Read this article in Hindi to learn about:- 1. आउटसाइड माइक्रोमीटर की बनावट (Construction of Outside Micrometer) 2. आउटसाइड माइक्रोमीटर  में रीडिंग लेना (Reading in Outside Micrometer) 3. गलत रीडिंग के कारण (Causes of False Reading) 4. माप लेने की तकनीक (Measuring Technique).

आउटसाइड माइक्रोमीटर की बनावट (Construction of Outside Micrometer):

इसकी बनावट में मुख्यतः निम्नलिखित पार्ट्स होते हैं:

i. फ्रेम:

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यह प्रायः कास्ट स्टील का बना होता है जिस पर एन्विल और दूसरे पार्ट्स फिट रहते है ।

ii. स्पिंडल:

यह प्रायः क्रोमियम स्टील की बनी होती है । इनका लगभग आधा भाग प्लेन होता है और दूसरे भाग पर चूड़ियां बनी होती है । यह थिम्बल के साथ जुड़ा रहता है ।

iii. स्लीव:

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यह प्रायः क्रोमियम स्टील की बनी होती है । जिसे बैरल भी कहते हैं । इसके अंदर चूड़ियां बनी रहती हैं । यह फ्रेम के साथ जुड़ी रहती है ।

iv. ऐन्विल:

यह प्रायः क्रोमियम स्टील की बनी होती है । यह फ्रेम के एक सिरे पर जुड़ी रहती है ।

v. थिम्बल:

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यह प्रायः क्रोमियम स्टील का बना होता है जिसके एक सिरे पर नलिंग की हुई होती है और दूसरा सिरा बेवल होता है । इस बेवल सिरे पर निशान बने होते हैं । यह स्पिंडल के साथ जुड़ा रहता है ।

vi. रैचेट स्टॉप:

प्रत्येक मनुष्य की शक्ति अलग-अलग होती है । माइक्रोमीटर से रीडिंग लेते समय मनुष्य की ताकत के अनुसार रीडिंग कुछ कम या अधिक हो सकती है । इस कमी को दूर करने के लिए माइक्रोमीटर के साथ रैचेट स्टॉप लगाया जाता है । रैचेट का प्रयोग करके रीडिंग ली जा सकती है और गलती होने की संभावना नहीं रहती है । यह थिम्बल के सिरे के साथ जुड़ा रहता हैं ।

vii. लॉक नट:

रीडिंग लेने के बाद स्पिंडल को लॉक करने के लिए एक लॉक नट का प्रयोग किया जाता है जो कि फ्रेम पर लगा होता है ।

रेंज:

माइक्रोमीटर की स्लीव पर अंकित निशानों और माइक्रोमीटर के द्वारा ली जाने वाली माप की सीमा को माइक्रोमीटर की रेंज कहते हैं । मीट्रिक आउटसाइड माइक्रोमीटर की रेंज प्रायः 25 मिमी. और इंगलिश माइक्रोमीटर की रेंज प्रायः 1” होती है ।

आउटसाइड माइक्रोमीटर  में रीडिंग लेना (Reading in Outside Micrometer):

आउटसाइड माइक्रोमीटर से रीडिंग लेने के लिए रीडिंग के अनुसार रेंज के माइक्रोमीटर का चयन कर लिया जाता है । जैसे रीडिंग 0 से 25 मिमी. के बीच में लेनी है तो 0 से 25 मिमी, रेंज वाला माइक्रोमीटर लेंगे और यदि रीडिंग 25 से 50 मि.मी. के बीच में लेनी है तो 25 से 50 मिमी. रेंज वाला माइक्रोमीटर लेंगे ।

रीडिंग लेते समय पहले पूरे मिमी. को फिर 1/5 मिमी. और बाद में थिम्बल डिवीजन को देखा जाता है । 0.5 मिमी. से कम रीडिंग को थिम्बल डिवीजन के द्वारा खोला जाता है । रीडिंग लेने से पहले माइक्रोमीटर की शून्य त्रुटि अवश्य चैक कर लेनी चाहिए ।

रीडिंग लेते समय निम्नलिखित मान अवश्य ध्यान में रखने चाहिए:

1 मेन डिवीजन = 1 मि.मी.

1 सब डिवीजन = 0.5 मि.मी.

1 थिम्बल डिवीजन = 0.01 मि.मी.

उदाहरण:

मान लिया आउट-साइड माइक्रोमीटर से 28.63 मि.मी. रीडिंग लेनी है तो निम्नलिखित विधि अपनायेंगे:

25.00 मि.मी… 25 से 50 मि.मी. रेंज की जीरो रीडिंग

3.00 मि.मी… 3 मेन डिवीजन (3 × 1 मि.मी.)

0.50 मि.मी. 1 सब डिवीजन (1 × .5 मि.मी.)

0.13 मि.मी…. 13 थिम्बल डिवीजन (13 × .01 मि.मी.)

