Read this article in Hindi to learn about:- 1. स्टैंडर्ड ग्राइंडिंग ह्वील मार्किंग (Standard Grinding Wheel Marking) 2. ग्राइंडिंग ह्वील का चयन करना (Selection of Grinding Wheel) 3. माउंटिंग (Mounting) and Other Details.

Contents:

  1. स्टैंडर्ड ग्राइंडिंग ह्वील मार्किंग (Standard Grinding Wheel Marking)
  2. ग्राइंडिंग ह्वील का चयन करना (Selection of Grinding Wheel)
  3. माउंटिंग ऑफ ग्राइंडिंग ह्वील (Mounting of Grinding Wheel)
  4. ग्राइंडिंग ह्वील को बैलेंस करना (Balancing of Grinding Wheel)
  5. ग्राइंडिंग ह्वील की स्पीड (Speed of Grinding Wheel)
  6. ग्राइंडिंग ह्वील के संबंध में कुछ संकेत (Some Points on Grinding Wheel)


1. स्टैंडर्ड ग्राइंडिंग ह्वील मार्किंग (Standard Grinding Wheel Marking):

ग्राइंडिंग ह्वील पर उसके विवरण के अनुसार कुछ नंबरों और अक्षरों में प्रतीक लिखे रहते हैं जिससे उनको पढ़कर ह्वील का पूर्ण विवरण ज्ञात किया जा सकता है । ग्राइंडिंग ह्वील पर लिखे इन प्रतीकों को ग्राइंडिंग ह्वील की मार्किंग कहते हैं । भारतीय स्टैंडर्ड (B.I.S.) के अनुसार ये प्रतीक ह्वील का पूर्ण विवरण प्रकट करते हैं ।

ADVERTISEMENTS:

जैसे:

(1) कंपनी द्वारा दिया गया एब्रेसिव का नंबर,

(2) एब्रेसिव का प्रकार,

(3) ग्रेन का साइज,

ADVERTISEMENTS:

(4) ग्रेड,

(5) स्ट्रक्चर,

(6) बॉण्ड का प्रकार,

(7) कंपनी का अपना प्रतीक ।

ADVERTISEMENTS:

जैसे:

“51 A 46 L 5 V 23”

‘51’- यह कंपनी द्वारा दिए गए एब्रेसिव के नंबरों को इंगित करता है ।

‘A’- यह एब्रेसिव के प्रकार को इंगित करता है जो कि एल्युमीनियम आक्साइड है ।

‘46’- यह ग्रेन के साइज को इंगित करता है जो कि मीडियम है ।

‘L’- यह ग्रेड को इंगित करता है जो कि मीडियम है ।

‘5’- यह स्ट्रक्चर को इंगित करता है जो कि डेंस है ।

‘V’- यह बॉण्ड को इंगित करता है जो कि विट्रिफाइड है ।

‘23’- यह कंपनी का अपना प्रतीक है जिससे ह्वील को पहचाना जा सकता है ।


2. ग्राइंडिंग ह्वील का चयन करना (Selection of Grinding Wheel):

जब ग्राइंडिंग की जाती है तो ह्वील का चयन करना अति आवश्यक होता है जिससे संतोषजनक कार्य किया जा सके ।

भारतीय स्टैंडर्ड के अनुसार ह्वील का चयन निम्नलिखित साधनों पर निर्भर करता है:

(1) स्थिर साधन:

i. ग्राइंडिंग की जाने वाली धातु के अनुसार ।

ii. ग्राइंडिंग की जाने वाले स्टॉक की मात्रा के अनुसार ।

iii. ह्वील और कार्य के बीच संपर्क में आने वाले क्षेत्रफल के अनुसार ।

iv. ग्राइंडिंग मशीन के प्रकार के अनुसार ।

(2) अस्थिर साधन:

i. ह्वील की स्पीड के अनुसार ।

ii. कार्य की स्पीड के अनुसार ।

iii. मशीन की दशा के अनुसार ।

iv. व्यक्तिगत साधनों के अनुसार ।


3. माउंटिंग ऑफ ग्राइंडिंग ह्वील (Mounting of Grinding Wheel):

