भारत में ई-गवर्नेंस पर निबंध! Here is an essay on ‘E-Governance in India’ in Hindi language.

सभी लाभों को देखते हुए आज अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैण्ड, जापान, चीन आदि देशों सहित विश्व के अधिकांश विकसित और विकासशील देश ई-गवर्नेंस की ओर बढ रहे है । धीमी गीत से ही सही भारत भी शेष विश्व के साथ कदमताल करता हुआ ई-गवर्नेंस की दिशा में आगे बढ़ रहा है ।

भारत ने वर्ष 2000 से ही ई-गवर्नेंस से सम्बन्धित विषयों पर काम करना आरम्भ कर दिया था । इस वर्ष भारत सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक कार्य-सम्पादन प्रक्रिया से सम्बन्धित कानून को क्रियान्वित किया । इसे आईटी (IT) एक्ट, 2000 के नाम से जाना जाता है । इसके बाद सरकार ने वर्ष 2003-07 के बीच लागू किए गए राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस एक्शन प्लान को मंजूरी दी ।

इसका मुख्य उद्देश्य ई-गवर्नेंस के लिए एक स्थायी धरातल तैयार करना था । 10 नवम्बर, 2005 में भारत सरकार द्वारा Indian(dot)gov(dot)in नामक वेबसाइट की शुरूआत की गई । यह वेबसाइट देश के सभी नागरिकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है ।

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इसके जरिये किसान, विद्यार्थी, व्यवसायी आदि सहित सभी व्यक्ति अपने काम की सूचना पा सकते हैं । इस वेबसाइट की सेवाओं का लाभ उठाने के लिए प्रयोक्ता (यूजर) को सर्वप्रथम इस वेबसाइट पर जाकर स्वयं को रजिस्टर कराना होता है । इसके बाद 18 मई, 2005 को भारत सरकार ने राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस के प्लान को मंजूरी दी ।

इस प्लान का मुख्य उद्देश्य आम जनता को स्थानीय स्तर पर निम्न दरों में सरकारी सुविधाएं उपलब्ध कराना था तथा साथ ही सरकारी कामकाज में पारदर्शिता एवं गुणवत्तात्मक सुधार लाना था, हालांकि यह प्लान मूलभूत सुविधाओं में अभाव के चलते अपेक्षित सफलता हासिल नहीं कर सका ।

केन्द्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों ने भी ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में कदम रखे हैं । उन्होंने इसे लेकर कुछ परियोजनाएँ आरम्भ की है । इनमें ‘भूमि प्रोजेक्ट’ (कर्नाटक), ज्ञानदूत प्रोजेक्ट (मध्य प्रदेश), स्मार्ट प्रोजेक्ट (आन्ध्र प्रदेश), सारी प्रोजेक्ट (तमिलनाडु) तथा सम्पर्क प्रोजेक्ट (चण्डीगढ) मुख्य हैं ।

इन सभी परियोजनाओं से इन राज्यों की जनता को काफी लाभ पहुँचा है । इसके अतिरिक्त, केन्द्र सरकार ने अभी ‘डिजिटल इण्डिया’ नामक प्रोजेक्ट की घोषणा भी की है । मोदी सरकार इसे वर्ष 2019 तक पूरा कर लेना चाहती है ।

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इस प्रोजेक्ट के अन्तर्गत स्वास्थ्य, शिक्षा, न्यायपालिका आदि सभी मन्त्रालयों को ई-गवर्नेंस से जोड़ने पर जोर दिया जा रहा हे । इस प्रोजेक्ट को प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है । इससे ऐसा लगता है कि वर्ष 2019 तक भारत ई- गवर्नेंस के मामले में बहुत आगे बढ़ चुका होगा । 

ई-गवर्नेंस का मुख्य उद्देश्य सुशासन का विकास करना है, क्योंकि इससे भ्रष्टाचार पर रोक लगाना बहुत सरल है, लेकिन जैसा कि कहा जा चुका है कि ई-गवर्नेंस के माध्यम से शासन प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाने के लिए सरकार को अभी इस दिशा में बहुत काम करना है । इसके लिए उसे इण्टरनेट को सर्वसुलभ बनाना होगा तथा साइवर सुरक्षा पर भी ध्यान देना होगा ।

अभी भारत में साइवर सुरक्षा की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, जो ई-गवर्नेंस के विकास में सबसे ई-गवर्नेंस के लिए सबसे पहली आवश्यक शर्त साइबर सुरक्षा ही है, हालाँकि सरकार ने ‘डिजिटल इण्डिया’ प्रोजेक्ट की घोषणा करके यह जता दिया कि वह जल्द ही ई-गवर्नेंस का सपना साकार करने के लिए आवश्यक कदम उठाने आरम्भ कर देगी ।

अगर सरकार इस प्रोजेक्ट को लेकर प्रतिबद्धता से कार्य करेगी, तो निश्चित रूप से वर्ष 2019 तक भारतवर्ष के सभी नागरिकों को ई-गवर्नेंस का तोहफा मिल जाएगा । वर्ष 2014 का आरम्भ भारतीय जनता के लिए बहुत महत्व का विषय सिद्ध हुआ ।

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आखिरकार, तमाम प्रयासों के बाद 1 जनवरी, 2014 को भारत को ‘जनलोकपाल’ मिल गया । इस दिन जनलोकपाल राष्ट्रपति ने अपनी स्वीकृति देकर इसे कानून बना दिया । इस बहुप्रतीक्षित विधेयक के पारित होने पर प्रष्टाचार से परेशान जनता ने राहत की साँस ली हे ।

दरअसल, एक लम्बे समय से भारत जनलोकपाल कानून की आवश्यकता अनुभव की जा रही थी । यह स्पष्ट है कि आजादी के बाद हमने काफी तरक्की की, समय के साथ भ्रष्टाचार के मामलों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी भी सामने आई है । हम हैं, इसका सबसे अच्छा उदाहरण वर्ष 2013 है ।

इस वर्ष को यदि ‘घोटाला वर्ष’ कहा जाए, तो कुछ अनुचित न होगा, क्योंकि इस वर्ष कोल घोटाले सहित कई छोटे-बड़े घोटालों कि अन्तर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार सूचकांक, 2013 में भारत को 177 देशों की सूची में 94वां स्थान मिला है, लेकिन अन्ना हजारे जैसे भ्रष्टाचार विरोधी नेताओं का समर्थन करके भारतीय जनता ने यह बखूबी जता दिया है कि अब वह भ्रष्टाचार को और सहने के लिए तैयार नहीं है ।

भ्रष्टाचार के प्रति जनता के आक्रोश को इस नारे के माध्यम से जाना जा सकता है-

”हम जीने के लिए खाते हैं

वो खाने के लिए जीते हैं

हमें पानी भी साफ नहीं मिलता

वो खून हमारा पीते हैं ।”

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