रेखा और कर्मचारियों के बीच अंतर | Read this article in Hindi to learn about the difference between line and staff.

स्टॉफ और सूत्र में पूर्ण अंतर है:

समर्थक – औलिवर शेल्डन, डिमॉक आदि ।

1. संगठन में सूत्र और स्टाफ पृथक्-पृथक् सत्ता के स्वामी होते हैं ।

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2. सूत्र-सत्ता प्रत्यक्ष सत्ता है जबकि स्टॉफ अप्रत्यक्ष सत्ता है ।

3. पहली आदेश की सत्ता है दूसरी परामर्श की सत्ता है ।

4. अतः पहली सत्ता आदेश देती है, जबकि दूसरी विचार करती है । अतः पहली ऊपर से नीचे पदसोपान में उतरती है जबकि दूसरी अपने समकक्ष सूत्र की तरफ समानांतर है ।

5. सूत्र-सत्ता निर्णयन की सत्ता है जबकि स्टॉफ निर्णय के लिए आवश्यक ज्ञान और सूचना की सत्ता है ।

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6. सूत्र सत्ता स्वरूप में सामान्य है, स्टॉफ ”विशिष्ट” है ।

7. सूत्र सत्ता ”उच्च-अधीनस्थों” में बंटी और जमी होती है, स्टॉफ सत्ता का संबंध आनुषांगिक होता है ।

8. सूत्र ”क्रियान्वयन” की सत्ता है, स्टॉफ ”नियोजन” की सत्ता है ।

9. अतः सूत्र जन संपर्क की सत्ता है, स्टॉफ पर्दे के पीछे की सत्ता है । अतः सूत्र सत्ता जन उत्तरदायित्वपूर्ण होती है, स्टॉफ सत्ता नहीं ।

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डिमॉक- ”सूत्र कार्यवाही का बोध कराता है, जबकि स्टॉफ परामर्श का, सूत्र पद सोपानीय है, स्टॉफ आनुषांगिक, सूत्र सत्ता है जबकि स्टॉफ प्रभाव ।”

ओविलर शेल्डन- ”स्टॉफ का गठन चिंतन-मनन हेतु उसी प्रकार किया जाता हैं, जिस प्रकार क्रियान्वयन के लिए सूत्र का ।”

कुण्टज और ओडोनेल – ”सूत्र-स्टॉफ विभाजन सत्ता-संबंधों पर आधारित है, न कि विभागीय व्यवस्था पर ।”

स्टॉफ और सूत्र में भेद भ्रामक है:

समर्थक – लेपावस्की, शरमन, साइमन तथा निग्रो एवं निग्रो ।

1. सूत्र-स्टाफ मूलतः सैनिक संगठन की इकाइयाँ है । जब सैनिक संगठन में सूत्र-स्टाफ के स्वरूप स्पष्ट नहीं रह गये है तो नागरिक प्रशासन में इनके अंतर और स्वरूप को स्पष्ट करना बेहद मुश्किल है ।

2. लोक प्रशासन चूंकि सेवा संस्थान है, यहां सूत्र कार्य और स्टॉफ कार्य एक-दूसरे में अत्यधिक सम्मिश्रित है । प्रशासन में बढ़ते विशेषीकरण के कारण स्टॉफ और उसके कार्य दोनों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, परिणामतः स्टॉफ के कार्य अब मात्र परामर्शदात्री नहीं रह गये हैं अपितु उसमें सूत्रों का निर्देशन करने वाले कार्य भी प्रवेश पा गए है ।

3. स्पष्ट है कि सूत्र और स्टॉफ के कार्य उनकी पृथक्-पृथक् सत्ता से निकलते है लेकिन कार्यों में परस्पर आच्छादन की प्रवृत्ति है अतः कार्यों के आधार पर सूत्र- स्टॉफ की पहचान मुश्किल है ।

