ई-मेल पर निबंध! Here is an essay on ‘E-Mail’ in Hindi language.

ई-मेल का सर्वप्रथम प्रयोग करने वाले वैज्ञानिक रे टॉमलिसन ने कहा है- ”मैं देख रहा हूँ कि आज ई-मेल का प्रयोग व्यापकस्तर पर किया जा रहा है जिस तरह से मैंने कल्पना की थी । यह विशेष रूप से कार्य करने का उपकरण मात्र अथवा केवल एक व्यक्तिगतर्चाज नहीं हैं । सभी इसका प्रयोग अपने ढंग से करते हैं ।”

वैज्ञानिक रे टॉमलिंसन की कही इस बात से ई-मेल की उपयोगिता और इसकी जन-जन तक पहुँच का अन्दाजा लगाया जा सकता है । ई-मेल में ‘ई’ का पूर्ण रूप है – ‘इलेक्ट्रनिक’ एवं ‘मेल’ का अर्थ होता है- ‘डाक’ । इस तरह ई-मेल का तात्पर्य है- ‘इलेक्ट्रानिक डाक’ ।

पारिभाषिक रूप से कहे, तो ई-मेल सन्देश भेजने का ऐसा इलेक्ट्रानिक तरीका है, जिसके माध्यम से न केवल सन्देशों को, बल्कि कुछ डिजिटल दस्तावेजों को भी इसके साथ संलग्न कर सुरक्षित रखा जा सकता है एवं किसी अन्य ई-मेल पते पर भेजा जा सकता है ।

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पहले ई-मेल के माध्यम से दस्तावेजों एवं छवियों का आदान-प्रदान ही किया जाता था । अब ऑनलाइन बातचीत का प्रयोग भी लगातार बढ रहा है और चैटिंग के माध्यम से हम किसी भी मुद्दे पर बहस कर सकते हैं । इण्टरनेट के बढते प्रयोग के साथ ई-मेल के प्रचलन में भी वृद्धि हुई है ।

यह भी कहा जा सकता है कि ई-मेल के प्रचलन ने इण्टरनेट के प्रयोग को बढावा दिया है । ई-मेल आज दुनियाभर में सर्वाधिक लोकप्रिय संचार साधन का रूप ले चुका है । ई-मेल की लोकप्रियता एक इसके बढ़ते प्रयोग का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि पहले लोग व्यक्ति के घर या ऑफिस का पता पूछते थे, अब उसके ई-मेल का पता पूछते है ।

वैसे तो ई-मेल के विकास एवं इसको आधुनिक रूप प्रदान करने में कई वैज्ञानिकों का योगदान रहा है, किन्तु ई-मेल की शुरूआत करने के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका के कम्प्यूटर वैज्ञानिक रे टीमलिसन को ‘ई-मेल का जनक’ कहा जाता है ।

उन्होंने सर्वप्रथम वर्ष 1971 में सिम्पल मेल ट्रासफर प्रोटोकॉल तकनीक का प्रयोग कर दूसरे कम्प्यूटर तक इलेक्ट्रॉनिक मेल प्रेषित करने में सफलता प्राप्त की थी । उन्होंने एक कम्प्यूटर से दूसरे का हर तक ई-मेल के माध्यम से ‘QWERTYUIOP’ शब्द के रूप में प्रथम सन्देश भेजा था । इसके बाद सामान्य प्रयोक्ताओं के लिए भी ई-मेल सेवा की शुरूआत हुई ।

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ई-मेल पते के तीन घटक होते है- यूजरनेम, प्रतीक (at the rate) एवं डोमेन नेम । उदाहरण के तौर पर sdibesh(at the rate)Gmail(dot)com में sdibesh यूजरनेम एवं gmail(dot)com डोमेन नेम है, जिनके बीच में (at the rate) प्रतीक है । यूजरनेम से इस बात का पता चलता है कि सन्देश भेजने वाला कौन है या किसके पास सन्देश जाना है एवं डोमेन नेम ई-मेल सेवा प्रदान करने बाले डोमेन का सूचक होता है ।

ई-मेल के आविष्कार के बाद से अब तक इस तकनीक में काफी प्रगति हुई है, इसके माध्यम से अब डिजिटल दस्तावेजों एवं चित्रों या वीडियो को भी संलग्न कर भेजा जा सकता है । जीमेल हॉटमेल, माहोल इत्यादि ई-मेल सेवा प्रदाताओं के नाम हैं किसी भी ई-मेल रोया प्रदाता के मेल वाले वेबसाइट पर साइन-अप कर नए ई-मेल पते का निर्माण किया जा सक हैं । कुछ सीमा तक यह सेवा बिल्कुल नि:शुल्क है ।

ई-मेल पते का निर्माण करने के बाद व्यक्ति को उस पते पर सन्देश भेजने एवं उसे सुरक्षित रखने के लिए कुछ स्थान प्रदान किया जाता है । ई-मेल के कई लाभ हैं इसका प्रयोग करना अत्यधिक सरल होता है । इसके माध्यम से हर रोज काफी संख्या में दस्तावेजों को व्यवस्थित कर प्रयोग में लाया एवं उन्हें सुरक्षित रखा जा सकता है ।

ई-मेल के माध्यम से भेजे गए सन्देश सुरक्षित तो रहते ही है, साथ में भेजे गए समय एवं दिनांक को भी इसमें सुरक्षित रखा जाता है, जो बाद में बहुत उपयोगी साबित होता है । ई-मेल पता इण्टरनेट पर व्यक्ति की पहचान के रूप में भी कार्य करता है । इण्टरनेट की कई वेबसाइटों पर पंजीकरण करवाने में ई-मेल पते की आवश्यकता पडती है । ई-मेल से होने बाला एक बडा लाभ इसकी गति है ।

