उद्देश्यों द्वारा प्रबंधन पर निबंध | Essay on Management by Objectives (M.B.O.) | Hindi!

उद्देश्यों द्वारा प्रबंधन पर निबंध | Essay on M.B.O.


Essay # 1. उद्देश्यों द्वारा प्रबन्ध (M.B.O.) का अर्थ (Meaning of Management by Objectives):

उद्देश्यों का निर्धारण करके और उनके आधार पर संगठन का प्रबन्ध करने की प्रणाली को “उद्देश्यों द्वारा प्रबन्ध (M.B.O.) कहते है । एम.बी.ओ. प्रबन्ध क्षेत्र में नवीन अवधारणा है, जिसका उद्देश्य प्रत्येक कार्मिक की प्रत्येक गतिविधि को उद्देश्योन्मुख बनाए रखना है ।

इस अवधारणा की कतिपय विशेषताएं इतनी महत्वपूर्ण है कि प्रबन्ध इस प्रणाली की उपेक्षा नहीं कर सकता । इतना अवश्य है कि संगठन की प्रकृति के आधार पर इसे कम-अधिक मात्रा में अपनाया जाता है ।

अर्थ और अवधारणा:

ADVERTISEMENTS:

उद्देश्यों द्वारा प्रबन्ध से आशय है- “उद्देश्यों को केन्द्र में रखकर प्रबन्ध कार्य सम्पन्न करना । “अल्फ्रेड सीलॉंन द्वारा इसका सर्वप्रथम प्रयोग 1950 में किया गया था लेकिन इसकी अवधारणा को लोकप्रिय बनाया “पीटर ड्रकर” ने । पीटर ड्रकर के अनुसार एम.बी.ओ. उद्देश्यों के आधार पर विभागों और कार्मिको के मध्य सत्ता और उत्तरदायित्व का विभाजन है ।

यह इस अवधारणा पर आधारित प्रणाली है कि प्रत्येक संस्था के कुछ आधारभूत उद्देश्य होते हैं जिन्हे कार्मिकों के उद्देश्यों के साथ संयुक्त किया जा सकता है । वस्तुतः संस्था के उद्देश्यों के अनुरूप ही कार्मिकों के कार्यों का निर्धारण किया जाता है ।

एम.बी.ओ. की निम्नलिखित मान्यताएं इसकी अवधारणा को स्पष्ट करती है:

1. प्रत्येक संस्था के कतिपय आधारभूत उद्देश्यों होते है ।

ADVERTISEMENTS:

2. प्रत्येक कार्मिक को इन उद्देश्यों की जानकारी होनी चाहिये ।

3. समस्त गतिविधियां मात्र उद्देश्यों की दिशा में लगनी चाहिये ।

4. उद्देश्य लिखित और गतिशील होने चाहिये ।

5. व्यापक उद्देश्यों के लिए कुछ गौण उद्देश्यों को छोड़ा जा सकता है ।

ADVERTISEMENTS:

6. संस्था का अस्तित्व बना रहे और उसका निरन्तर विकास हो, यह मूल उद्देश्य होना चाहिये ।

परिभाषाएं:

आरिन उरिस- “एम.बी.ओ. एक सरल अवधारणा है, जिसके द्वारा वास्तविक कार्य निष्पादन का मूल्यांकन उद्देश्यों के आधार पर किया जाता है ।” मैसी और डगलस “एम.बी.ओ. से आशय है- उद्देश्यों की व्यवस्थित सौपानिकता ।”


Essay # 2.

उद्देश्यों द्वारा प्रबन्ध (M.B.O.) की उद्देश्य (Aims of Management by Objectives):

एम.बी.ओ. प्रणाली के मुख्य उद्देश्य इस प्रकार होते है:

1. उद्देश्यों के निर्धारण द्वारा अंतिम परिणाम प्राप्त करना ।

2. प्रत्येक कार्मिक के योगदान का मूल्यांकन करना ।

3. प्रत्येक कार्मिक के उद्देश्य को संस्था के आधारभूत उद्देश्यों के साथ संयुक्त करना ।

4. अधीनस्थों की कार्यक्षमता को उद्देश्योन्मुख रखकर बढ़ाना ।

5. वेतन एवं पदोन्नति के लिए आधार प्रदान करना ।

6. प्रभावशाली नियंत्रण की स्थापना करना ।

7. उपलब्धियों/उद्देश्यो के द्वारा अभिप्रेरण देना ।


Essay # 3.

