अजीत वाडेकर की जीवनी | Biography of Ajit Wadekar in Hindi!

1. प्रस्तावना ।

2. जीवन परिचय एवं उपलब्धियां ।

3. उपसंहार ।

1. प्रस्तावना:

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क्रिकेट विश्व का सबसे प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय खेल है । इस खेल का जनक इंग्लैण्ड माना जाता है । प्रथम श्रेणी के क्रिकेट, एक दिवसीय क्रिकेट और टेस्ट क्रिकेट के रूप में 3 प्रकार की प्रतियोगिता के रूप में मान्यता प्राप्त इस खेल में तीनों ही प्रतियोगिताओं का अपना-अपना महत्त्व है ।

क्रिकेट आज इतना लोकप्रिय खेल बन चुका है कि इस खेल के नियम-उपनियम के बारे में छोटे बच्चे भी अच्छी खासी जानकारी रखते हैं, किन्तु यह जानकारी बहुत कम लोग रखते होंगे कि भारतीय क्रिकेट को विश्वस्तरीय गौरव दिलाने वाले भारतीय कप्तान अजित वाडेकर थे ।

जिन्होंने सन 1971 में वेस्टइण्डीज व इंग्लैण्ड इन दोनों टीमों से टेस्ट भूखला जीतकर भारत का नाम विश्व में ऊंचा किया है । इन दोनों भूखलाओं में विजय प्राप्त करने वाले वाडेकरजी का तत्कालीन समय में स्वागत करने वालों में प्रधानमन्त्री स्वर्गीय इन्दिरा गांधी सहित हजारों लोग 20 कि॰मी॰ की दूरी तक पुष्प वर्षा करते खड़े थे ।

2. प्रारम्भिक जीवन व उपलब्धियां:

अजीत वाडेकर का जन्म 1 अप्रैल, 1941 को महाराष्ट्र में हुआ था । बचपन में इनकी रुचि खेलकूद में न होकर गणित में अधिक थी । पिता इन्हें इंजीनियर बनाना चाहते थे और माता इन्हें डॉक्टर बनाना चाहती

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थीं । गणित में सर्वाधिक अक अर्जित करने पर जब इन्हें क्रिकेट का बल्ला इनाम में मिला-जिस पर नील हार्वे क्रिकेटर के हस्ताक्षर थे-बस इसे लेकर अभ्यास में लग गये ।

एलिफेस्टन कॉलेज में जब ये पढ़ रहे थे, तो कॉलेज की टीम में एक खिलाड़ी की कमी होने पर इन्हें चुन लिया गया । यहीं से क्रिकेट के प्रति इनकी रुचि बढ़ती ही गयी । इधर कॉलेज की पढ़ाई और उधर क्रिकेट के मैदान में देर से पहुंचने पर प्रशिक्षक इन्हें मैदान के चारों ओर दौड़ाकर सजा दिया करते थे ।

इस सजा की वजह से इनका दौड़ने का अच्छा खासा अभ्यास हो जाता था । ये अचूक निशानेबाज ऐसे थे कि एक ही पत्थर से कई-कई आमों को एक साथ गिरा दिया करते थे । बम्बई विश्वविद्यालय से इन्होंने प्रथम श्रेणी में एम॰एस॰सी॰ की परीक्षा उत्तीर्ण की । ये कुशल गेंदबाज शी थे ।

इन्होंने 1959 में बम्बई एवं दिल्ली विश्वविद्यालय की टीम से खेलते हुए 324 रन का नया कीर्तिमान रचा । ये रणजी ट्रॉफी के नियमित खिलाड़ी थे । 1966 में ये वे२टइण्डीज के विरुद्ध भारतीय टीम के कप्तान चुने गये । इनके नेतृत्व में 5 टेस्ट मैचों की भूखला में तीन में विजय प्राप्त की । इस टेरट मृखला में इन्होंने 2 हजार रन पूरे किये ।

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सन् 1974 में इंग्लैण्ड के दौरे पर जब भारतीय टीम खेलने गयी थी, तब लाडर्स के मैदान में इंग्लैण्ड की टीम ने भारत की टीम को बुरी तरह पीटते हुए 629 का विशाल स्कोर बनाया, जबकि भारतीय टीम फालोउमॅन के बाद भी मात्र 42 रन बनाकर बुरी तरह हार गयी ।

इस हार को न राह सकने वाली भारतीय जनता ने हवाई अड्‌डे पर ही इन्हें बुरी तरह अपमानित किया । इस अपमान की पीड़ा से बहुत ही आहत हुए । ये कुछ समय तक भारतीय क्रिकेट टीम के प्रशिक्षक श्री

रहे । महाराष्ट्र सरकार ने जब इनकी उपलब्धियों के लिए इन्हें ‘महाराष्ट्र गौरव’ का पुरस्पट्रार दिया, तो इन्होंने इसे लेने से इनकार कर दिया ।

3. उपसंहार:

अजीत वाडेकर का नाम निश्चय ही भारत के उन महान् क्रिकेटरों में महत्त्वपूर्ण स्थान पाता है, जिन्होंने अपने नेतृत्व में विदेशी भूमि पर भारत को पहली बार जीत दिलाई थी । ये अनुशासनप्रियता व भाइचारे के कारण भी जाने जाते हैं ।

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