ओजोन विलोपन पर अनुच्छेद | Paragraph on Ozone Depletion in Hindi!

ओजोन एक प्रकार की ऑक्सीजन गैस है जिसमें तीन एटम ऑक्सीजन एवं एक अणु ओजोन का मिला होता है । वायुमंडल के निचले भाग (क्षोभमंडल) में ओजोन की मात्रा कम पाई जाती है फिर भी स्मोग पर सूर्य की किरणें पड़ने से इसकी उत्पत्ति होती रहती है ।

विशेष बात यह है कि ओजोन वायुमंडल की निचली परत में अधिक समय तक नहीं रहती, क्योंकि यह दूसरी अन्य गैसों से मिलकर अपना स्वरूप बदलती रहती है । वायुमंडल में ओजोन गैस की मात्रा कम है फिर भी इसकी सघनता बीस किलोमीटर से लेकर पचास किलोमीटर तक की ऊँचाई में अधिक पाई जाती है ।

 

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ओजोन की उत्पत्ति होती रहती है और यह अन्य गैसों से मिश्रित होकर नष्ट भी होती रहती है । ओजोन गैस सूर्य से आने वाली अल्ट्रा वायलट किरणों को सोख लेती है । यदि अल्ट्रावायलट किरणें सीधी धरती पर पहुँचने लगें तो मानव जीव-जंतुओं में त्वचा कैंसर जैसी बीमारी फैलती हैं ।

ओजोन परत ह्रास का सबसे पहले 1970 में उस समय पता चला था जब सुपरसोनिक वायुयान का आविष्कार किया गया था । सुपरसोनिक हवाई जहाज के फलस्वरूप ओजोन परत का तीव्रगति से ह्रास होता हुआ पाया गया था । वास्तव में ओजोन परत के ह्रास का मुख्य कारण सी॰ एफ॰ सी॰ गैस है ।

सी॰ एफ॰ सी॰ गैस के अणु ओजोन के अणुओं को नष्ट कर देते हैं । सी॰ एफ॰ सी गैस मुख्यत: फ्रिज और डिट्रजेंट इत्यादि से निकलती है । यह गैस क्षोभमंडल को पार करके स्ट्रेटोस्फियर में प्रवेश कर जाते हैं और ओजोन को नष्ट करते हैं ।

इस प्रक्रिया में क्लोरीन का प्रत्येक एटम, ओजोन के दस हजार अणुओं को नष्ट कर देता है । सीएफसी को इसकी विशेषताओं जैसे अक्षयकारिता, अज्वलनशीलता, निम्न विषाक्तता तथा रासायनिक स्थिरता के लिए व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है ।

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साधारण शुद्धिकरण प्रक्रियाओं जैसे फोटोडिसोसिएशन, ऑक्सीकरण तथा वर्षा द्वारा इसे समाप्त नहीं किया जा सकता । सीएफसी का वातावरण में रहने का समय 40 से 150 वर्ष के मध्य है । इस दौरान आकस्मिक विसरण द्वारा सीएफसी क्षोभमंडल से समताप मंडल की तरफ ऊपर की ओर को गति करते हैं ।

एक अनुमान के अनुसार यदि सी॰ एफ॰ सी॰ गैसों के उत्सर्जन को पूर्ण रूप से रोक दिया जाये तब भी आने वाले सैकड़ों वर्षों तक औजोन क ह्रास होता रहेगा ।

ओजोन ह्रास के संबंध में कुछ बेसिक तथ्य (Some Basic Facts about Ozone Depletion):

(i) अंटार्कटिक के वैज्ञानिकों ने एक अल्ट्रावायलट लैंप के नीचे 24 घंटे खड़े होकर प्रयोग किया तो पता चला कि शरीर के जिन भागों की त्वचा लैंप के सामने एक्सपोज थी वह जल्द ही जलने लगी और उस पर सूजन आ गई ।

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(ii) अंटार्कटिका की बसंत ऋतु अर्थात अगस्त-सितंबर के महीनों में, ओजोन छिद्र का आकार अंटार्कटिक महाद्वीप के आधे क्षेत्रफल के बराबर हो जाता है । ओजोन का अधिकतर प्रभाव द॰ अमेरिका के द॰ भाग, द॰ अफ्रीका, न्यूजीलैंड तथा आस्ट्रेलिया के दक्षिणी भागों पर पड़ता है ।

(iii) ओजोन छिद्र का सबसे पहले वैज्ञानिकों ने 1970 में पता लगाया था, जिनके अनुसार सितंबर-अक्तूबर में इसका आकार, ओजोन ह्रास के कारण बड़ा हो जाता है ।

(iv) पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव पर भी मार्च-अप्रैल (बसंत ऋतु) में इसी प्रकार का ओजोन छिद्र देखा जा सकता है । 1989 में अंटार्कटिका महासागर के वायुमंडल के 35 प्रतिशत भाग पर ओजोन छिद्र पाया गया था, जिसका आकार बाद के वर्षों में और भी बड़ा देखा गया । वर्ष 1992 से कनाडा-सरकार प्रतिवर्ष अल्ट्रा-वायलेट सूचकांक जारी करती है ।

(v) कनैडियन सरकार के आंकड़ों के अनुसार अंटार्कटिका महासागर पर ओजोन ह्रास मार्च 1993 में देखा गया था, जब इसके आकार में सामान्य से 22 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी ।

(vi) वर्ष 1994 में कनाडा-सरकार ने ओजोन ह्रास का अध्ययन करने के लिये एल्समियर द्वीप पर एक प्रयोगशाला स्थापित की थी । यह प्रयोगशाला उत्तरी ध्रुव से लगभग एक हजार किलोमीटर की दूरी पर स्थिति है ।

(vii) मध्य अक्षांशों में ओजोन का ह्रास लगभग 6 से 8 प्रतिशत रिकॉर्ड किया गया है । उत्तरी अमेरिका में त्वचा कैंसर से लगभग आठ लाख व्यक्ति पीड़ित होते हैं जिनमें से लगभग दस हजार मौत हो जाती है ।

(viii) त्वचा कैंसर के अतिरिक्त, ओजोन के ह्रास से आँखों की बीमारी, असंक्राम्य की कमी जल प्राणियों में बीमारियों तथा फसलों के उत्पादक पर खराब प्रभाव देखा गया है ।