डॉ विक्रम साराभाई पर निबंध | Essay on Dr. Vikram Sarabhai in Hindi Language!

1. प्रस्तावना ।

2. जीवन परिचय एवं उपलब्धियां ।

3. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

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विक्रम साराभाई को यदि भारत के अन्तरिक्ष कार्यक्रमों का जनक कहा जाये, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी । वे एक महान वै ज्ञानिक ही नहीं अपितु समाजसेवी भी थे । आज भारतीय दूरदर्शन की समूची कार्यप्रणाली अन्तरिक्ष विज्ञान पर आधारित है । दूरदर्शन को अन्तरिक्ष से जोडने का जो कार्य विक्रम साराशाई ने किया, उसके लिए वे हमेशा स्मरणीय रहेंगे ।

2. जीवन परिचय एवं उपलब्धियां:

डॉ॰ विक्रम सारामाई का जन्म 12 अगस्त, 1919 को गुजरात में हुआ था । उनके पिता अबालाल साराभाई एक प्रसिद्ध व्यवसायी थे । अपनी प्रारम्भिक शिक्षा घर पर प्राप्त करने के साथ ही उन्होंने बागवानी, तकनीकी, भाषा, विज्ञान, नृत्य, संगीत, चित्रकला, फोटोग्राफी आदि की शिक्षा भी विशिष्ट रूप से प्राप्त की ।

डॉ॰ साराभाई ने अहमदाबाद कॉलेज से उच्च शिक्षा ग्रहण करने के उपरान्त सेंट जोन्स कॉलेज केम्बिज से 1939 में प्राकृतिक विज्ञान में परीक्षा उत्तीर्ण की । भारत लौटने पर वे चन्द्रशेखर वेंकटरमन तथा होगी जहांगीर भागा के साथ अन्तरिक्ष विज्ञान पर कार्य करते रहे ।

उनका विवाह प्रसिद्ध नृत्यांगना गुणालिनी साराभाई से हुउम, जिनसे एकमात्र पुत्री मल्लिका साराभाई का जन्म हुआ । वह भी एक कुशल नृत्यांगना होने के साथ-साथ अभिनय क्षेत्र में अपना विशेष स्थान रखती है । सन् 1942 में अन्तरिक्ष किरणों की तीव्रता एवं परिवर्तन पर शोधपत्र प्रस्तुत किया । 1945 में वे पुन: केम्ब्रिज गये । 1947 में पी॰एच॰डी॰ पूर्ण कर केवेण्डिश तथा केम्ब्रिज प्रयोगशाला में शोधकार्य किया ।

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तत्पश्चात् बाह्य एवं आन्तरिक अन्तरिक्ष अध्ययन हेतु अहमदाबाद में भौतिकी उानुराधान प्रयोगशाला स्थापित की । निदेशक के रूप में 1965 तक वहा की प्रयोगशाला के अन्तरिक्ष कार्यक्रम को गति प्रदान की । 1955 में कश्मीर के गुलमर्ग, तिरुअनन्तपुरम तथा कोडाइकनाल में भी अन्तरिक्ष अध्ययन केन्द्र स्थापित किये ।

अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने रोहिणी, मेनका तथा 1975 में आर्यभट्ट नामक उपग्रह प्रक्षेपित किया । साराभाई ने पृथ्वी तथा सूर्य के वायुमण्डलीय चुम्बकत्व, सूर्य की स्थिति आदि से सम्बन्धित शोध कार्य किये ।

उन्होंने गुजरात तथा देश के उान्य क्षेत्रों में अनेक उद्योग स्थापित किये, जिनमें साराभाई इंजीनियरिंग, रिसर्च वन्टर, ऑपरेशन रिसर्च सुप, ओषधि निर्माण केन्द्र आदि हैं । वे अन्तरिक्ष परगाणु ऊर्जा एजेन्सी के जनरल काग्रेस के अध्यक्ष भी रहे । उन्हें शान्तिस्वरूप भटनागर पुरस्कार तथा पद्‌मभूषण से भी सम्मानित किया गया । डॉ॰ साराभाई 30 दिसम्बर, 1971 को पचतत्त्व में विलीन हो गये ।

3. उपसंहार:

डॉ॰ साराभाई को अन्तरिक्ष अनुसन्धान कार्यक्रमों का जनक एवं सूत्रधार कहा जाता है । उन्होंने वैज्ञानिक उपलब्दियों को ग्राम, समाज व देश के हित में लगाने का सदैव विचार किया था । आज भारत की 70 प्रतिशत से भी अधिक गांव की आब दी अपने घरों में दूरदर्शन सेवा का लाभ उठा रही है । इसका पूरा श्रेय साराभाई को जाता है ।

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दूरदर्शन के माध्यम से शिक्षा, कृषि, विकास, मनोरंजन, खेल, चिकित्सा, सामाजिक सुधार आदि सभी क्षेत्रों में ग्रामीण लाभान्वित हो रहे है । उसके पीछे सारा श्रम साराभाई का ही है । भारतीय संस्कृति से उनका लगाव काफी गहरा था । थुंबा रॉकेट प्रक्षेपण कार्यक्रम के समय उनका आकरिगक निधन हो गया । उनके कार्य आने वाले युवा वैज्ञानिकों को प्रेरणा देते रहेंगे ।

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