28.63 मिमी. कुल रीडिंग

i. इंगलिश पद्धति में रीडिंग लेना:

इंगलिश आउटसाइड माइक्रोमीटर में रीडिंग लेने के लिए रीडिंग के अनुसार रेंज के माइक्रोमीटर का चयन कर लिया जाता है । जैसे 0 से 1” के बीच में रीडिंग लेनी है तो 0 से 1” रेंज वाला माइक्रोमीटर लेंगे । रीडिंग लेते समय पहले मेन डिवीजन, फिर सब डिवीजन और बाद में थिम्बल डिवीजन को देखते हैं । माइक्रोमीटर से रीडिंग लेने से पहले उसकी शुन्य त्रुटि अवश्य चैक कर लेनी चाहिए ।

रीडिंग लेते समय निम्नलिखित मान अवश्य ध्यान में रखने चाहिएं:

1 मेन डिवीजन = .100”

1 सब डिवीजन = .025”

1 थिम्बल डिवीजन = .001”

उदाहरण:

आउट साइड माइक्रोमीटर से 0.183” रीडिंग लेनी है तो निम्नलिखित विधि अपनायेंगे:

0.000”… 0 से 1” रेंज की जीरो रीडिंग

0.100”…… 1 मेन डिवीजन (1×100”)

0.075”…… 3 सब डिवीजन (3×.025”)

0.008”…..8 थिम्बल डिवीजन (8×.001”)

0.183” कुल रीडिंग

ii. जीरो रीडिंग:

किसी माइक्रोमीटर की प्रारंभिक रीडिंग को जीरो रीडिंग कहते हैं जैसे 0 से 25 मिमी. रेंज वाले माइक्रोमीटर की जीरो रीडिंग 0.00 मि.मी. होती है और 25 से 50 मिमी. रेंज वाले माइक्रोमीटर की जीरो रीडिंग 25 मिमी. होती है ।

शून्य त्रुटि:

माइक्रोमीटर की शून्य त्रुटि को चैक करने के लिए माइक्रोमीटर के स्पिंडल और एन्विल को आपस में संपर्क में लाने के बाद यह देखा जाता है कि थिम्बल का जीरो स्लीव की डेटम लाइन के साथ मिल रहा है कि नहीं । यदि थम्बल का जीरो डेटम लाइन से नहीं मिलता अर्थात् आगे या पीछे रह जाता है तो समझना चाहिए कि माइक्रोमीटर में शून्य त्रुटि है ।

यह शून्य त्रुटि निम्नलिखित दो प्रकार की होती है:

I. धनात्मक त्रुटि:

यदि थिम्बल का जीरो स्लीव की डेटम लाइन से पीछे रह जाता है तो धनात्मक त्रुटि होती है । रीडिंग लेने के बाद कुल रीडिंग में इस त्रुटि को घटाने पर सही रीडिंग आ जाती है ।

II. ऋणात्मक त्रुटि:

यदि थिम्बल का जीरो स्लीव की डेटम लाइन से आगे बढ़ जाता है तो ऋणात्मक त्रुटि होती है । रीडिंग लेने के बाद कुल रीडिंग में इस त्रुटि को जमा कर देने पर सही रीडिंग आ जाती है ।

शून्य त्रुटि ठीक करने की विधियां:

1. माइक्रोमीटर की स्लीव को ‘C’ मेनर से समायोजित करके शून्य त्रटि ठीक की जा सकती है ।

2. कुछ माइक्रोमीटरों की ऐन्विल स्क्रू के द्वारा जोड़ी जाती है । इस स्क्रू की सहायता से ऐन्विल को समायोजित करके शून्य त्रुटि ठीक की जा सकती है ।

टेस्ट पीस:

ये एलॉय स्टील के गोल आकार के पीस होते हैं जिनको ग्राइडिंग, हार्डनिंग और टेम्परिंग किया जाता है । ये कई साइज में आते हैं जैसे 25 मि.मी., 50 मि.मी. 1”, 2” आदि । इनका प्रयोग माइक्रोमीटर की शून्य त्रुटि चैक करते समय किया जाता है जैसे 25 से 50 मिमी. वाले आउट साइड माइक्रोमीटर की शून्य त्रुटि चैक करते समय एन्विल और स्पिंडल के बीच में 25 मिमी. का टेस्ट पीस लगाकर उसकी शून्य त्रुटि चैक की जा सकती है ।

आउटसाइड माइक्रोमीटर में गलत रीडिंग के कारण (Causes of Outside Micrometer’s False Reading):

(क) माइक्रोमीटर में शून्य त्रुटि होना ।

(ख) जॉब और माइक्रोमीटर के मेजरिंग फेसों को साफ न करना ।

(ग) रैंचेट स्टॉप का प्रयोग न करना ।

(घ) जॉब को तब मापना जब वह गति में हो ।

(ड.) माइक्रोमीटर को गलत तरीके से पकड़ना ।

(च) जॉब और माइक्रोमीटर के तापमान में अंतर होना ।

आउटसाइड माइक्रोमीटर में माप लेने की तकनीक (Measuring Technique of Outside Micrometer):

(क) आउटसाइड माइक्रोमीटर के मेजरिंग फेसों को नर्म कपड़े या पेपर से साफ करें ।

(ख) जीरो सेटिंग के लिए माइक्रोमीटर को चैक करें ।

(ग) माइक्रोमीटर को चैक करने वाले जॉब के साइज से थोड़ा सा अधिक साइज पर सेट करें ।

(घ) माइक्रोमीटर को उसके फ्रेम से बांये हाथ में पकड़े और जॉब को उसकी एन्विल और स्पिंडल के बीच रखें ।

(ड.) रैटच स्टॉप को दांय हाथ की अगुलियों और अंगुठे से घुमायें और इसे तब तक घुमाते रहें जब तक कि वह स्लिप या खड़खड़ की आवाज करने लग जाए ।

(च) यह सुनिश्चित करें कि माप लेने वाला अक्ष जॉब की सरफेसों के समकोण में हो व सेंटर से गुजरे ।

(छ) रीडिंग लें ।

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