उद्देश्यों द्वारा प्रबन्ध (M.B.O.) की विशेषताएं (Features of Management by Objectives):

एक सफल एम.बी.ओ. प्रणाली में निम्नलिखित लक्षण पाये जाते है:

(1) संगठन के प्रत्येक स्तर पर उद्देश्यों का निर्धारण किया जाता है । इससें उद्देश्यों की एक व्यवस्थित सोपानिकता विकसित हो जाती है । प्रत्येक कार्मिक अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में जुट जाता है।

(2) प्रत्येक कार्मिक के लक्ष्य का निर्धारण टीम भावना से होता है । अधिकारी और अधीनस्थ दोनों ही कार्मिक के लक्ष्य निर्धारण में भाग लेते है ।

(3) इन लक्षणों का निर्धारण और नियोजन एक निश्चित अवधि के लिए होता है उनमें समयानुसार परिवर्तन किया जाता है ।

(4) अधिकारी अधीनस्थों को पर्याप्त मात्रा में प्रत्यायोजन करते है ताकि वे अपने कार्य कर सकें ।

(5) उपयुक्त नियंत्रण प्रणाली द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि निर्धारित प्रक्रिया द्वारा ही कार्य हो रहा है । यह नियंत्रण प्रणाली “स्वयं सुधार पद्धति” पर आधारित होती है ।

(6) सभी स्तरों पर पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जाता है ।

(7) सम्पूर्ण प्रणाली की सामयिक समीक्षा की जाती है और आवश्यकतानुसार उसमें सुधार या परिवर्तन किया जाता है ।

(8) कार्मिकों, विभागों की उपलब्धियों का प्रचार किया जाता है, उनको पुरस्कृत किया जाता है ।

एम.बी.ओ प्रक्रिया:

एम.बी.ओ. की प्रक्रिया के सामान्यतया चार चरण होते है:

1. संगठन के व्यापक उद्देश्यों का निर्धारण करना। इसमें संस्था के दीर्घकालीन, अल्पकालीन सभी आधारभूत उद्देश्यों का निर्धारण किया जाता है।

2. संगठन के उद्देश्यों के अनुसार विभागीय उद्देश्यों का निर्धारण किया जाता है।

3. तृतीय चरण में प्रबंधको के लक्ष्यों का निर्धारण किया जाता है।

4. चतुर्थ चरण पुनरावलोकन का है । इसके तहत समय-समय पर उक्त लक्ष्यों और प्राप्त परिणामों का मूल्यांकन किया जाता है । इस मूल्यांकन के द्वारा ही भविष्य के उद्देश्यों को निर्धारित करने में मदद मिलती है ।


Essay # 4.

उद्देश्यों द्वारा प्रबन्ध (M.B.O.) के लाभ या उपादेयता (Advantages of Management by Objectives):

एम.बी.ओ. प्रणाली संगठन में अनेक लाभों को सुनिश्चित करती है जैसे:

1. कुशल निष्पादन: उद्देश्यों के निर्धारण से प्रत्येक कार्मिक की गतिविधियां एक निश्चित दिशा में संचालित होती है । सभी अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में जुट जाते है, इससे प्रबन्धकीय निष्पादन में सुधार होता है ।

2. उद्देश्यों को प्राप्त करना सरल और सुविधाजनक हो जाता है ।

3. उद्देश्यों के निर्धारण में टीम भावना होती है, इससे प्रत्येक कार्मिक का मनोबल ऊंचा रहता है और उसमें विश्वास का संचार होता है ।

4. संस्था और प्रबंन्धकों के कार्य केवल लाभदेय कामों तक ही सीमित रहते है ।

5. उद्देश्योनुरूप कार्य सम्पन्न होने से कार्मिकों में आत्मसंतुष्टि का विकास होता है ।

