ब्रिक्स पर निबंध! Here is an essay on ‘BRIC Summit’ in Hindi language.

सम्पूर्ण विश्व विभिन्न राष्ट्रों का एक समूह है, जिसमें प्रत्येक राष्ट्र की विभिन्न सांस्कृतिक एवं संवैधानिक परम्पराएँ हैं । वर्तमान युग प्रतियोगिता का युग है, जिसमें किसी भी देश का आकलन उसकी आर्थिक, वैज्ञानिक, राजनैतिक, सुरक्षा इत्यादि शक्तियों के आधार पर किया जाता है ।

वैश्वीकरण के इस दौर में आर्थिक स्थिति तथा आपसी व्यावसायिक सम्बन्धों के आधार पर किसी देश की अवस्था का मूल्यांकन करना संभव है । ऐसे में प्रत्येक राष्ट्र स्वयं को आर्थिक रूप से समृद्ध करना चाहता है तथा यही समृद्धि किसी राष्ट्र को बिकासशाल अथवा विकसित राष्ट्र के रूप में नामित करती है ।

इसके साथ ही कुछ राष्ट्र जब मिलकर कुछ व्यावसायिक सम्बन्धों के उद्देश्य से एक समूह का निर्माण करते हैं, तो यह आपसी सदभाव एवं आर्थिक उन्नति के लिए अत्यन्त लाभप्रद होता है ।  इसी उद्देश्य के अनुरूप विश्व के चार विकासशील राष्ट्रों ने मिलकर एक समूह निर्मित किया, ताकि उनके राजनैतिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक सम्बन्धी में समृद्धि एवं मजबूती का बिकास हो ।

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इन राष्ट्रों ने इस संगठन को ‘BRIC’ नाम दिया ।  ब्रक चार विकासशील राष्ट्रों का एक समूह है । इस समूह का नामकरण, इसमें शामिल चार राष्ट्रों के नाम के प्रथम अक्षर के आधार पर किया गया है । इस प्रकार BRIC राष्ट्र का अर्थ है-ब्राजील, रूस, इण्डिया तथा चीन । इन चारों राष्ट्रों ने मिलकर इस नए संगठन की स्थापना वर्ष 2009 में की ।

इस संगठन का प्रमुख उद्देश्य था-विश्व स्तर पर स्वयं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना तथा राजनैतिक एवं सामाजिक सम्बन्धों में रना । पूरे विश्व में ‘G-8’ तथा ‘G-20’ नाम से अन्य संगठन भी हैं, जो पूर्ण विश्व स्तर पर आर्थिक, राजनैतिक रूप सें अपना श्रेष्ठ अस्तित्व रखते हैं । इसी के परिदृश्य में BRIC ने अपने संगठन के विकास हेतु प्रत्येक सम्भव प्रयास किए ।

सर्वप्रथम 4 राष्ट्रों ने इसका प्रथम सम्मेलन 16 जून, 2009 को ‘रूस’ में आयोजित किया, जिसमें तत्कालीन राष्ट्र प्रमुख या दा सिल्वा (ब्राजील), दिमित्री मेदवेदेव (रूस), मनमोहन सिंह (भारत) तथा हू जिन्ताओ (चीन) ने भाग लिया ।

इनका प्रमुख उद्देश्य अपने संगठन को आर्थिक स्तर पर समृद्ध करना था । 25 दिसम्बर, 2010 को दक्षिण अफ्रीका भी अपने राष्ट्र प्रमुख जैकब जुमा के नेतृत्व में संगठन का हिस्सा बन गया । इसके साथ ही BRIC का नाम परिवर्तित करते हुए ‘BRICS’ कर दिया गया ।

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तदुपरान्त वर्ष 2009 से लेकर अब तक निरन्तर यह सम्मेलन विभिन्न राष्ट्रों में आयोजित होता रहा है, जिसका विवरण नीचे दिया गया है:

अपने इन सभी सम्मेलनों में संगठन का प्रमुख उद्देश्य था- स्वयं को सभी स्तरों पर विश्व के दृष्टिपटल पर मजबूती प्रदान करना । इस योजना हेतु सुरक्षा सम्बन्धी मामलों । खाद्य सुरक्षा, तकनीकी शोध तथा व्यावसायिक संगठनों में सहयोग को प्राथमिकता दी गई ।