ग्राइंडिंग ह्वील को ग्राइंडिंग मशीन के स्पिंडल पर बांधने से पहले ह्वील को परख लेना चाहिए कि ह्वील कहीं से क्रेक तो नहीं है । ह्वील के परखने के लिए उसे एक धागे से बांध कर और लटकाकर मैलेट से हल्की सी चोट मारनी चाहिए ।

चोट लगने से यदि टन-टन की आवाज आती है तो समझना चाहिए कि ह्वील ठीक है । यदि डल या भारी आवाज आती है तो समझना चाहिए कि ह्वील कहीं से क्रेक है और ऐसे ह्वील का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।

बांधना:

i. कार्य के अनुसार ह्वील का चयन कर लेना चाहिए ।

ii. यदि ह्वील के बोर का साइज बड़ा हो तो मशीन के स्पिंडल के साइज के अनुसार बुश लगा देना चाहिए या लैड को भर कर सही साइज का सुराख कर लेना चाहिए ।

iii. अंदर वाले फ्लेंज को पहले स्पिंडल पर चढ़ाना चाहिए फिर ब्लॉटर पेपर या कार्ड-बोर्ड की वॉशर लगनी चाहिए ।

iv. ह्वील को स्पिंडल पर चढ़ाकर ब्लॉटर पेपर या कार्ड बोर्ड की वॉशर लगा कर बाहरी फ्लेंज को चढ़ाना चाहिए ।

v. नट से ह्वील को स्पिंडल के साथ कस देना चाहिए ।

vi. ह्वील को बांधने के बाद ड्रेसर से ट्रूइंग और ड़ेसिंग करनी चाहिए ।


4. ग्राइंडिंग ह्वील को बैलेंस करना (Balancing of Grinding Wheel):

जब ग्राइंडिंग ह्वील का उत्पादन किया जाता है तो ह्वील का भार किसी स्थान पर कम और किसी स्थान पर अधिक हो जाता है । यदि ऐसे ह्वील को मशीन पर फिट कर देंगे तो वह मशीन के बियरिंग को खराब कर सकता है । जिससे मशीन ठीक प्रकार से कार्य नहीं करेगी ।

इसके अतिरिक्त जो ग्राइंडिंग की जाएगी वह घटिया किस्म की होगी । इसलिए ह्वील को बैलेंस करना अति आवश्यक हो जाता है छोटे साइज के ह्वील को बैलेंस करने के लिए कुछ खांचे काट दिए जाते हैं और जिधर भार कम होता है उधर वाले खांचे में लैड को पिघलाकर भर दिया जाता है जिससे ह्वील बैलेंस हो जाता है ।

बड़े साइज के ह्वील को बैलेंसिंग स्टैंड पर रखकर फ्लैंज के रिसेस्ड भाग में भार को समायोजित करके ह्वील को बैलेंस किया जा सकता है । आधुनिक ग्राइंडिंग मशीनों पर कुछ ऐसे साधन लगे रहते हैं जिसमें कार्य करते समय ह्वील अपने आप बैलेंस हो जाता है ।


5. ग्राइंडिंग ह्वील की स्पीड (Speed of Grinding Wheel):

ग्राइंडिंग ह्वील और कार्य से संबंधित स्पीड को ह्वील की सरफेस स्पीड कहते हैं अर्थात् प्रति मिनट में ग्राइंडिंग ह्वील जितनी धातु काटता है यदि उसे फुट या मीटर में माप लिया जाए तो वह उसकी सरफेस स्पीड कहलाएगी । इसे सरफेस स्पीड फीट प्रति मिनट (S.F.P.M.) और मीटर प्रति मिनट (S.M.P.M.) में प्रकट करते हैं ।

