कैंसर पर निबंध | Essay on Cancer in Hindi.

Essay # 1. कैन्सर (Cancer):

बच्चों तथा वयस्कों दोनों में ही, कैन्सर की दर निश्चित रूप से बढ रही है- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रति वर्ष 1 करोड लोग कैन्सर के शिकार होते हैं । 1 करोड नए मरीज, ऐसी बीमारी के, जिसका कुछ सौ साल पहले तक किसी ने नाम तक नहीं सुना था । क्या ये सब सिर्फ इसलिए, क्योंकि मानव अधिक उम्र तक जीवित रहते हैं, इस कारण कैन्सर होने का खतरा बढ जाता है- या यह मानव शरीर प्रदूषण के बढ़ने का परिणाम है ।

कैन्सर की दर की बढती मुख्य वजह इस तथ्य में छुपी है कि मानव प्रतिदिन जिसके भी, जैसे मुक्त धातुकणों हारमोन, कीटनाशक के संपर्क में आते हैं – ये सब कैंसर के कारक हैं । मानव शरीर इन बाहरी तत्वों से हुई क्षति से हर संभव तरीके से जूझता है, जबकि प्राकृतिक रूप से शरीर इस तरह के बाहरी तत्वों से लड़ने के लिए अभ्यस्त नहीं है ।

लेकिन कोशिकीय मरम्मत की प्रक्रिया में, कोई गलती होने या उत्परिवर्तन (कैन्सर कोशिकाएँ) बढने का खतरा होता है । इन्हीं उत्परिवर्तकों का निर्माण, कैन्सर या पैदाइशी दोषों का कारण बनता है ।

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यह तथ्य जानना कई लोगों के हित में होगा कि स्तन कैन्सर से पीडित महिलाओं के वसीय ऊतकों में कुछ विषाक्त पदार्थों की मात्रा बहुत अधिक होती है । इतना ही नहीं, बल्कि वास्तव में कैन्सर वाले ऊतकों में पी.सी.बी. तथा डी.डी.ई. जैसे रसायनों की मात्रा भी बहुत अधिक पाई गई है । याद रखें- मनुष्य के वसीय ऊतकों में इस प्रकार के रसायनों की कुछ मात्रा मौजूद रहती है । दूसरे शब्दों में, मानव सब खतरे के दायरे में हैं ।

Essay # 2. कैन्सर (Cancer):

जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, वजन बढने की प्रवृत्ति भी बढ़ती जाती है । क्या यह चिंता का विषय है या इसे उम्र बढने के प्राकृतिक प्रभाव के रूप में स्वीकार कर लेते हैं?

वजन बढने के साथ-साथ हृदय रोग और मधुमेह का खतरा बढ जाता है, लेकिन बहुत कम लोगों को ही यह पता है कि इससे कैन्सर की आशंका भी बढ जाती है । पूरे विश्व में कैन्सर के एक-चौथाई से एक-तिहाई मामलों को अधिक वजन और शारीरिक रूप से अक्रियाशील होने से जुड़ा पाया गया है ।

Essay # 3. कैन्सर (Cancer):

तनाव आपको कई तरह के कैन्सर के लिए एक आसान शिकार बना देता है और यदि एक बार बीमार पड़ जाएँ, तो तनाव आपकी स्वस्थ होने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है । हाल ही में हुए एक अध्ययन में सिद्ध हुआ कि स्तन कैन्सर के रोगी, जिनमें रोग की पहचान से उपचार तक उच्च स्तर का तनाव था, उनकी प्रतिरोधक प्रणाली, कम तनाव वाले रोगियों की अपेक्षा ज्यादा कमजोर थी । इन अधिक तनाव ग्रस्त महिलाओं में कैन्सर कोशिकाओं की पहचान करने और उन्हें मारने वाली प्राकृतिक प्रतिरोधी कोशिकाओं का स्तर कम था । यह जानकर आश्चर्य होगा कि कई अध्ययन बताते हैं कि नियमित और हल्का-फूल्का व्यायाम ही आँतों के कैन्सर का खतरा कम कर सकता है, जबकि कडी मेहनत वाला व्यायाम इसमें बहुत कम या जरा भी फायदेमंद नहीं होता । एक वैज्ञानिक तथ्य यह भी है कि शारीरिक क्रियाशीलता से जुडा कोई भी नियमित कार्यक्रम, हार्मोन से जुडे कई तरह के कैन्सर, जैसे स्तन, एन्डोमीट्रियल, प्रॉस्टेट तथा टेस्टीकुलर कैन्सर को रोकने में सहायक होता है ।

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