवर्तन के कारण पानी से भरे काँच के गिलास में पेन्सिल ABC मुड़ी हुई (ABC) दिखाई देती है क्योंकि पानी में डूबी पेन्सिल (बिन्दु B से बिन्दु C तक) से चलने वाली किरणें जब पानी से हवा में प्रवेश करती है तो वह अपने मार्ग से चित्रानसार पड़कर देखने वाले की आँख तक पहुँचती हैं । इस प्रकार पेन्सिल मुड़ी हुई दिखाई देती है ।

विरल और सघन माध्यम (Rare and Dense Medium of Light):

हमारे आसपास कई पारदर्शी माध्यम है, जैसे हवा, पानी, काँच आदि । प्रकाश का अपवर्तन होने के लिए सदैव कम से कम अलग-अलग घनत्वों के दो पारदर्शी माध्यमों की आवश्यकता होती है, जैसे- (हवा, पानी), (पानी, काँच) या (हवा, काँच) आदि ।

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हवा और पानी में हवा विरल माध्यम है तथा पानी सघन माध्यम है, क्योंकि हवा का घनत्व, पानी के घनत्व की तुलना में कम है । इस प्रकार किन्हीं भी दो माध्यमों में किसी माध्यम का विरल या सघन होना उन माध्यमों के घनत्व पर निर्भर करता है ।

 

अपवर्तनांक (Refractive Index of Light):

किसी माध्यम में प्रकाश की चाल, उसके घनत्व पर निर्भर करती है । जिस माध्यम का घनत्व कम होता है, उस माध्यम में प्रकाश की चाल अधिक तथा जिस माध्यम का घनत्व अधिक होता है, उस माध्यम में प्रकाश की चाल कम होती है । उदाहरण के लिए वायु एवं निर्वात का घनत्व, अन्य माध्यमों की तुलना में सबसे कम होता है ।

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इसलिए वायु एवं निर्वात में प्रकाश की चाल अधिकतम लगभग 3 x 108 मीटर/सेकण्ड होती है, जबकि काँच में प्रकाश की चाल लगभग 2 x 108 मीटर/सेकेण्ड होती है । जब प्रकाश हवा से काँच में जा रहा हो तो हवा में प्रकाश की चाल और काँच में प्रकाश की चाल के अनुपात को हवा या निर्वात के सापेक्ष (तुलना में) काँच का अपवर्तनांक कहते हैं । इसे aµg (ए ‘न्यू’ जी) संकेत द्वारा दर्शाते हैं । a for air (हवा), g for glass (काँच) ।

अत:

किन्हीं दो माध्यमों में यदि प्रकाश पहले माध्यम से दूसरे माध्यम में जा रहा हो, तो पहले माध्यम में प्रकाश की चाल और दूसरे माध्यम में प्रकाश की चाल के अनुपात को पहले माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक कहते हैं । इसे IµII से दर्शाते हैं ।

 

निर्वात का शाब्दिक अर्थ (Literal Meaning of Vacuum):

नि: = नहीं, वात= वायु, निर्वात अर्थात् जहाँ वायु न हो । प्रकाश किरण को एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाने पर वह किस मार्ग पर गमन करती है ।

प्रिज्म द्वारा प्रकाश का अपवर्तन (Reflection of Light through Prism):

अभी हमने काँच की पट्टिका द्वारा प्रकाश के अपवर्तन को समझा । काँच की पट्टिका में आमने-सामने की सतहें समांतर होती हैं । क्या होगा जब हम प्रकाश को ऐसी पारदर्शी आकृति में से गुजारे जो तीन आयताकार और दो त्रिभुजाकार सतहों से मिलकर बनी हैं । इस प्रकार की पारदर्शी आकृति को प्रिज्म कहते के आसपास होता है । प्रिज्म को चित्र 8.9 द्वारा दर्शाया गया है ।

प्रिज्म के किन्हीं दो अपवर्तक फलकों के बीच का कोण प्रिज्म का अपवर्तक कोण कहलाता है । संक्षिप्त में इसे प्रिज्म का कोण भी कहते हैं । प्रिज्म अपने ऊपर आपतित प्रकाश को अपवर्तित कर देते हैं ।

प्रिज्म द्वारा प्रकाश का वर्ण विक्षेपण:

हम सभी ने बरसात के दिनों में हल्की धूप में, आकाश में धनुष के आकार की रंगों की एक पट्टी देखी है । इस रंगों की पट्टी को हम इंद्रधनुष कहते हैं । इंद्रधनुष में दिखने वाले रंगों को हम प्रिज्म में से श्वेत प्रकाश या सूर्य प्रकाश को गुजार कर भी देख सकते हैं । प्रिज्म में से जब कोई श्वेत प्रकाश की किरण या सूर्य प्रकाश की किरण गुजरती है तो रंग कैसे दिखाई देते हैं ?

सर्वप्रथम सर आइजक न्यूटन (1642-1727) ने ज्ञात किया था कि जब कोई श्वेत प्रकाश की किरण किसी ब्रिज में प्रवेश करती है तो वह उन रंगों में विभाजित हो जाती है, जिनसे मिलकर सूर्य प्रकाश या श्वेत प्रकाश बना होता है ।

 

 

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