ग्राइंडिंग ह्वील की सरफेस स्पीड को निम्नलिखित सूत्रों के द्वारा निकाला जा सकता है:

i. इंगलिश पद्धति:

ii. मीट्रिक पद्धति:


6. ग्राइंडिंग ह्वील के संबंध में कुछ संकेत (Some Points on Grinding Wheel):

i. ग्लेजिंग:

ग्राइंडिंग ह्वील के एब्रेसिव ग्रेंस जब बॉण्ड की अपेक्षा जल्दी घिस जाते हैं तो ह्वील का फेस शीशे के समान चमकदार हो जाता है । इसे ह्वील का ग्लेजिंग होना कहते हैं । अधिक फाइन गेंस या अधिक हार्ड बॉण्ड वाले ह्वील होने के कारण प्रायः ग्लेजिंग हो जाती है । इससे ह्वील की काटने की क्षमता कम हो जाती है इसे ड्रेसिंग करके ठीक किया जा सकता ।

ii. लोडिंग:

ग्राइंडिंग करते समय ह्वील के फेस पर धातु के कुछ कण फंस जाते हैं । इसे लोडिंग कहते हैं । हार्ड बॉण्ड वाले ह्वील से सॉफ्ट धातु की ग्राइंडिंग करते समय और कम स्पीड पर ग्राइंडिंग करते समय प्रायः लोडिंग हो जाती है । इसे ड्रेसिंग करके ठीक किया जा सकता है ।

iii. ट्रूइंग:

जब किसी ग्राइंडिंग ह्वील को ग्राइंडिंग मशीन के स्पिंडल पर बांधा जाता है तो ह्वील के फेस को मशीन के स्पिंडल के संकेन्द्रिक चलाने के लिए यह कार्यक्रिया की जाती है । इस कार्यक्रिया को करने के लिये ड्रेसिंग टूल का प्रयोग किया जाता है ।

iv. ड्रेसिंग:

जब ग्राइंडिंग ह्वील ग्लेजिंग या लोडिंग हो जाते हैं तो उनकी काटने की क्षमता कम हो जाती है । इसलिए यह काटने की क्षमता दुबारा लाने के लिए एक कार्यक्रिया की जाती है जिसे ड्रेसिंग कहते हैं । ड्रेसिंग करने के लिए ड्रेसिंग टूल का प्रयोग किया जाता है ।

ह्वील ड्रेसर:

यह एक प्रकार का टूल होता है जिसका प्रयोग ग्राइंडिंग ह्वील की ट्रूइंग या ड्रेसिंग करने के लिए किया जाता है ।

प्राय: ये निम्नलिखित प्रकार के प्रयोग में लाए जाते हैं:

I. स्टील ड्रेसर- इसमें हार्ड किए हुए कई रोटेरी ह्वील होते हैं जिनकी कटिंग सरफेसें उनकी परिधि पर होती हैं । इसका प्रयोग कोर्स ग्रेन वाले एब्रेसिव ह्वील पर किया जाता है ।

II. एब्रेसिव स्टिक ड्रेसर- इसे एब्रेसिव मेटीरियल से गोल या स्क्वायर आकार में बनाया जाता है । यह हल्के ड्रेसिंग कार्य के लिए प्रयोग में लाई जाती हैं ।

III. डायमंड ड्रेसर- इस ड्रेसर में एक होल्डर होता है जिसके एक सिरे पर डायमंड फिट कर दिया जाता है । यह अन्य ड्रेसरों की अपेक्षा कुछ महंगा होता है । इसलिये इसका प्रयोग बड़ी सावधानी से करना चाहिए । इस ड्रेसर का अधिकतर प्रयोग सरफेस ग्राइंडर, सिलंड्रिकल ग्राइंडर और कटर ग्राइंडर पर किया जाता है ।