6. व्यैक्तिक पहलपन और प्रबंन्धकीय क्षमता दोनों का विकास इस प्रणाली में होता है ।

7. उद्देश्यों के आधार पर प्रभावशाली नियंत्रण स्थापित हो जाता है ।

8. प्रभावी संचार व्यवस्था स्थापित हो जाती है और कार्मिकों के मध्य अच्छा समन्वय होता है ।

9. अधिकारों का प्रत्यायोजन होने से संगठन की प्रभावशीलता अधिक होती है ।

10. कार्मिकों को सहभागी प्रबन्ध, निर्णयन की स्वतंत्रता, कार्य निष्पादन के आधार पर मूल्यांकन आदि के द्वारा प्रभावी ढंग से अभिप्रेरित किया जा सकना संभव होता है ।

11. इस प्रणाली के द्वारा वेतनवृद्धि, पदोन्नति आदि का निर्धारण करने में अधिक वस्तुनिष्ठता प्राप्त होती है ।


Essay # 5.

उद्देश्यों द्वारा प्रबन्ध (M.B.O.) की दोष या सीमाएं (Limitations of Management by Objectives):

एम.बी.ओ. के व्यवहार में अनेक दोष है जो वस्तुतः इस प्रणाली को लागू करने में आने वाली सीमाएं है जैसे:

1. उद्देश्य निर्धारण में कठिनाई: प्रत्येक स्तर पर यह उद्देश्यों का निर्धारण एम. बी.ओ. का आवश्यक तत्व, लेकिन यह कार्य व्यवहार में अत्यंत कठिन है ।

2. एम.बी.ओ. में कतिपय गुणात्मक उद्देश्यों की उपेक्षा हो जाती है ।

3. उद्देश्यों के निर्धारण में अत्यधिक समय खर्च हो जाता है ।

4. उद्देश्यों को निर्धारित करते समय देश की नीति और कानून, उपक्रम के सामान्य उद्देश्य, बाहरी दबाव आदि कारणों को ध्यान में रखना होता है जिससे यह प्रक्रिया जटिल बन जाती है ।

5. एम.बी.ओ. के लिए प्रत्यायोजन करना पड़ता है जो एक कठिन कार्य है ।

6. इसके लिए प्रशिक्षण पर व्यय करना पड़ता है ।

7. परिस्थितियों के अनुरूप उद्देश्यों में परिवर्तन कई बार संभव नहीं हो पाता और कार्मिकगण अवास्तविक लक्ष्यों के पीछे पड़े रहते है ।

8. अल्पकालीन और दीर्घकालीन उद्देश्यों के मध्य संतुलन की समस्या उत्पन्न होती है ।


Essay # 6.

एम.बी.ओ. को प्रभावशाली बनाने हेतु सुझाव (Suggestions for Making Powerful Management by Objectives):

1. उद्देश्य व्यावहारिक होने चाहिये और उनके लिए समयावधि निश्चित हो ।

2. प्रबंधक-अधीनस्थ मिलकर उद्देश्यों का निर्धारण करें ।

3. उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से पारिभाषित किया जाये ।

4. उद्देश्यों की जानकारी प्रत्येक कार्मिक को हो ।

5. उचित प्रशिक्षण दिया जाये ।

6. संचार की उपर्युक्त व्यवस्था स्थापित की जाये।

7. अधीनस्थों के कार्यों में बिना वजह हस्तक्षेप नहीं हो ।

8. परिणामों के अनुरूप कार्मिकों की उपलब्धियों को मान्यता प्रदान की जाए ।

9. उचित अभिप्रेरण की व्यवस्था हो ताकि मनोबल ऊंचा बना रहे।

उपर्युक्त विवेचना के प्रकाश में यह कहा जा सकता है कि एम.बी.ओ. आधुनिक प्रबंध के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी अवधारणा है । यह संगठन की गतिविधियों को उद्देश्योन्मुख बनाकर अकार्यकुशलता को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और इस प्रकार सांगठनिक उद्देश्यों और कार्मिक मनोबल दोनों दृष्टि से लाभदायक है । इससे होने वाली हानियों की तुलना में प्राप्त लाभ का स्तर और मात्रा बहुत अधिक है ।


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