4. सत्तात्मक संबंधों के आधार भी एक सीमा तक ही इन्हें पृथक् पहचाना जा सकता है ।

5. स्टॉफ को चाहे आदेश देने की औपचारिक सत्ता नहीं होती, किन्तु वे उच्च सत्ता के नाम से अन्य सूत्र अधिकारियों, इकाइयों का निरीक्षण करते है ।

6. स्वयं अपनी स्टॉफ इकाई में तो वे सूत्र जैसे सत्ता संबंधों का ही व्यवहार करते है अर्थात अधीनस्थ स्टॉफ को वे आदेश देते है, उन पर नियंत्रण रखते है और उनके संबंध में निर्णय लेते है ।

7. स्टॉफ अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ होते है अतएव उनकी कुशलता, ज्ञान, विशेषज्ञता उन्हें ”आदेशक” की स्थिति प्रदान करती है । उनके परामर्श सूत्रों के लिए अटालने योग्य आदेश जैसे ही होते है ।

8. संगठन का परंपरागत दृष्टिकोण भी स्टाफ के निर्णय लेने और कार्य करने की शक्ति को तर्कपूर्ण मानता है ।

9. स्टॉफ के पिछे वैधानिक शक्ति होती है । उदाहरण के लिए संघ लोक सेवा आयोग एक सवैधानिक निकाय है अतः उसके परामर्श सामान्यतया बंधनकारी होते है ।

निग्रो एवं निग्रो- ”कौन-से कार्य को सूत्र कार्य और कौन-से कार्य को स्टॉफ कार्य माना जाये-यह एक दृष्टिमत की बात होती है ।” अर्थात इनमें भेद नहीं किया जा सकता ।

शरमन- ”जब किसी इकाई को सूत्र या स्टॉफ की संज्ञा दी जाए तो इसके अभिप्राय को भी स्पष्ट कर देना चाहिए” अर्थात उसका स्पष्टीकरण देना चाहिए ।

हरबर्ट साइमन – ”स्टॉफ और सूत्र में भेद इस भ्रमपूर्ण अवधारणा पर आधारित है कि स्टॉफ केवल परामर्श देता है, आदेश नहीं ।”

एलबर्ट लेपावस्की – ”स्टॉफ-सूत्र किसी भी संगठन के परिपूरक लक्षण हो सकते है, विरोधी नहीं ।”

अतः सार रूप में कहे तो सूत्र और स्टॉफ के कार्यों को पृथक करना मुश्किल है और सत्तात्मक संबंधों के आधार पर भी उनमें विभेद सापेक्षिक हो सकता है, पूर्ण और स्पष्ट नहीं ।

इस दिशा में निम्नलिखित विचार ध्यातव्य है:

लेपास्की- ”सूत्र एवं स्टॉफ एक दूसरे के समकक्ष है । उनमें उच्च या अधीनस्थ या ऊर्ध्वाकार संबंध नहीं है, अपितु दोनों ही मुख्य कार्यपालिका के अधीन समान सत्ता एवं उत्तरदायित्व के स्तर पर काम करते है । जो स्टॉफ सूत्र को आदेश नहीं देता, वह प्रभावहीन है, और जो सूत्र स्टॉफ के कार्यों को नहीं समझता या स्वयं भी उन्हें अंशतः नहीं करता, वह असफल रहता है । अब स्टॉफ का कार्य मात्र परामर्श देना तथा सूत्र का कार्य मात्र क्रियान्वयन करना नहीं रह गया है अपितु ये एक दूसरे में समाहित होते जा रहे है ।”

एम.पी.शर्मा – ”बड़े संगठन में सूत्र और स्टॉफ का भेद नजर आता है, छोटे में नहीं ।”

पॉल.एच. एपिलबी – ”भारत में कोई सूत्र नहीं है । गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय तथा आर्थिक बजट संभाग (वित्त मंत्रालय) को छोड़कर सब स्टॉफ कार्य करते है ।”