इसी परिदृश्य में जुलाई 2014 में सभी पाँचों विकासशील राष्ट्रों का ‘छठा शिखर सम्मेलन’ ‘ब्राजील’ के शहर ‘फोर्टालेजा’ में सम्पन्न हुआ । इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व ‘प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी’ ने किया । इस ‘फोर्टालेजा’ घोषणा-पत्र में भारत के रुख की जोरदार वकालत हुई । आतंकवाद के सभी रूपों की घोर निन्दा की गई ।

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यदि हम इस सम्मेलन के प्राणतत्त्व की बात करें जिसने इस संगठन को विश्व स्तर पर अपने महत्व का आभास कराया तो वह था- सभी पाँचों देशों ने समान हिस्सेदारी के साथ 100 अरब अमेरिकी डॉलर की अधिकृत पूँजी के साथ ‘नए विकास बैंक’ की स्थापना का निर्णय लिया जाना ।

इस बैंक को भारत की विजय माना जा रहा है क्योंकि इस बैंक का पहला अध्यक्ष भारत से ही होगा, जबकि संचालन मण्डल बोर्ड का अध्यक्ष रूस से होगा । बैंक का मुख्यालय शंघाई (चीन) में बनाया जाएगा । इस बैंक में पूँजी के शुरूआती अंशदान में संस्थापक सदस्यों की बराबर भागीदारी होगी ।

वास्तव में भारत सदा से प्रयासरत था कि इस बैंक में किसी भी सदस्य राष्ट्र का वर्चस्व न हो । बैंक की आरम्भिक अधिकृत पूंजी 100 अरब डॉलर होगी । शुरूआती अंशदान 50 अरब डॉलर होगा, जिसमें सभी संस्थापक सदस्य बराबर साझा करेंगे ।

इस सम्मेलन में घोषणा-पत्र में सभी नेताओं ने कहा कि हम अपने वित्त मन्त्रियों को निर्देश देते है कि वे संचालन के तरीकों पर काम करें । भारत का जोर इस बात पर प्रमुखता से रहा है कि यह ब्रिक्स बैंक भी अमेरिका के आधिपत्य वाले अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) तथा विश्व बैंक सरीखे ब्रिटेन बुड्स संस्थानों का आकार न ले पाए ।

मोदी जी ने कहा कि इस बैंक से न केवल सदस्य राष्ट्रों को फायदा होगा, अपितु सम्पूर्ण विकासशील विश्व को फायदा होगा । भारतीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने वैश्विक नेताओं के साथ प्रथम बहुपक्षीय वार्ता की शुरूआत की ।

मोदी जी के अतिरिक्त रूस के राष्ट्रपति ‘ब्लादिमीर पुतिन’ चीन के राष्ट्रपति ‘शी जिन पिंग’, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ‘जैकब जुमा’ तथा ब्राजील की राष्ट्रपति ‘दिल्मा रोसेफ’ ने भी शिखर सम्मेलन में अपने राष्ट्र का प्रतिनिधित्व किया । अर्जेण्टीना के राष्ट्रपति क्रिस्टीना क्रिचनेर इस सम्मेलन के ‘मुख्य अतिथि’ थे ।

BRICS में शामिल सभी राष्ट्रों के आर्थिक आंकड़े (अप्रैल, 2013) इस प्रकार है, जो विश्व स्तर पर अपनी प्रमुखता का परिचय देते हैं:

वर्तमान समय में इण्डोनेशिया तथा तुर्की जैसे देश इस सम्मेलन में पूर्णकालीन सदस्य बनने की ओर अग्रसर है, जबकि अर्जेण्टीना, ईरान, नाइजीरिया तथा सीरिया इस संगठन का सदस्य बनने में अपनी रुचि जाहिर कर चुके है । इन सभी राष्ट्रों की रुचि ही इस संगठन के महत्व को दर्शाने लिए पर्याप्त है ।

कुल मिलाकर छठे ब्रिक्स सम्मेलन में प्रत्येक राष्ट्र को कुछ-न-कुछ हासिल हुआ । इस सम्मेलन के माध्यम से यूक्रेन संकट के कारण अन्तर्राष्ट्रीय अलगाव और एकतरफा प्रतिबन्धों के खतरे का सामना कर रहा रूस अपनी वैश्विक भूमिका कायम रख पाया ।

ब्रिक्स देशों ने आर्थिक शक्ति के रूप में चीन का लोहा माना । ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका, लैटिन अमेरिका तथा अफ्रीका महाद्वीप की समस्याओं के समाधान हेतु ब्रिक्स के सक्रिय योगदान का वायदा हासिल करने में सफल रहे तथा मोदी जी को अन्तर्राष्ट्रीय कूटनीति के अनुभव हासिल हुए ।