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इसके माध्यम से तीव्र गति से पृथ्वी के किसी भी कोने में सन्दशों को भेजा जा सकता है । ई-मेल के माध्यम से प्राप्त सन्देशों को व्यवस्थित करना भी आसान होता है । आवश्यकता हो तो उस पढ़िए अथवा मिटा दीजिए । ई-मेल के माध्यम से संचार करना सुरक्षित एवं विश्वसनीय होता है ।

किसी विशेष व्यक्ति के ई-मेल पते पर भेज गप सन्देश के खोने का खतरा नहीं होता । ई-मेल से प्राप्त सन्देश एवं संलग्न डिजिटल दस्तावेजों की आग अन्य पते पर ज्यों-का-त्यों अग्रसारित भी किया जा सकता है । ई-मेल प्राप्त होने की स्थिति में उसी सन्दर्भ के साथ उसका जवाब देने का भी विकल्प प्रयोगकर्ता के पास रहता है । प्राप्त मेल को प्रिण्टर के माध्यम से प्रिण्ट भी किया जा सकता है ।

पर्यावरण के दृष्टिकोण से देखा जाए, तो संचार के लिए पारम्परिक डाक सेवा के बदले ई-मेल का प्रयोग करने से कागज की बचत होती है । पेडों की कटाई पर नियन्त्रण के लिए कागज के प्रयोग को कम करने की आवश्यकता है ।

पारम्परिक डाक से प्राप्त कागजी दस्तावेजों की तुलना में भी ई-मेल के दस्तावेजों को सम्भालना अत्यन्त आसान होता है । ई-मेल कई विज्ञापन कम्पनियों के लिए वरदान साबित हुआ है । इसके माध्यम से विज्ञापन करना भी आसान हो गया है इसका प्रयोग अब व्यवसायों में भी खूब होने लगा है ।

बिल गेट्‌स के शब्दों में- ”ई-मेल का प्रयोग करने वाले प्रायः लोगों की तरह मैं भी इसके माध्यम से प्रतिदिन बहुत-से सन्देश पाता हूँ । इनमें से कई ई-मेल मुझे वार्तालाप करने या भागदौड में शामिल होने से बचाते हैं ।”  ई-मेल से यदि कई प्रकार के लाभ हैं, तो इससे नुकसान होने की भी सम्भावना बनी रहती है ।

यदि किसी ई-मेल का पासवर्ड किसी अन्य व्यक्ति को पता चल जाए, तो वह इसका दुरुपयोग कर सकता है, इसलिए ई-मेल सुविधा का प्रयोग करने वाले व्यक्ति को इस सन्दर्भ में विशेष सावधानी की आवश्यकता पडती है ।  इसके अतिरिक्त, ई-मेल पते को हैक किए जाने का खतरा भी बना रहता है । हैकिंग से बचने के लिए समय-समय पर पासवर्ड में परिवर्तन करते रहने की आवश्यकता पड़ती है ।

ई-मेल के माध्यम से कम्प्यूटर वायरसों के हमले की भी सम्भावना बनी रहती है ।  अब तक दुनिया में जितने भी कम्प्यूटर वायरसों का हमला हुआ, उनके प्रसार में ई-मेल की भूमिका ही मुख्य थी । एण्टी-वायरस सॉफ्टयैवर का प्रयोग कर कम्प्यूटर बायरसों से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है । ई-मेल पर आने वाले स्पैम मेल भी ई-मेल से होने बाली परेशानी का एक कारण होते है ।

ई-मेल की सबसे बडी खामी यह है कि इसके माध्यम से एक बार में एक निश्चित सीमा तक ही दस्तावेजों एवं डिजिटल सामग्रियों को सम्प्रेषित किया जा सकता है । ई-मेल की एक और कमी यह है कि ई-मेल से प्राप्त दस्तावेजों को कानूनी तौर पर प्रामाणिक नहीं माना जाता, इसलिए अब तक कानूनी दस्तावेजों को पारम्परिक डाक से ही भेजा जाता है ।

संचार के सभी माध्यमों एवं सुविधाओं का समाज पर व्यापक प्रभाव होता है नई तकनीक के प्रचलन से कई प्रकार की सुविधाएँ प्राप्त होती हैं, तो इससे कुछ नुकसान होने की सम्भावना भी बनी रहती है । ठीक यही बात ई-मेल के साथ भी है । यदि सावधानी से इसका प्रयोग किया जाए तो निश्चित रूप से इससे होने बाले नुकसान से बचा जाता है ।

एण्टी-बायरस सॉफ्टवेयर का प्रयोग, समय-समय पर इनबॉक्स की जाँच, स्पैम को मिटाते रहना, समय-समय पर पासवर्ड को बदलना एवं अवांछित ई-मेल से बचने जैसे उपायों से ई-मेल से होने बाले नुकसान से बचा जा सकता है । ई-मेल की सुविधा मनुष्य के लिए विज्ञान का वरदान साबित हुई है ।

इसके माध्यम से न केवल विभिन्न प्रकार की सूचनाओं तक मनुष्य की पहुँच हुई है, बल्कि उन्हें प्राप्त करना भी उसके लिए आसान हो गया है । पहले ई-मेल प्राप्त करने के लिए इण्टरनेट के कनेक्शन एवं कम्प्यूटर कीं आवश्यकता पड़ती थी अब ऐसी सुविधा प्रदान करने वाले मोबाइलों का भी निर्माण होने लगा है । संचार क्रान्ति में इण्टरनेट एवं ई-मेल की मुख्य भूमिका है ।

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