फोर्टालेजा (ब्राजील घोषणा-पत्र):

16 जुलाई, 2014 को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के समापन के बाद जारी घोषणा-पत्र में कहा गया- ”हम सभी इकाइयों का आह्वान आतंकवादी गतिविधियों को वित्तीय मदद देने, प्रोत्साहित करने प्रशिक्षण देने अथवा किसी तरह से सहयोग करने से परहेज करें ।

हमारा मानना है कि आतंकवाद के खिलाफ अन्तर्राष्ट्रीय कार्यवाही को लेकर समन्वय बैठाने में संयुक्त राष्ट्र की प्रमुख भूमिका है । इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर सहित अन्तर्राष्ट्रीय कानून के मुताबिक और मानवाधिकारों एवं मौलिक आजादी को सम्मान देते हुए अंजाम दिया जाना चाहिए ।”

ब्रिक्स घोषणा-पत्र में पूरी दुनिया में लोगों को बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रानिक निगरानी एवं डाटा एकत्र करने की गतिविधियों तथा राष्ट्रों की संप्रभुता एवं मानवाधिकारों के हनन की निन्दा की गई है । इसमें कहा गया – ”हम साइबर अपराधों का मुकाबला करने को लेकर सहयोग की सम्भावना तलाशेंगे तथा इस क्षेत्र में कानूनी रूप से बाध्य माध्यम के बातचीत को लेकर फिर से अपनी प्रतिबद्धता जताते हैं ।”

प्रस्तुत बैंक की संरचना:

ब्रिक्स बैंक में एक बोर्ड ऑफ गवर्नर, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष होंगे । बैंक के अध्यक्ष का चुनाव संस्थापक सदस्य देशों में से रोटेशन के आधार पर होगा । अन्य संस्थापक सदस्य देशों में से कम-से-कम एक उपाध्यक्ष बनेगा । इसकी सदस्यता संयुक्त राष्ट्र के सदस्य हेतु भी खोली जाएगी । यह बैंक वर्ष 2016 से काम करना आरम्भ करेगा ।

ब्रिक्स विश्व के विकासशील देशों का संगठन है । वर्तमान में यह संगठन विश्व स्तर पर एक प्रमुख संगठन बन चुका है । उल्लेखनीय यह भी है कि ब्रिक्स के पाँचों देश समूह- 20 (G-20) के भी सदस्य है जोकि विश्व की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का समूह है ।

ब्रिक्स 2 पूर्वी सदी का अनोखा सहयोगी यन्त्र है जिसका उदय विकासशील राष्ट्रों के एक समूह के रूप में हुआ है । इसमें अफ्रीका, एशिया, यूरोप तथा अमेरिका का प्रतिनिधित्व हो चुका है । इससे ब्रिक्स के प्रभाव में वृद्धि हुई है । वर्तमान में इन पाँच ब्रिक्स राष्ट्रों में विश्व का 30% भू-भाग तथा विश्व की 40% आबादी शामिल है ।

ये ब्रिक्स राष्ट्र विश्व के 18% सकल घरेलू उत्पाद का प्रतिनिधित्व करते हैं । यह मानने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि ये ब्रिक्स देश विश्व की सर्वाधिक तेजी से विकसित होती अर्थव्यवस्थाएँ है । इन ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग की भावना उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं की इच्छाओं और पसन्द को प्रतिबिम्बित करती है ।

ब्रिक्स के सदस्यों की अनेक अर्थों में समान स्थितियाँ है । ये सब विकास की समान अवस्था में है ।  वर्तमान परिदृश्य में ये सभी पाँचों राष्ट्र अपनी अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन, न्यायसंगत एवं स्वच्छ बिकास के सन्दर्भ में एक समान समस्याओं एवं चुनौतियों से जूझ रहे है ।

ब्रिक्स ने इन पाँचों राष्ट्रों को विकास सम्बन्धी अनुभवों को साझा करने तथा विश्व स्तर पर इन राष्ट्रों की उपस्थिति दर्ज कराने का महत्वपूर्ण आधार प्रदान किया है । अन्ततः यह कहना समीचीन ही होगा कि भविष्य में ब्रिक्स अपनी वर्तमान अवस्था में और विकास करेगा और अन्य प्रमुख राष्ट्रों के इस संगठन में शामिल होने से इसके महत्व में और वृद्धि होगी तथा यह संगठन विश्व स्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने में कामयाब होगा ।

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